मंदसौरमंदसौर जिला

संस्कृत भाषा, संस्कृति, संस्कार और चरित्रवान बनाती है- प्राध्यापक डॉ. के.आर. सूर्यवंशी


लायंस क्लब एवं पुराणिक परिवार ने संस्कृत की 50 प्रतिभाओं को सम्मानित किया


मन्दसौर। मानव जीवन मिलना ही मुश्किल है, उसके बाद विद्या प्राप्त करना भी दुर्लभ है और अगर प्राप्त हो जावे तो उसे पल्लवित बनाये रखना ओर कठिन है।
यह उद्गार मुख्य अतिथि के रूप में शासकीय महाविद्यालय के संस्कृत विषय के प्राचार्य डॉ. के.आर. सूर्यवंशी ने पं. स्व. हेमशंकर पुराणिक की स्मृति में लायंस क्लब मंदसौर एवं पुराणिक परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संस्कृत के प्रतिभावान विद्यार्थियों के सम्मान समारोह में कहे। मन्दसौर शहर के संस्कृत विषय की प्रावीण्यता प्राप्त शहर के सभी हाईस्कूल 50 छात्रो को पुरस्कृत किया ।
आपने कहा कि एक छत के नीचे एकात्म भाव रखते हुए संस्कृत के अनुरागी बच्चों को इस विषय को प्रोत्साहित करने के लिये पुराणिक परिवार द्वारा पारितोषिक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर इन विद्यार्थियों के जीवन को श्रेष्ठ बनाने में योगदान दिया है। संस्कृत भाषा, संस्कृति, संस्कार और चरित्रवान बनाती है परन्तु इस भाषा के लिये कोई-कोई ही सोचता है। पितृ ऋण से मुक्त होने के लिये डॉ. देवेन्द्र पुराणिक ने यह श्रेष्ठ कार्यक्रम आयोजित किया है। यह उनके पिताजी की स्मृति में पुण्य कार्य है। आपने कहा कि संस्कृत भाषा सबकी जननी है, सरल भी है और संस्कारवान बना देती है। संस्कृत भाषा के अनुरागियों के बीच बड़ा दर्द है क्योंकि हाईस्कूल के बाद अगली कक्षाओं में इसे विलोपित कर दिया है। इस पर शासन को विचार करना चाहिये।
विशिष्ठ अतिथि इतिहासकार एवं पुरातत्वविद डॉ. के.सी. पाण्डे ने कहा कि मैंने इस शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्र. 2 में प्रवेश लिया था तब श्री गिरधारीलालजी श्रोत्रिय प्राचार्य थे उसके पश्चात स्व. हेमशंकरजी पुराणिक ने प्राचार्य पद संभाला था। मैं उनका विद्यार्थी रहा हूॅ।  उनकी प्रशासनिक व्यवस्था इतनी मजबूत थी कि कक्षा से बाहर न विद्यार्थी घूमते थे और न ही शिक्षक। पूरे हिन्दुस्तान में संस्कृत में दशपुर का नाम था। अभी अभी मंदसौर जिले के डॉ. भगवतीलालजी राजपुरोहित को संस्कृत का विद्वान होने से पद्मश्री से सम्मानित किया है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. देवेन्द्र पुराणिक ने कहा कि विगत 16 वर्षों से पिताश्री स्व. हेमशंकरजी पुराणिक की स्मृति में हाईस्कूल परीक्षा में प्रावीण्यता प्राप्त छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रशस्ति पत्र के साथ मोमेन्टो भी उनकी यादगार के लिये देते है। पिताजी का एम.ए. में विषय भी संस्कृत था, इसलिये उनके प्रिय विषय को चुना साथ ही शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्र. 2 के वे 11 वर्ष तक प्राचार्य रहे जो एक रिकॉर्ड है। विद्यालय के प्राचार्य ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मॉ सरस्वती  एवं स्व. पं. हेमशंकर पुराणिक के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया। अतिथियों का स्वागत लायन अध्यक्ष डॉ. मजहर हुसैन, कार्यक्रम संयोजक डॉ. देवेन्द्र पुराणिक, लायन सचिव प्रेमदेव पाटीदार, सुभाष बग्गा, जितेन्द्र पोरवाल, अभिभाषक गौरव रत्नावत, नारायणसिंह चौहान, डॉ. के.सी. श्रीमाल, सुनील विजयवर्गीय, आशीषसिंह मण्डलोई एवं विभिन्न वर्गों के उपस्थित महानुभावों ने भी स्वागत किया।
स्वागत भाषण लायन अध्यक्ष डॉ. मजहर हुसैन ने दिया। संचालन विद्यालय की व्याख्याता श्रीमती कीर्ति सक्सेना ने किया। आभार लायन सचिव प्रेमदेव पाटीदार ने माना।

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