योग निद्रा-रोगों से मुक्ति की रामबाण क्रिया

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योग गुरू सुरेन्द्र जैन मंदसौर
जब निद्रा की चर्चा होती है तो हमारे दिमाग में आराम का आभास होता है क्योंकि कहावत है कि ‘‘आराम बड़ी चीज है, मुँह ढककर सोइये’’ अब प्रश्न उठता है कि क्या हम अच्छी और गहरी नींद का आनन्द ले पा रहे है ? तो उत्तर अधिकतर नकारात्मक ही मिलता है। कारण हर व्यक्ति वर्तमान में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक तनाव के साथ-साथ कई रोगों से घिरा हुआ है। यही कारण है कि ये उलझने, समस्याये, तनाव हमें ठीक से सोने नहीं देती।
इन्हीं उलझनों, तनावों और समस्याओं से मुक्ति पाने के लिये योग के अंतर्गत योग निदा्र का प्रावधान है, ये एक ऐसी प्रभावकारी और चमत्कारी क्रिया है, जिसमें व्यक्ति आराम करते हुए अपनी चेतना शक्ति और आत्मशक्ति को जागृत करता है जो शरीर के अन्दर के प्रत्येक शिथिल अंगों को सक्रिय करके उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाती है। दूसरे शब्दों में ये एक प्राचीन साईंस है जो मन में बदलाव लाकर सकारात्मक सोच को बढ़ाता है। योग निद्रा का अर्थ है जाग्रत अवस्था में सोना, अर्थात सोने और जागने के बीच की अवस्था या यूं कहे कि स्वप्न और जागरण की अवस्था। जैसे साधारण नींद में अपना सूक्ष्म शरीर सक्रिय हो जाता है और हम सपनों की दुनिया में खो जाते है, उसी तरह योग निद्रा में हमारी चेतना शक्ति जागृत हो जाती है। स्वप्न में हम बाहर की दुनिया में चले जाते है और असंभव कार्य भी संभव होते हुए देखते है जो हकीकत नहीं होता, किन्तु योग निद्रा आपको आपके अन्दर की शक्तियों से मिलती है और संकल्प शक्ति को मजबूत करती है साथ ही उन्हें जाग्रह कर हर समस्या के समाधान की ओर ले जाती है। जब शक्ति के जाग्रत होने पर कोई संकल्प लेते है जो आप पूरा नहीं कर पा रहे थे, वो अवश्य पूरा होता है।
योग निद्रा के माध्यम से हम अपने तनाव को दूर कर सकते है, जिसे अनिद्रा की समस्या है, रात भर सो नहीं पाते वो गहरी नींद का आनन्द ले पाते है। कई तरह के रोग जैसे थकान, शारीरिक जकड़न, श्वासों की समस्या, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तानसिक प्रकृति, नशे की आदत ठीक होती है। साथ ही मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है, पुरानी बुरी आदतों से छुटकारा मिलता है। अपने शरीर के अन्दर के अंगों पर कंट्रोल होता है, मन शांत होता है, डिप्रेशन जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है, मन में सकारात्मक बदलाव आता है। दूसरे शब्दों में जादू की तरह जीवन में बदलाव लाने वाली क्रिया है।
इस क्रिया को लेटी हुई अवस्था में किया जाता है, इसके अलग-अलग चरण होते है, जिसमें समय बढ़ता जाता है। योग निद्रा मंे ली गई 30 मिनट की नींद पांच घण्टे की साधारण नींद के बराबर लाभ पहुंचाती है।