कथा चतुर्थ दिवस कृष्णाजन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया
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मनुष्य को वही मिलता है जो वह देता है,जो मनुष्य जैसे कर्म करता है वह वैसे ही फल भोगता है-पं. शास्त्री
गरोठ- प्रसिद्ध कथावाचक तिलकराज शास्त्री जी महाराज के पावन सानिध्य में स्थान दुधाखेड़ी माताजी के समीप गांव टुंगनी जिला मन्दसौर में 18 से 24 दिसम्बर 2023 तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत भगवान बांके बिहारी की प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को “स्वर्गा से आयो रे संदेश, नन्द के आनन्द भयो भजन का श्रवण कराया।
मनुष्य पर लक्ष्मी की कृपा होने चाहिए, क्योंकि लक्ष्मी से ही मनुष्य अपने धर्म का पालन करता है।
जब मनुष्य पर लक्ष्मी आती है यब मनुष्य में अहंकार आ जाता है, और उस लक्ष्मी का दुरूपयोग करता है। अगर हम भगवान से लक्ष्मी मांगते हैं तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे अपने घर में सफाई रखे, क्यूंकि लक्ष्मी माता के आस-पास सफाई रखने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं। स्त्री को बिना नहाएं रसोईघर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य जब तक नहाता नहीं है जब तक उसके पास नर्क घूमता रहता है।
जब मनुष्य अपना मन धर्म में लगा लेता है, तब भगवान भी उस मनुष्य को दिल खोल कर देना शुरू कर देते हैं। इसलिए मनुष्य को सदैव अपने जीवन में सत्कर्म करने चाहिए, मनुष्य का मन बुरे काम में ही लगता है।कहते हैं, की जो मनुष्य जैसे कर्म करता है वह वैसे ही फल भोगता है।मनुष्य को वही मिलता है जो वह देता है अगर मनुष्य किसी को शांति देगा तो उस मनुष्य को शांति ही मिलेगी।
शास्त्रों में कहा गया है भगवान नाराज़ हो जाये तो उन्हें मना लिया जाता है, लेकिन अगर पितृ नाराज़ हो जाते हैं तो घर में कलेश होना शुरू हो जाता है, और जो पितृ को नाराज करता है उनका कभी भी काम नहीं बनता और ना ही उनका वश आगे बढ़ता है। किसी के भी कमरे में पितरों की छवि नहीं रखनी चाहिए। मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार ही सजा दी जाती है, जो जैसे कर्म करेगा वैसा ही फल पायेगा।
अगर मनुष्य भगवान के नाम में लग जायेगा तो उस मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जायेंगे। जो व्यक्ति पाप अधिक करते हैं उन्हें यमराज सजा देते हैं। आज का मनुष्य रामायण और महाभारत इसलिए नहीं सुनना या पढ़ना नहीं चाहता क्योकि उसे अपने जीवन में बुरे कर्म करने होते हैं। नर्क में वह मनुष्य जाते हैं, जो अपने आप पर अहंकार करते हैं।नर्क से बचने का उपाए यह है, कि मनुष्य को भगवान की शरणागति लेनी चाहिए, इससे मनुष्य की दुर्गति नहीं होती है।