खानपुरा में रावण का पुतला दहन नहीं पूजा की जाती

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खानपुरा में होने वाले दशहरा उत्सव की तैयारी को लेकर नपाध्यक्ष श्रीमती गुर्जर ने निरीक्षण किया
मंदसौर। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी खानपुरा में नामदेव समाज के द्वारा दशहरा उत्सव का आयोजन किया जाना है इस उत्सव की तैयारी को लेकर नपाध्यक्ष श्रीमती रमादेवी बंशीलाल गुर्जर ने नगर पालिका के सभापति गणो, पार्षदगणों के साथ खानपुरा के दशहरा उत्सव का निरीक्षण किया और नगरपालिका कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।नपाध्यक्ष श्रीमती गुर्जर के साथ इस मौके पर नगरपालिका सभापति गण श्रीमती निर्मला नरेश चंदवानी, श्रीमती दीपमाला मकवाना, क्षेत्रीय पार्षद भावना जयप्रकाश पमनानी युसूफ गोरी कमलेश सिसोदिया माया भावसार नगरपालिका कार्यपालन यंत्री श्री पी एस धार्वे, शासकीय महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष नरेश चंदवानी पूर्व पार्षद राकेश भावसार, नगरपालिका उपयंत्री श्री एसपी सिंह नामदेव समाज के अध्यक्ष अशोक बघेरवाल, सचिव राजेश मेडतवाल एवं कई गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
नपाध्यक्ष श्रीमती गुर्जर को नगर पालिका कार्यपालन यंत्री श्री धारवे ने अवगत कराया कि रावण की प्रतिमा का रंग रोगन वह मरम्मत कार्य जो प्रतिवर्ष होता है वह इस वर्ष भी पूर्ण कर लिया गया है यहां के मैदान की सफाई एवं अन्य कार्य भी जारी है दशहरा उत्सव के लिए नपाध्यक्ष श्रीमती गुर्जर ने सभी आवश्यक कार्य करने के निर्देश भी दिए।
उल्लेखनीय है कि मंदसौर शहर के खानपुरा में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता। खानपुरा में रावण की पूजा की जाती है। किवंदती है कि रावण की पत्नी मंदोदरी, मंदसौर की बेटी थी।लोग रावण को इलाके का दामाद मानते हैं. यहां रावण की करीब 41 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदसौर शहर के खानपुरा में जहां दशहरे पर सुबह नामदेव समाज जन पूजन करने के लिए आते हैं। तथा शाम को रावण की पक्की बनी प्रतिमा का सांकेतिक वध करते हैं।मान्यता है कि यहां रावण के पैर में धागे बांधने से बीमारियां दूर होती हैं. रावण को बाबा कहकर पूजते हैं. धागा दाहिने पैर में बांधे जाते हैं. साथ ही क्षेत्र की खुशहाली, समाज सहित शहर के लोगों को बीमारियों से दूर रखने, प्राकृतिक प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है।रावण के 10 मुख होते हैं लेकिन बुद्धु भ्रष्ट होने के प्रतीक के रूप में मुख्य मुंह के ऊपर गधे का सिर लगाया गया है।