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दीप ज्योति के साथ ही जीवन ज्योत जगाने का महान पर्व है ज्योत्सना-दीपावली पर्व

दीपावली ज्योत्सना पर्व विशेष-
दीप ज्योति के साथ ही जीवन ज्योत जगाने का महान पर्व है ज्योत्सना-दीपावली पर्व
-बंशीलाल टांक
मन्दसौर। भारतीय सनातन संस्कृति में वर्ष भर मनाये जाने वाले पर्वों में प्रमुख महान पर्व है कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या का ज्योत्सना (दीपावली) पर्व । वैसे तो यह पर्व सम्पूर्ण धरती ही नहीं स्वर्गलोक तक को आतंकित करने वाले लंकाधिपति रावण का संहार कर 14 वर्षों बाद अयोध्या लौटने पर भगवान राम के राज्याभिषेक के पश्चात् दीप ज्योत्सना से घर-घर महोत्सव मनाने की परम्परा का निर्वाह करने का है परन्तु दूसरा पहलू यह भी है कि यह पर्व 4 माह की बरसात के बाद जहां बरसात के कारण घरों-मोहल्लों की सफाई नहीं हो पाती है, घर-आंगन बरामदा आदि में साफ-सफाई- घरों को रंग-रोगन-रंगोली से बाहर भीतर सजाया-संवारा सुशोभित किया जाता है वहीं आध्यात्मिक पहलु यह भी है कि यह पर्व अमावस्या की रात्रि अर्थात घनघोर अंधेरी रात वाले दिवस पर आता है और उस रात्रि को जिस घर के भीतर-बाहर-आंगन-बरामदा-भवन की मुंडेर आदि पर दीप जलाकर रोशनी कर अंधेरे को भगाया जाता है उसी प्रकार जो राग द्वेष-इर्ष्या-मद-मत्सर-काम-क् रोध-लोभ-मोह रूपी घोर-तम अंधकार हमारे-मन को मैला और अंतःकरण चित्त को दूषित किये हुए है, उन्हें ज्ञान ज्योति के परम पवित्र प्रकाश से नष्ट कर परस्पर सबके मन में एक प्रेम स्नेह दूसरे के प्रति भाईचारा-साम्प्रदायिक सौहार्द-स्नेह की ज्योत प्रकाश जगमगाये और प्रमाद-आलस्य-अवसाद-निराशा-दुरा शा का अंधकार नष्ट हो। इन्हीं भावनाओं के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र-विश्व के प्रति दीपावली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।
ऊँ नमामी परम ज्योती सर्वकालम्।