रतलाममध्यप्रदेशराजनीति

न मुद्दे न लहर, सोशल मीडिया पर वार प्रतिवार में हो गए चुनाव,अब बढ़े मत प्रतिशत के मायने तलाश रहे राजनीति व प्रत्याशी

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आवाम की खतरनाक खामोशी और प्रशासन की मशक्कत से बढा वोटिंग प्रतिशत, इस विधानसभा चुनाव में कईयों के मुगालते दूर होगे ?

✍️ पत्रकार राजेन्द्र देवड़ा

एंटी इंकम्बेंसी,अपनों की बगावत, त्रिकोणीय मुकाबलों की गहमा-गहमी के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित क्षेत्र आलोट में भी क्षत्रपों के साथ प्रत्याशियों की किस्मत 3 दिसंबर तक इलेक्ट्रानिक पेटी यानि ईवीएम में बंद हो गई है। चुनाव प्रचार में सितारों की चमक और वादे और घोषणाओं और लाली पॉपो की घनघोर बारिश के बाद भी इस बार न लहर नजर आई न मुद्दे प्रभावी रहे। लेकिन इसके पार्श्व में युवाओ और शासन प्रशासन व्दारा धीमे-धीमे ही सही लेकिन एक संकल्प दोहराया जाता रहा। यह संकल्प मतदान का था जिसके फलस्वरूप इस बार मतदाताओ ने बढ चढकर मतदान किया ।

शुक्रवार को उज्जैन संभाग व रतलाम जिले की आलोट तथा जावरा विधानसभा सीटों पर हुए मतदान का परिणाम जो भी होगा लेकिन मतदाताओं के दृढ़ संकल्प से मत प्रतिशत बढ़ाकर इस चुनाव को विशेष बना दिया। प्रदेश की राजनीति के प्रमुख प्रतिद्वंदी भाजपा-कांग्रेस तथा निर्दलीय नेता इस बढ़े मत प्रतिशत का विश्लेषण भले ही अपने-अपने अनुसार कर रहे हों रूझानों को लेकर पड़े गणित ज्ञान आलोट में प्रेमचन्द गुड्डू छोड़ गये प्रभाव जावरा में जीवन सिंह शेरपुर का वोटर करेगे निर्णय सभी प्रत्याशी टेंशन में आंकलन और गणित ज्ञान बने लोटन कबूतर,? लेकिन इतना तय है कि रतलाम जिले की आलोट जावरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने जागरुकता के पथ पर एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है।मताधिकार को लेकर मतदाताओं की जागरूकता के एक से बढ़कर एक अच्छे उदाहरण भी देखे गए है। इस विधानसभा चुनाव में।

चर्चित सीटों पर सबसे ज्यादा निगाहें

प्रदेश की त्रिकोणीय मुकाबले वाली सीटें, महू, धार, जावद, बड़नगर, मल्हारगढ़, आलोट, जावरा रही है।आलोट में दो सासंद और एक विधायक चुनाव लड़े है। वही जावरा से विधायक एवं एक युवा नेता तथा एक निर्दलीय चुनाव लड रहे है। आलोट से लेकर जावरा में भी शाम 6 बजे के बाद बूथ प्रभारियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर बढ़त और नुकसान का आंकलन करते रहे। यहां दोनो प्रमुख राजनीतिक दलो के प्रत्याशियों को भितरघात का सामना देखना पड़ा है। खासकर कांग्रेस मे भितरघात बगावत और अवसरवाद का खुलकर खेल देखने को मिला है और कुछ ज्यादा ही देखने को मिला है। एक और जहां पार्टी प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार से लड़ रहे है वही दुसरी और बगावत, भितरघात, दलबदल और अवसरवादी का डर भी उने सता रहा है। दलबदलु की छाप उन पर पहले से लगी हुई है। आलोट विधानसभा चुनाव में वोटो के प्रतिशत के आंकड़ों को देखते हुए तीनो प्रत्याशी अपनी अपनी जीत को लेकर अति उत्साहित है।

विधानसभा चुनाव का रंग सोशल मीडिया पर चढ़ा 

गायब हुए व्यंग- नारे इतिहास में बन गई चुनावी कला में कुछ शातिर तथाकथित नेता दलबदलु अवसरवादी और चाटुकार जी हजूरी वाले नेताओं ने प्रत्याशियों की टेंशन बढाई हुई है। कुछ तथाकथित पत्रकारों के कारण पत्रकार जमात को कही का नही छोड़ा प्रत्याशियों से सेटिंग कर उनके लिये बढ चढकर सोशल नेटवर्क पर खबरे चलाई इन तथाकथित पत्रकारों ने पत्रिकारिता को शर्मसार किया इस विधानसभा में चुनाव में,? जिसकी शिकायत प्रेस काउंसिल में होने वाली है। इस विधानसभा चुनाव में जो देखने को मिला वह आज तक नही देखा गया चुनाव आयोग के नियमों को ताक पर रखकर जिस तरह चुनाव में भंडारे चले इसे तो आम जन का भला हुआ है । लोगो को दोनो समय खाना पानी मिलता रहा ऐसे हाई-प्रोफाइल चुनाव आज तक जनता-जनार्दन को अब तक नही देखने को मिले है ?

इंटर्नेट का उपयोग

अब चुनाव में इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के लिए मार्केटिंग एजेंसियों का सहारा लिया गया है। उनके माध्यम से लुभावने आकर्षक नारे और पोस्टर मतदाताओं के मोबाइल पर क्यो भेजे थे वाइस काल के माध्यम से उम्मीदवारों ने मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाई। कईयों के मन में फुट रहे लड्डू अब विधानसभा चुनाव जो जीतेगा जिसके बाद समर्थको और नेता आपस में मंथन करेगे अब यही कहना होगा कि सापं निकल गया अब नेता और समर्थक लाठी पीट कर मंथन करेगे और हारने वाले आपस में लड़ेगे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आलोट की एक चुनावी जनसभा में आलोट विधायक मनोज चावला की जमानत दी थी जिससे कांग्रेस उम्मीदवार और उनके समर्थको में जोश भर गये थे।

अब देखना है 3 दिसंबर को क्या होता है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ताजा आलोट का भाष्य ऐसा होगा यह कल्पना तो खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सोचकर बोली होगी। आलोट विधानसभा से हर कोई प्रत्याशी अपनी जीत के परवान पर बैठा है क्यो ना हो चुनाव के समय खुब भण्डारे चले है क्या इन भण्डारो से चुनाव जीता जाएगा यह किसी ने नही सोचा होगा।,परन्तु इन भंडारो का लुप्त तो समर्थको और जनता ने खुब उठाया,? आलोट विधानसभा चुनाव में वर्ष 2018 में 81, 45% प्रतिशत मतदान हुआ था तब कांग्रेस तथा भाजपा में मुख्य मुकाबला था इस बार 83,29% प्रतिशत मतदान हुआ तो फिर वही अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार फिर जीत का आंकड़ा वही रहेगा 2023 के विधानसभा चुनाव भाजपा से डॉ चिंतामण मालवीय कांग्रेस से मनोज चावला की टक्कर है परन्तु निर्दलीय उम्मीदवार प्रेमचन्द गुड्डू के चुनाव लड़ने से यहा खेल बदलता दिखाई दे रहा है और यह चुनाव रोचक हो गया है। जिसे कांग्रेस उम्मीदवार मनोज चावला को सीधा-सीधा नुकसान हो सकता है, फिर कांग्रेस उम्मीदवार मनोज चावला को भितरघात तथा अपने ही पार्टी नेताओ के बगावती तेवर देखने को मिले है। विधायक मनोज चावला का आम लोगो से मिलना लोगो से सीधा जुड़ाव साथ ही विधानसभा के प्रत्येक गाँव से सीधा जुड़ाव और व्यक्तिगत मिलना और विधायक रहते विधानसभा का अनुभव प्राप्त है उनके पास युवाओ की बड़ी फौज है।

इस विधानसभा चुनाव में दीवारो का रंग हुआ गायब कि तरह

दूसरे धंधे में लग गए लोग दीवार के साथ सफेद रंग के कपड़े पर प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिन्ह बनाया जाता था जिस पर प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील की जाती थी घरो की दीवारों की छत पर यह कपड़ा टांगने और दीवारों पर लेखने के लिए निवेदन प्रत्याशी या उनके समर्थक करते थे लेकिन अब इसकी जगह फिलेक्स ने ले ली है। इधर इस व्यवसाय से जुड़े पेंटर का यह पुश्तैनी धंधा था लेकिन पुश्तैनी काम छोड़कर दूसरे व्यवसाय में जाना मजबूरी बन गया है।

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