ग्रहण के साए में होगी नवरात्रि की शुरुवात, जानिए इसका क्या होगा असर; 15 अक्टूबर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त रखें ध्यान
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हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। इसके अलावा नवरात्र के दिनों में कन्या पूजन भी काफी फलदायी माना जाता है। कहते हैं छोटी-छोटी बच्चियों को भोजन कराने से माता रानी भक्तों से अत्यंत प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा देवी मां की विधि विधान के साथ उपासना करने से भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है। इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होगा और 24 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होगा। वहीं आपको बता दें कि इस बार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगने वाला है। ऐसे में नवरात्रि का प्रारंभ ग्रहण के साए में होने जा रहा है।
क्या सूर्य ग्रहण का नवरात्रि की पूजा पर पड़ेगा प्रभाव?-
पंचांग के अनुसार, इस बर नवरात्रि की शुरुआत 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगी। इसी समय सूर्य ग्रहण भी लगा होगा। सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर की रात 8 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर देर रात 2 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। ऐसे में लोगों के अंदर आसमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या सूर्य ग्रहण नवरात्रि की पूजा को भी प्रभावित करेगा। ज्योतिषों के मुताबिक, नवरात्रि की पूजा पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल, नवरात्रि की पूजा में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। घटस्थापना सूर्य ग्रहण के खत्म होने के बाद होगा।
घटस्थापना से पहले ध्यान रखें ये बातें-
🌹ग्रहण को दूषित काल माना जाता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण के बाद पूरे घर को गंगाजल से जरूर शुद्ध कर लें।
🌹इसके बाद तुलती के पौधे पर भी गंगाजल का छिड़काव करें।
🌹जब पूरा घर शुद्ध हो जाए उसके बाद स्नान कर साफ-कपड़े पहन लें।
🌹इसके बाद ही विधिपूर्वक घटस्थापना या कलश स्थापना करें।
नवरात्रि की घटस्थापना शुभ मुहूर्त और विधि के साथ ही करनी चाहिए।
इस वर्ष आश्विन नवरात्र में घटस्थापना को लेकर कई विमर्श सामने आ रहे हैं किंतु निर्णय सिंधु नामक ज्योतिष के आधार ग्रंथ के अनुसार भार्गवार्चनदीपिका मे देवी पुराण* का उल्लेख करते हुए कहा है कि –
त्वाष्ट्रवैधृति युक्ता चेत प्रतिपच्चण्डिकार्चने।*तयोरन्ते विधातव्यं कलशा रोपणं गुह।।
चंडिका पूजन में चित्रा और वैधृति से युक्त प्रतिपदा हो तो उसके उपरांत में घटस्थापना करें। चित्रा वैधृति से युक्त भी द्वितीया सहित ग्राह्य है। *दुर्गोत्सव* में लिखा है कि विरुद्ध योगों से भी युक्त द्वितीया संयुक्त प्रतिपदा मिल जाए तो बुद्धिमान को लक्ष्मी पुत्र राज्य आदि के बढ़ाने वाली तिथि में अपरान्ह में की स्थापना करना चाहिए और जब वैधृति आदि के बिना प्रतिपदा ना प्राप्त हो उस समय के लिए कात्यायन ने लिखा है कि आश्विन मास की प्रतिपदा को वैधृति चित्रा हो तो आरंभ के दो चरण छोड़कर नवरात्रि का आरंभ करें और भविष्य पुराण के अनुसार चित्रा वैधृति पूर्ण प्रतिपदा हो तो आदि के 3 अंश को छोड़कर चौथे अंश में पूजन करें और यदि संपूर्ण प्रतिपदा ही चित्रा व वैधृति से युक्त हो तो मध्यान्ह अर्थात अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करना श्रेष्ठ है । कलश स्थापन रात्रि में ना करें।
नवरात्रि 2023 घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
🌹घटस्थापना शुभ मुहूर्त आरंभ- 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से
🌹कलश स्थापना शुभ मुहूर्त समाप्त- 15 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
🌹शारदीय नवरात्रि 2023 तिथि- 15 अक्टूबर 2023
🌹शारदीय नवरात्रि 2023 समापन तिथि- 24 अक्टूबर 2023