यूजीसी का कड़ा फैसला:जबलपुर की छह यूनिवर्सिटियों को डिफॉल्टर लिस्ट में डाला

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जबलपुर। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी यूजीसी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जबलपुर के छह विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर घोषित किया है सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों की शिकायत के निराकरण के लिए समिति के गठन और लोकपाल की नियुक्ति में लापरवाही का दोषी पाया गया है।यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को निर्देश देते हुए कहा था कि अपनी वेबसाइट और कैंपस के प्रमुख जगहों पर लोकपाल और छात्र शिकायत निवारण समिति की जानकारी और फोन नंबर प्रदर्शित करें। इसके लिए 31 दिसंबर 2023 की डेडलाइन तय की थी, लेकिन दिए गए समय में इन विश्वविद्यालयों ने लोकपाल नियुक्त नहीं किए।
ये विश्वविद्यालय हुए डिफॉल्टर घोषित
इसके अलावा ज्यादातर विश्वविद्यालयों में कोरोना काल के बाद से शिकायत निवारण समिति का पुनर्गठन लंबित है। छह विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर घोषित किया गया है उनमें नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, रानी दुर्गावती विश्विवद्यालय, धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और महर्षि महेश योगी वैदिक विवि, जबलपुर शामिल हैं।
अप्रैल 2023 को लोकपाल की नियुक्ति का आदेश जारी हुआ
बता दें कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को 11 अप्रैल 2023 को छात्र शिकायत निवारण प्रकोष्ठ और लोकपाल की नियुक्ति का आदेश जारी किया था। इस नोटिस पर 30 दिन में कार्रवाई करके जवाब देना था।यूजीसी ने इसके बाद कई बार नोटिस जारी करके विश्वविद्यालयों को सतर्क किया। आखिर में 31 दिसंबर का अंतिम नोटिस का भी निर्देश नहीं मानने के बाद सभी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया।
विश्वविद्यालयों में लोकपाल की मौजूदगी इसलिए होती है जरूरी
यूजीसी के बार-बार नोटिस जारी करके आगाह करने के बाद भी विश्वविद्यालयों लापरवाही बरती। नियमों और आदेशों को लेकर कई बार छात्रों की विश्वविद्यालयों प्रशासन ने ठन जाती है। इन मामलों का समाधान शिकायत निवारण कमेटी भी नहीं कर पाती है। इस स्थिति में लोकपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। लोकपाल को फीस, एग्जाम, प्रवेश पात्रता, मारपीट, उत्पीड़न सहित भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
विश्वविद्यालयों में छात्रों की सामने आती हैं शिकायतें
वहीं, सरकारी और प्राइवेट विश्वविद्यालयों दोनों में ही छात्रों की कई तरह की शिकायतें सामने आती हैं। लोकपाल के रुप में तीसरे पक्ष की उपस्थिति से छात्रों को न्याय की उम्मीद रहती है, लेकिन विश्वविद्यालय बाहरी हस्तक्षेप से बचने की कोशिश करते हैं। इसलिए लोकपाल की नियुक्ति में ढुलमुल रवैया रखते हैं।
यूजीसी रेग्युलेशन के तहत रोक सकती अनुदान
डिफाल्टर लिस्ट में आने वाले विश्वविद्यालयों को यूजीसी से मिलने वाली मदद पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। यूजीसी अपने रेग्युलेशन के तहत अनुदान रोक सकती है। सरकार की अन्य योजनाओं के तहत अनुदान को भी रोकने की कार्रवाई सकती है।