नेताओं के करीबियों को फिर मिलेगी मंडल की कमान

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विधायकों ने महिलाओं को मंडल अध्यक्ष पद देने से संगठन को कर रहे ना!
मध्यप्रदेश भाजपा अपने संगठनात्मक चुनाव में भले ही प्रक्रिया या रायशुमारी की बात कर रही हो, महिलाओं को भी 33 प्रतिशत्त मंडल अध्यक्ष बनने के लिए केंद्रीय नेतृत्व कह रहा हो लेकिन लेकिन हकीकत तो यह है कि महिलाओं को जगह बहुत ही काम मिलने की उम्मीद है! तकरीबन 30 प्रतिशत से ज्यादा मंडलों में मौजूदा अध्यक्ष फिर से कुर्सी संभालेंगे। ये वे नेता होंगे, जो दिग्गज विधायकों के करीबी होंगे, जिन्होंने संगठन को बता दिया है कि मौजूदा मंडल अध्यक्ष ही पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीता सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश भर में भाजपा के संगठनात्मक दृष्टि से 1080 मंडल हैं, जो बढ़कर 1300 के लगभग हो जाएंगे, यानि कि 15 दिसम्बर से पहले मध्यप्रदेश भाजपा के 1300 मंडलों की कमान कौन संभालेगा, यह तय हो जाएगा। इसके लिए महज 4 दिन ही शेष बचे हैं और लगभग हर मंडल में अध्यक्ष पद के लिए बूथ अध्यक्षों से रायशुमारी तो वरिष्ठ नेताओं की सहमति ली जा रही है।
हालांकि पार्टी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि अधिकांश मंडलों के लिए अध्यक्ष तय कर लिए गए हैं। इनमें से तकरीबन 4 सौ मौजूदा अध्यक्षों को एक बार फिर से कमान सौंपी जा सकती है। ये सभी अध्यक्ष या तो स्थानीय विधायकों के करीबी (समर्थक) हैं या फिर वरिष्ठ नेताओं के खास बताए जा रहे हैं। बताया गया है कि इन नामों की सिफारिश करते हुए विधायकों ने संगठन को साफ किया है कि यदि उनकी सीट से दोबारा पार्टी को जीत दिलानी है, तो मंडल अध्यक्ष को एक बार फिर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जाए, क्योंकि उसने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए जहां बेहतर काम किया है, तो वहीं संगठन पर्व (सदस्यता अभियान) में अच्छा काम किया है।
इस बार भी महिला को मिलेगा पद या रहेंगी उपेक्षित ?
केंद्रीय नेतृत्व संगठन ने 33% पद देने के लिए जब से कहा है तब से महिलाओं के चेहरे खिले हुए हैं कई ऐसी महिलाएं संगठन में अच्छा काम किया है जिससे उन्हें मंडल अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है ! लेकिन सूत्र बताते हैं कि अपने क्षेत्र में विधायक महिलाओं को मंडल अध्यक्ष नहीं बनना चाहते जिससे महिलाओं को इस बार भी शायद उपेक्षित ही रहना पड़ सकता है ? एक महिला पदाधिकारी ने बताया कि अगर इस बार भी संगठन ने हमारे साथ ना इंसाफ की तो आने वाले विधानसभा लोकसभा नगरीय चुनाव में संगठन के कहने पर काम नहीं करेंगे! क्या महिलाएं सिर्फ दरी बिछाएंगी , जिन्दाबाद के नारे लगाते रहेंगे, हमारा भी आत्म सम्मान है।