आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश

भारतीय संस्कृति के उन्नायक भगवान् परशुराम…

परशुराम जयंती पर विशेष-
भारतीय संस्कृति के उन्नायक भगवान् परशुराम…
डॉ. रवींद्र कुमार सोहोनी

भारतीय सभ्यता और संस्कृति के इतिहास को वेदों से प्रारम्भ करने की एक स्वस्थ और सुदीर्घ परम्परा रही है। वेद अत्यन्त ओजस्वी तथा तेजस्वी जाति के भावनात्मक और बौद्धिक उद्गारों का अक्षय भण्डार है। वेदों में उत्साह, आशावाद तथा स्वर्णिम भविष्य की कल्पना भरी हुई हैं। वैदिक धर्म मूलतः कर्म आधारित है। वेदों के मूल में एक विश्वास है कि मानव प्रकृति का एक अंश मात्र है तथा उसका भविष्य प्रकृति का सहयोग प्राप्त करने पर निर्भर है। प्रकृति पर कोई विजयष् प्राप्त कर सकता है, यह वैदिक ऋषियों की कल्पना से भी बाहर है। इन तमाम मनीषियों ने अनेक अनुष्ठानों का विधान करके प्राकृतिक शक्तियों के दैवी स्वरूपों को प्रसन्न करने का प्रयास किया है।
वैदिक चिंतन का महत्व दो कारणों से है, सम्भवतः विश्वभर के आधारभूत प्रश्नों को उठाएं जाने का प्रथम प्रमाणित दृष्टांत है। दूसरा विश्व प्रक्रिया के मूलतः नियमाधीन होने में विश्वास वेदों के ऋत सिद्धांत में मिलता है। ऋत एक निर्वैयक्तिक नियम है जिसमें भौतिक और नैतिक तत्त्व समाहित हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति का यह मौलिक चिन्तन प्रारम्भ से ही मानव केन्द्रित रहा है। इस मानव केन्द्रित यज्ञशाला में जिन भी मनीषियों ने अपने ज्ञान, विचार और कर्म की समिधा आहुति के रूप दी है, उनमें ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के सुपुत्र ष्रामष्का नाम अत्यन्त जाज्वल्यमान नक्षत्र के रूप में निर्विवाद रूप से प्रतिष्ठित है, राम अपने माता पिता की प्रेरणा से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर किशोरवय में ही भगवान् शिव की कठोर तपस्या हेतु हिमालय की कंदराओं में चले गए थे। कठोर तपस्या, अडिग विश्वास और अपरिमित श्रद्धा के बल पर वे आशुतोष भूतभावन भगवान् शिव को प्रसन्न करने में सफ़ल रहे, तथा उनकी कृपा के प्रसाद के रूप में ‘परशु’ (फ़रसा) प्राप्त करने में सफल रहे। भगवान् शिव के दिव्य परशु को धारण करने के फलस्वरूप ही जमदग्नि पुत्र राम कालान्तर में परशुराम के नाम से समाज में प्रतिष्ठित हुए।
त्रेता युग में जन्में भगवान् परशुराम को कई आख्यानों में भगवान् विष्णु का छठवां अवतार भी निरूपित किया है। भगवान् परशुराम का चरित्र अदभुत, अद्वितीय और कई अर्थों में निर्वचन से परे है इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है। परशुराम एक ऋषि, एक महान् योद्धा ही नहीं अपितु एक महान् आचार्य के रूप में भी पूजित हैं। महाभारत काल में आपने स्वनामधन्य गंगा पुत्र भीष्म, गुरुश्रेष्ठ द्रौणाचार्य और महारथी कर्ण को अस्त्र, शस्त्र की शिक्षा प्रदान की।
भगवान् परशुराम का सम्पूर्ण जीवन सादगी, तपस्या, धर्म पालन और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का आदर्श प्रस्तुत करता है। यह कहा जाता है कि परशुराम ने इक्यावन बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया था, यह कहकर इसी आधार पर ब्राह्मणों और क्षत्रियों को एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति की जड़ों में मट्ठा डालने के कुत्सित कार्य और प्रयास शताब्दियों से चल रहे हैं। इस हेतु ब्राह्मणों और क्षत्रियों दोनों वर्णों के महानुभावों को इस घटना का प्रतीक शास्त्र गंभीरता से समझना होगा, वह की भगवान् परशुराम ने केवल कामी, क्रोधी अन्यायी, भ्रष्ट, दुराचारी, मानव सेवा से विमुख क्षत्रिय आतातायियों का विनाश कर समाज कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। इसी कारण भगवान् परशुराम आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में एक प्रेरणास्रोत के रूप में पूज्य हैं।
परशुराम समाज को यह प्रेरणा प्रदान करते हैं कि शक्ति का उपयोग अपनी अस्मिता,धर्म और न्याय की रक्षा करने के लिए किया जाना चाहिए। भगवान् परशुराम शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता होने के साथ ही अदभुत योद्धा भी हैं। उनके क्रोध और संयम का सन्तुलन हमें रामायण में माता सीता के स्वयंबर में धनुष भंग प्रसंग में स्पष्ट देखने को मिलता है।
वर्तमान काल में भगवान् परशुराम का आदर्श जीवन हम सभी को यह प्रेरणा प्रदान करता है कि जब भी समाज व्यवस्था में अधर्म, अन्याय, अत्याचार जैसे दुर्गुण विकसित होने लगे तो शक्ति का संयमपूर्वक उपयोग कर समाज और राज व्यवस्था को सुधारा जाना चाहिए। शक्ति, ज्ञान, पराक्रम के गुणों से परिपूरित भगवान् परशुराम का चरित्र केवल ब्राह्मणों के लिए ही नहीं, अपितु समूचे भारतीय समाज के लिए एक महनीय आदर्श है, भारतीय संस्कृति में चिरंजीवी परशुराम को युगों युगों तक स्मरण किया जाएगा। सभी सनातनियों को परशुराम जयंती की अनंत शुभकामनाएं और बधाई।
इति शुभम् . . .
डॉ रवींद्र कुमार सोहोनी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}