मनुष्य के सुख और दुखों का कारण स्वयं उसके कर्म है, जैसा करेगा वैसा फल मिलेगा
परमात्मा ना तो किसी को सुख प्रदान करते हैं, और ना ही दुख,मनुष्य के नीज कर्म ही उसके दुख और सुख का कारण होते हैं, मनुष्य को चाहिए के बिना किसी लोभ ,लालच व किसी पद की लालसा करके, केवल सत्कर्मों को करता रहे ,किसी की सेवा करने हेतु किसी पद की आवश्यकता नहीं होती , बिना पद के भी हम किसी की सेवा कर सकते हैं, चाहे वह समाज हो ,धर्म हो या गौ माता हो ,गौ माता की सेवा करने के लिए हमें किसी पद की लालसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम किसी पद की जब लालसा करते हैं, तो हम गौ माता की सेवा नहीं कर पाते , और इसी कारण हम कहीं ना कहीं दुख के अधिकारी हो जाते हैं ,जिसके कारण गौ माता की सेवा भी नही कर पाते हैं,उक्त उद्गार शामगढ़ तहसील के ग्राम पालखंडा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन पंडित विक्रम जी पुरोहित ,श्री सुदामा शामगढ़ वालों के द्वारा कही गई ।
कथा में सैकड़ो की संख्या में गुरु भक्त कथा का आनंद ले रहे हैं ,कथा की पूर्णाहुति कल दिनांक 5 फरवरी 2024 को विशाल भंडारे के साथ कथा का समापन होगा।