वसूली का जरिया बन गए थे खुले में मांस-मछली बेचने से रोकने के नियम, अब सख्त हुई सरकार

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लोगों के जीवन से जुड़ा विषय होने के बाद भी इन पर नियमों का पालन अभी तक नहीं हो रहा था।
✍🏻विकास तिवारी
भोपाल। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने शपथ लेते ही खुले में मांस-मछली बेचने वाली दुकानों पर रोक लगाने के निर्देश दिए। इस फैसले को प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। इसकी एक वजह यह है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी इस पर सख्ती कर रही है। उधर, राजस्थान में भाजपा विधायक बालमुकंद आचार्य भी अपने राज्य में इसे कड़ाई से लागू करवाने के लिए आगे आए हैं।
इन सबके बीच सच्चाई यह है कि अलग-अलग नियमों के अंतर्गत खुले में मांस-मछली की बिक्री पर रोक के नियम वर्षों पहले से प्रदेश में लागू हैं। लोगों के जीवन से जुड़ा विषय होने के बाद भी इन पर नियमों का पालन अभी तक नहीं हो रहा था। संबंधित विभागों के लिए इनका पालन करवा वसूली का माध्यम बना हुआ था।
अब जाकर इस पर सख्ती शुरू हुई है। प्रदेश भर में एक-दो दिन में कार्रवाई होगी। बता दें, मांस को मात्र स्लाटर हाउस में काटा जा सकता है, प्रदेश में इसका पालन भी नहीं हो रहा था। अधिकांश दुकानों में ही जानवरों व पक्षियों को काटकर बेचा जाता है। इससे पेयजल भी प्रदूषित होने का खतरा रहता है।
देशभर में वर्ष 2011 से लागू खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम कहता है कि खाने की चीजों को खुला रखने और उनके सेवन से जीवन का खतरा रहता है। ऐसे में इन्हें ढंककर रखा जाना चाहिए। इन्हें काले कांच के अंदर रखने का नियम है।
इन्होंने ने क्या कहा इसके बारे मे
इस संबंध में नगरीय निकायों के नियम पहले से हैं पर सरकार के स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं हुआ था। खुले में मांस-मछली की दुकानें संचालित होने पर कार्रवाई कलेक्टरों को करनी है। साथ में नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम भी रहेगी।
– भरत यादव, आयुक्त,
नगरीय विकास एवं आवास
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के शेड्यूल-4 में स्पष्ट प्रविधान है कि खाने-पीने की चीजों को ढंककर रखा जाए। हाइजीन बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था की गई है। मांस-मछली में बैक्टीरिया बहुत जल्दी लग जाते हैं, जिससे सामग्री खराब हो जाती है। दुकान कहां होनी चाहिए यह देखना नगरीय निकायों का काम है पर खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार चल रही हैं या नहीं इसकी जांच खाद्य सुरक्षा अधिकारी करेंगे।
देवेंद्र दुबे, मुख्य खाद्य सुरक्षा
अधिकारी, भोपाल
नियम पहले से है। हमारी सरकार इसका पालन भी करवा रही थी, लेकिन अब दिक्कतें ज्यादा बढ़ गई हैं, इसलिए यह नियम सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पड़ी। यह स्थिति है कि लटकता हुआ मांस देखकर महिलाएं-बच्चे डर जाते हैं। यह कोई राजनीतिक कदम नहीं है।
रजनीश अग्रवाल, प्रदेश सचिव,
मध्य प्रदेश भाजपा
हाल ही में मुख्यमंत्री ने शपथ ली है। सरकार को जनता ने चुना है। वह जो निर्णय ले स्वागत योग्य है। इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है।
केके मिश्रा, अध्यक्ष,
प्रदेश मीडिया विभाग, कांग्रेस