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‘‘रास रचावा ने आवो सांवरिया पूनम की है रात’’-श्री राठौर

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अ.भा. साहित्य परिषद की अमृत काव्य गोष्ठी सम्पन्न
अमृतकाल में चंदा मामा जमकर अमिय बरसाते है’’ बालू प्यारे
मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की शरद पूर्णिमा काव्य गोष्ठी की बालकृष्ण त्रिपाठी (बालू प्यारे) उदयपुर के मुख्य आतिथ्य, डॉ. उर्मिला तोमर की अध्यक्षता एवं गोपाल बैरागी, हरिओम बरसोलिया, नरेन्द्रसिंह राणावत, नरेन्द्र त्रिवेदी, नंदकिशोर राठौर, नरेन्द्र भावसार, विनोद जैन, ललित बटवाल, धु्रव जैन, सुरेन्द्र शर्मा, श्रीमती शकुंतला धाकड़, मनीषा ठाकुर, राजकुमार अग्रवाल के सानिध्य में जे.के. अपैरल्स निवास के खुले लान में चांदनी के प्रकाश में सम्पन्न हुई।
मुख्य अतिथि श्री त्रिपाठी (बालू प्यारे) ने शरद पूर्णिमा की चांदनी एवं खीर का तन मन पर पड़ने वाले प्रभाव को इंगित करते हुए रचना पाठ किया। विशेषकर ‘‘अमृत काल में चंदा मामा जमकर अमीय बरसाते है, समझदार बड़ी चतुराई से सुधापान कर जाते है’’ सुनाकर शारदीय काव्य गोष्ठी को सार्थक किया। गोपाल बैरागी ने कविता की सभी विधाओं पर रचना पाठकर विशेषकर छंदों की प्रमाणिक प्रस्तुति से माहौल काव्यमय कर दिया। श्रीमती तोमर ने ‘‘देव वृक्ष से देव आशीष सम’’ कविता सुनाकर वृक्षों की ‘परिजात’ एवं ‘हरसिंगार’ किस्म का बखान करते हुए अपने प्रकृति प्रेम को जाहिर किया।
नन्दकिशोर राठौर ने मालवी भजन ‘‘बरखा बीती शरद ऋतु आई, ठण्डी चले बयार, गोपियां सारी बाट निहारे आओ कृष्ण मुरार’’। रास रचावा ने आओ सांवरिया पूनम है रात’’ प्रस्तुत किया। नरेन्द्र त्रिवेदी ने अपने सुरीले अंदाज में गीत सुनाते हुए ‘‘दिवस उष्ण अब ढल गया, आया मौसम शीत’’ कविता सुनाई। ललित बटवाल ने ‘‘राग केदार पर आधारित गीत ‘‘दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी आखियां प्यारी रे’’ सुनाया। हरिओम बरसोलिया ने ‘‘चंदा तेरी चांदनी लगे बारह मास सुहावनी’’ कविता सुनाकर चांदनी की छटा का चित्रण किया। विनोद जैन ने ‘‘दर्द की दिवालियां मना रहे’’ कविता सुनाकर मानवीय करूणा का चित्रण किया। नरेन्द्रसिंह राणावत ‘‘मैं तो हारी रे गिरधारी तेरी दूर नगरी’’ कृष्ण भजन सुनाकर गोपियों की मनःस्थिति का चित्रण किया। सुरेन्द्र शर्मा (पहलवान) ने गीत ‘‘कुदरत का करिश्मा तो देखो सब भूल भूलईया है’’ के साथ मुक्तकों की झड़ी लगा दी। धु्रव जैन ने आशीष देवल की कविता ‘‘प्रिये तुम्हारी सुधी को मैने यूं ही अक्सर चूम लिया’’ के साथ भारत के नामचीन लोगों के नामों वाली कविता सुनाकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया जिसमें आपने लगभग 200 नामों का जिक्र जबानी रूप से किया। शकुंतला धाकड़ ने गीत ‘‘जब भी हमको जनम मिले हमको हिन्दुस्तान मिले’’ गाकर देशप्रेम जागृत किया। मनीषा ठाकुर ने गीत ‘‘भारत तेरी कथा अधुरी, वीरों के इतिहास बिना’’ गीता सुनाकर देश के शहीदों को याद किया। राजकुमार अग्रवाल ने भजन ‘‘जगत के रंग क्या देखु, तेरा दीदार काफी है’’ सुनाकर वातावरण भक्तिमय कर दिया।
कार्यक्रम में सरस्वती वंदना के पश्चात मुख्य अतिथि का स्वागत सभी कवियों ने किया। समापन पर अमृत तुल्य खीर प्रसाद का सबने सेवन किया। संचालन नंदकिशोर राठौर ने किया आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।