आलेख/ विचारनीमचमध्यप्रदेश

पेड़ों को काटने एवं पानी की बर्बादी की सजा है बढ़ता तापमान

अभी तो हिट वेव एवं लु के गर्म – गर्म थपेड़े है ,समय पर न चेते तो आने वाले समय अंगारों की बारिश भी झेलना पड़ सकती है

किशोर बागड़ी
  पर्यावरण मित्र नीमच ( म.प्र.)
            प्रकृति ने प्राणी जगत को जीवन जीने के लिए सब कुछ दिया बदलें में स्वार्थ की खातिर जल, जंगल और जमीन को नष्ट कर जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के दोष का नतीजा है कि देश भर में तापमान 40 डिग्री से 55 डिग्री तक पहुंच रहा है, तीखी धूप जहां झुलसा रही है, वहीं गर्म लपटें झकझोर रही है, मानों आसमान से आग बरस रही है,कोरोनाकाल से हमने शुद्ध वायु आक्सीजन की कीमत का सबक नहीं लिया इसलिए कुदरत ने हमें बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए चेतावनी दी है,अब भी हम प्रकृति को हरा भरा न करेंगे तो हमें आने वाले समय में बारिश की जगह अंगारे बरसते देखने की नौबत आ सकती है, उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है,लोग कहते हैं कि यह तो सिर्फ पेड़ो को काटे जाने की सजा दी गई है इस भीषण गर्मी से आप और हम सभी घबरा गए हैं| अभी तो पानी की बर्बादी ओर जमीन को जहरयुक्त बनाने के पापों का भी हिसाब चुकता होना है, हमें अपने रहन सहन में कैसे जीवन जीना है यह भी भुल गए हैं, एक एक बात याद दिलाने के लिए अब प्रकृति ने भी कमर कस ली है, भुगर्भ जल का स्तर अब कहां तक पहुंच गया है इसका सीधा उदाहरण बैंगलोर जैसे शहरो में ही देख सकते हैं,  ज़मीन के अन्दर का पानी पेड़ पौधों के लिए है उसे भी न बक्षते हुएं गाड़ियां धोने में,रोड़ बनाने में,उधोगों में,खेती एवं मकान निर्माण के लिए भूगर्भ के मिठे जल का दोहन किया जा रहा है,पाताल के पानी का भी दोहन करने लगे हैं,मनुष्य पेड़ पौधों के जीवन को तो नष्ट कर ही रहा है साथ ही जल दोहन का
असर जीव जंतु पशु पक्षी मनुष्य पर भी पड़ रहा है , पर्यावरण,जैव विविधता की क्षति से कई प्रजातियों के पेड़ पौधे,जीव जन्तु विलुप्त हो रहे हैं,
बढ़ते तापमान से उतर प्रदेश में 51 राजस्थान 35 लोग बढ़ते तापमान के कारण उनकी मृत्यु हो गई, इस प्रकार देश के कई राज्यों में लु के थपेड़ो से अकाल मृत्यु हुई होगी,कोटा,बुंदी में अनगिनत केस ऐसे भी देखे हैं  ,
बुजुर्ग लोग तो चक्कर खा खा कर गिर ही रहे हैं नौजवान लोग पशु पक्षी भी इस भीषण गर्मी की चपेट में चक्कर खाकर गिर रहे हैं
जिसका इलाज डॉक्टर के पास भी नहीं है डॉक्टर का कहना है रेस्ट करें घर में रहे
अब सवाल यह आता है एक गरीब आमजन परिवार घर में रेस्ट के लिए बैठता है तो उसके साथ परिवार में 6 से 7 सदस्य क्या खायेंगे
यानी की मजबूर मजदूर और किसान घर में रहता है तब भी मरा घर से बाहर निकला तब भी मरा
ऐसी स्थिति आज हमारे देश में हमारे कुछ उद्योगपतियों के कारण नेताओं सरकारों के कारण शासन प्रशासन के कारण व्यवस्थित हो गई है
अब लड़ाई यह आती है इनके खिलाफ लड़ाई किस तरह लड़ी जाए क्या योजना बद्ध तरीका बने क्योंकि आमजन गरीब और मजदूर व्यक्ति इस पर्यावरण प्रकृति भूगर्भ जल का दोषी नहीं है दोषी है तो सरकार शासन प्रशासन नेतागण अगर सरकार शासन प्रशासन योजना बद्ध तरीका से इच्छा शक्ति और मन से इस देश में पेड़ पौधे अधिक से अधिक लगाकर संरक्षण कर जल दोहन का बचाव उच्च स्तर पर कर युद्ध स्तर की तरह कार्य करें
तब कहीं जाकर इस भीषण गर्मी के बढ़ते 50 पार तापमान को कई वर्षों में रोका जा सकता है।

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