22 जनवरी को हो रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों ने कहा कि ये समय हर्ष का
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22 जनवरी को हो रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश के सभी शंकराचार्यों के अलग रहने के दावे का 2 शंकराचार्यों ने खंडन कर दिया है. श्रृंगेरी शारदा पीठ के वर्तमान शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु भारती तीर्थ और शंकराचार्य मठ द्वारकाशारदा पीठ गुजरात के जगद्गुरु शंकराचार्य शामिल हैं. दोनों ने समारोह का स्वागत किया है।
शंकराचार्यों के अलग रहने के दावे का खंडन करते हुए श्रृंगेरी शारदा पीठ के वर्तमान शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु भारती तीर्थ और शंकराचार्य मठ द्वारकाशारदा पीठ गुजरात के जगद्गुरु शंकराचार्य ने राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत किया है।शंकराचार्य ने कहा कि ये समय हर्ष का है
शंकराचार्य मठ द्वारका शारदा पीठ गुजरात के जगद्गुरु शंकराचार्य ने बताया कि राम जन्मभूमि प्राप्त करने के लिए रामालय ट्रस्ट एवं राम जन्मभूमि पुनरुद्वार समिति के माध्यम से शंकराचार्य ने अनेक अनेक प्रयास किए थे. लगभग 500 वर्षों का विवाद समाप्त हुआ है. यह सनातन धर्मावलंबियों के लिए प्रसन्नता का अवसर है. हम चाहते हैं कि अयोध्या में होने जा रहे परमात्मा श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सभी कार्यक्रम वेद शास्त्र अनुसार धर्म शास्त्रों के मर्यादा का पालन करते हुए विधिवत संपन्न हो।शंकराचार्य ने किया समारोह का स्वागत
पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए न्यौता मिला है, लेकिन इसमें उन्हें केवल एक आदमी के साथ आने के लिए कहा गया है.
यदि 100 आदमी के साथ भी आने का न्यौता होता तो भी वह इस समारोह में नहीं जाते. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि वह भगवती सीता को पहले अपनी बड़ी बहन मानते थे, लेकिन वह खुद छोटी बहन बनना पसंद करती हैं. उनके इस रिश्ते को कोई तोड़ नहीं सकता. ऐसे में उन्हें अयोध्या से कोई परहेज हो ही नहीं सकता।