आलेख/ विचारमंदसौरमंदसौर जिला
गौरव गाथाओं की अभिव्यक्ति है मंदसौर गौरव दिवस-नंदकिशोर राठौर

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– नन्दकिशोर राठौर
मन्दसौर
मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों से पिछले वर्ष से प्रदेश के प्रमुख शहरों के स्थापना दिवस का आंकलन कर उस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने का एक क्रम प्रदेश में उदित हुआ। इसी क्रम में मंदसौर की स्थापना की खोज का प्रयास हुआ। मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर श्री गौतमसिंह ने इस विषय को सांसद श्री सुधीर गुप्ता, तत्कालीन विधायक श्री यशपालसिंह सिसौदिया, हुडको डायरेक्टर श्री बंशीलाल गुर्जर व नपाध्यक्ष श्रीमती रमादेवी गुर्जर के साथ नगर के वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेन्द्र लोढ़ा, प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री ब्रजेश जोशी, इतिहासकार श्री कैलाशचन्द्र पाण्डे एवं नगर के प्रबुद्धजनों से इस विषय पर चर्चा की। सभी ने प्रयास किया तो निकलकर आया कि मंदसौर जिसका प्राचीन नाम दशपुर था इसी स्थापना का काल सूर्य मंदिर की स्थापना के समय का रहा। उस काल में औलिंकर वंश के सम्राट यशोधर्मन ने एशिया की बर्बर जाति हूणों के साथ युद्ध किया था और हूणों के सरदार मिहिर कुल को हराया था। इस विजय के बाद विजय स्तम्भ बनवाया था जो आज मंदसौर से 8 कि.मी. दूर सौंधनी में आज भी विद्यमान है।
अफजलपुर जिसका पुराना नाम मढ़ था वहां पर सूर्य भगवान की प्रतिमा मिली जो उसी काल की थी उसे अफजलपुर के मंदिर में रखा गया। सूर्य प्रतिमा एवं यशोधर्मन की हूणों पर विजय का काल दशपुर की स्थापना का काल माना गया फिर भी उस काल को एक दिवस पर मनाने की कठिनाई का हल श्री ब्रजेश जोशी, श्री कैलाश पाण्डे ने संस्कृत के विभागाध्यक्ष नागपुर विश्वविद्यालय के डॉ. रामपाल शुक्ल से सम्पर्क किया जो वर्तमान में अहमदाबाद में निवासरत है। उन्होंने अपने अध्ययन एवं कालों की गणना का आंकलन कर 8 दिसम्बर का दिन दशपुर याने मंदसौर का स्थापना दिवस माना। उपर्युक्त सभी विद्वजनों के अथक प्रयास से मंदसौर का गौरव दिवस निश्चित हो पाया। फिर इस दिवस को मनाने के लिये नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की समिति बनी। समिति ने तय किया कि, सौंधनी के विजय स्तम्भ के औलिंकर वंश सम्राट यशोधर्मन की मूर्ति को दशपुर नगर में स्थापित किया जाय। समिति के मार्गदर्शन में मूर्ति ने आकार लिया और पहली बार सम्राट यशोधर्मन की प्रतिमा को तेलिया तालाब पर स्थापित किया गया। इस प्रतिमा का अनावरण म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने गत वर्ष किया। साथ ही नगर के डॉ. विजयशंकर मिश्र एवं श्रीमती निर्मला कोरोसिया को नगर रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर नगर में गौरव दिवस चल समारोह निकला व निर्माता निर्देशक प्रदीप शर्मा की फिल्म ‘यशोधर्मन’ का प्रदर्शन हुआ एवं नंदकिशोर राठौर द्वारा दशपुर गौरव गान की प्रस्तुति कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में की गई जो समसामयिक रही।
अफजलपुर जिसका पुराना नाम मढ़ था वहां पर सूर्य भगवान की प्रतिमा मिली जो उसी काल की थी उसे अफजलपुर के मंदिर में रखा गया। सूर्य प्रतिमा एवं यशोधर्मन की हूणों पर विजय का काल दशपुर की स्थापना का काल माना गया फिर भी उस काल को एक दिवस पर मनाने की कठिनाई का हल श्री ब्रजेश जोशी, श्री कैलाश पाण्डे ने संस्कृत के विभागाध्यक्ष नागपुर विश्वविद्यालय के डॉ. रामपाल शुक्ल से सम्पर्क किया जो वर्तमान में अहमदाबाद में निवासरत है। उन्होंने अपने अध्ययन एवं कालों की गणना का आंकलन कर 8 दिसम्बर का दिन दशपुर याने मंदसौर का स्थापना दिवस माना। उपर्युक्त सभी विद्वजनों के अथक प्रयास से मंदसौर का गौरव दिवस निश्चित हो पाया। फिर इस दिवस को मनाने के लिये नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की समिति बनी। समिति ने तय किया कि, सौंधनी के विजय स्तम्भ के औलिंकर वंश सम्राट यशोधर्मन की मूर्ति को दशपुर नगर में स्थापित किया जाय। समिति के मार्गदर्शन में मूर्ति ने आकार लिया और पहली बार सम्राट यशोधर्मन की प्रतिमा को तेलिया तालाब पर स्थापित किया गया। इस प्रतिमा का अनावरण म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने गत वर्ष किया। साथ ही नगर के डॉ. विजयशंकर मिश्र एवं श्रीमती निर्मला कोरोसिया को नगर रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर नगर में गौरव दिवस चल समारोह निकला व निर्माता निर्देशक प्रदीप शर्मा की फिल्म ‘यशोधर्मन’ का प्रदर्शन हुआ एवं नंदकिशोर राठौर द्वारा दशपुर गौरव गान की प्रस्तुति कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में की गई जो समसामयिक रही।