संसदीय क्षेत्र- कांग्रेस की राजनीति ,टिकट वितरण से ही पता चल गया था कि तीन सीटें तश्तरी में भेंट
//////////////////////////
संसदीय क्षेत्र- कांग्रेस की राजनीति-
टिकट वितरण से ही पता चल गया था कि तीन सीटें तश्तरी में भेंट
-विक्रम विद्यार्थी
मंदसौर
संसदीय क्षेत्र में टिकट वितरण होते ही कांग्रेस की राजनीति उजागर हो गई थी। प्रदेश नेतृत्व ने विधानसभा जावरा, सुवासरा, मल्हारगढ़ की सीटें भाजपा को भेंट कर दी। और चुनाव परिणाम ने इसे सिद्ध कर दिया। जनता ने एक लाख से अधिक वोटों से इन क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों को पराजित कर दिया।
आम मतदाताओं के मुखर होने के बाद कांग्रेस को उम्मीद हो चली थी कि मंदसौर, गरोठ, मनासा, जावद में कामयाबी मिल जाएगी किन्तु यह भी नहीं हो पाया। नीमच में कांग्रेस चाहती तो नन्दकिशोर पटेल, तरूण बाहेती को अवसर देती किंतु अपने समर्थक तथा एक जाति वर्ग ही की लगातार पराजय के बाद भी भरोसा किया गया। परिणाम सामने है। धनगर गायरी समाज की उपेक्षा तो कांग्रेस भाजपा दोनों ही दल कर रहे हैं जबकि संसदीय क्षेत्र में इसके मतदाता सबसे अधिक हैं। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व हाईकमान को सही रिपोर्ट क्यों नहीं देता। लगातार पराजय के बाद भी आंखें क्यों नहीं खुल रही है।
चार माह बाद लोकसभा चुनाव हैं यदि शीर्ष नेतृत्व ने सही निर्णय नहीं किया तो भाजपा तीसरी बार कांग्रेस को चित्त कर देगी। विधानसभा चुनाव में जैन समाज को पहले आठ में से चार तथा बाद में विरोध के बाद जावरा से टिकट काट कर बाहरी राजपूत को टिकट देकर कांग्रेस ने कबाड़ा कर दिया। इस घटना से कोई सबक सीखा जाएगा या नहीं। जावरा में श्रीमालजी को टिकट देकर काटना कौनसी रणनीति थी ?
विधानसभा चुनाव में कांग्रेेस ने जो गलतियां की वे दुहराई जाएंगी तो लोकसभा चुनाव में भी मातम मनाने को तैयार रहना होगा क्योंकि दो-दो तीन-तीन बार हारने वाले चंदाचोर अभी से लोकसभा का टिकट लेने का सपना देखने लगे हैं।
यदि कांग्रेस को लोेकसभा सीट पर भाजपा से दो चार होना है तो नए उम्मीदवार चाहे वह युवा हो या अनुभवी को अवसर देना होगा।
विधानसभा चुनाव में 8 में से 7 सीटों पर कड़ी पराजय के बाद भी कांग्रेस सबक सीखेगी। इसका जवाब तो लोकसभा के उम्मीदवार चयन से पता चल जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्रीद्वय श्री कमलनाथ, श्री दिग्विजयसिंह या कोई और अन्य क्षत्रप सही चयन कर ले तो लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की दिलचस्पी बढ़ जाएगी अन्यथा खाली अखाड़े में ढोल बजाने से कांग्रेस इस अंचल में मजबूत नहीं होगी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जो पिटाई हुई है उसकी टीस और गूंज तीन महिने खत्म होने वाली नहीं है।