आज बच्चों का मोबाईल सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है,मोबाइल की लत से बच्चों को दूर रखिए – आचार्य विभक्त सागर मुनिराज

आज बच्चों का मोबाईल सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है,मोबाइल की लत से बच्चों को दूर रखिए – आचार्य विभक्त सागर मुनिराज
मंदसौर। आज घर घर में मोबाईल पहुंच चुका है या यूं कहे कि मोबाईल ने हर किसी को अपने पंजे में जकड़ लिया है। अधिकांशतः देखा जा रहा है कि बच्चे हो या बड़े हर कोई मोबाईल के आदि हो चुके है। अधिकांश बच्चों के हाथ में खाना खाने से लेकर हर वक्त मोबाईल दिखाई देता है। बच्चों के जीवन पर इस मोबाईल का बहुत बुरा असर पड़ रहा है,यूं कहे कि एक तरह से मोबाईल बच्चों का दुश्मन बन चुका है। यह बात धर्म सभा में द्वितीय पट्टाचार्य, राष्ट्र संत एवं स्पष्ट प्रवक्ता दिगम्बर जैन संत आचार्य 108 श्री विभक्त सागर जी मुनिराज ने कही। संत श्री नाकोडा नगर स्थित आचार्य 108 सम्मति कुंज संत निवास पर विराजित है। धर्म सभा से पूर्व दीप प्रज्वलन विकास जैन परिवार ने किया। मुनिश्री को शास्त्र भेंट महिला मंडल द्वारा किया गया। संचालन श्रीमती संतोष सेठी ने किया,मंगलाचरण डॉक्टर कुसुम पोरवाल ने किया। मुनिश्री ने कहा कि बच्चे मोबाईल के एडिक्ट होते जा रहे है इसके पीछे सीधे सीधे माता पिता जिम्मेदार है। छोटा सा मासूम बच्चा जब घर में रोने लगे तो मां उसे खिलौने देने की बजाय मोबाईल हाथ में पकड़ा देती है, यही बच्चे के लिए धीरे धीरे आदत बन जाता है और इसके दुष्परिणाम झेलना पड़ते है। मोबाइल के अंदर गुण एवं अवगुण दोनों प्रकार की सामग्री है, बच्चे अवगुणों को जल्दी सीखते है,इस लिए बच्चों के दैनिक कार्यों पर नजर रखे। बच्चों से मोबाईल की लत छुड़वाना ओर सही दिशा में ले जाना माता पिता का कर्तव्य है। बड़े भी जब मंदिर में पूजा पाठ करते उस वक्त भी उनसे मोबाईल नहीं छूटता। यह एक विचारणीय स्थिति है। पहले मंदिरों में धार्मिक पाठशाला का आयोजन होता था,लेकिन अब यह पाठशालाऐ या तो बंद हो गईं है या फिर ऑन लाईन हो गई है। बच्चों को फिर से पाठशाला में धार्मिक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से पुरस्कृत करने का कार्य कर पुनः बच्चों को आकर्षित करना होगा। धर्म सभा में बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद थे।