मध्यप्रदेश में पहली बार 8 दिन में भी भाजपा नहीं चुन सकी मुख्यमंत्री, जानें क्यों आ रही है दिक्कत

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मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, ये चुनाव परिणाम आने के 8 दिन बाद भी तय नहीं हो सका है. बीजेपी मध्यप्रदेश में 2003 से काबिज है. सिर्फ 2018 में 15 महीने के लिए कांग्रेस सरकार आई थी, शेष समय बीजेपी का ही शासन मध्यप्रदेश में रहा है. लेकिन इतना वक्त बीजेपी को पहले कभी नहीं लगा, जितना इस बार लग रहा है. ऐसे क्या कारण हैं जिसकी वजह से इस बार बीजेपी के अंदर सीएम के चयन को लेकर इतनी हलचल मची हुई है और वे नाम तय नहीं कर पा रहे हैं.
मध्यप्रदेश की राजनीति को लंबे समय से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार धनंजय प्रताप सिंह बताते हैं कि बीजेपी के अंदर इस बार सीएम कैंडिडेट की संख्या अधिक है. इससे पहले बीजेपी ने जब भी विधानसभा चुनाव लड़ा, हमेंशा सीएम फेस चुनाव से पूर्व घोषित करके लड़ा है.
लेकिन ये पहली बार है कि बीजेपी ने चुनाव से पहले अपना सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया और अब 18 साल शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहने के बाद बीजेपी में कई अन्य उम्मीदवार भी सामने आ गए हैं. यही वजह है कि इस बार बीजेपी के संसदीय दल की बैठक के बाद भी पर्यवेक्षक नियुक्त करके रायशुमारी करवाना पड़ रही है. इसलिए इसमें इतना समय लग रह है.
आपको बता दें कि बीजेपी ने 2003 में उमा भारती को अपना सीएम कैंडिडेट चुनाव परिणाम आने के 3 दिन के अंदर घोषित कर दिया था. इसके बाद 2008 में चुनाव परिणाम आने के बाद 2 दिन के अंदर बीजेप ने सीएम घोषित कर दिया था. इसके बाद 2013 में सिर्फ 5 दिन में और 2020 के उप चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद 3 दिन के अंदर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री चुन लिया गया था. लेकिन इस बार मामला फंस गया है.
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर करेंगे रायशुमारी
बड़ा ही दिलचस्प है कि इस बार मध्यप्रदेश में कौन सीएम बनेगा, इसके लिए विधायकों से रायशुमारी करने की जिम्मेदारी हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और दो अन्य पर्यवेक्षकों पर है. हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर सभी विधायकों से वन टू वन चर्चा करेंगे. मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, वीडी शर्मा सहित कई अन्य नेता भी सीएम उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं।