आध्यात्मनीमचमध्यप्रदेश

अहंकार मन का रोग है, जो गुरू के बगैर नहीं हो सकती है ठीक- दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी

श्री रामकथा का दूसरा दिन-

नीमच। अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। जब अहंकार सिर चढ कर बोलता है तब व्यक्ति को वो नहीं दिखाई देता जो उसे मिल रहा है। उसे तो वह दिखाई देता है जो उसे नहीं मिल रहा है। अहंकार मन का रोग है, जो सद्गुरू के बिना ठीक नहीं हो सकता है। गुरू उस वैद्य की तरह होता है। जो हमें वचन देता है कि इस औषधि से तुम्हारा कष्ट या रोग दूर हो जाएगा। ठीक उसी तरह गुरू अपने आर्शवचन से हमंे जीवन में आगे बढने का मार्ग दिखाते हैं।
यह विचार दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी ने सोमवार को व्यक्त किए, वे स्व. कांतादेवी-प्रेमसुखजी गोयल व स्व. रोशनदेवी-मदनलालजी चौपड़ा की स्मृति में गोयल एवं चौपड़ा परिवार द्वारा वात्सल्य सेवा समिति, अग्रवाल गु्रप नीमच व मंडी व्यापारी संघ के तत्वावधान में दशहरा मैदान नीमच में आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन बोल रही थी। उन्होंने गुरू को लेकर कहा कि सर्वस लूट जाए, पर ऐसा सस्ता सौदा नहीं करना चाहिए, जो हमें अपने गुरू के चरणों से दूर कर दें। संसार में बेमतलब की फ्रिक करने का कोई मतलब नहीं है। संत तो चलते फिरते तीर्थ होते हैं, जिनके चरणों में पूरा संसार बसा होता है। उन्होंने कहा कि बहुत सारी आसुरी वृत्तियां हमारे चित में होती है, जिन्हें हमे नष्ट करना है। अगर हम अपनी दुर्बलताओं पर विजय पा लेंगे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से हमें कोई रोक नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि मंथरा अयोध्या में नहीं है। वह तो इष्र्या के रूप में हमारे में मन में बसी हुई है। जब मन को पीड़ा होगी वाणी के रूप में ईष्र्या बाहर आएगी। हमें इस वृत्ति को बदलाना जरूरी है। वृत्ति ऐसी हो जो हमें सत्य का बोध कराए। साध्वी दीदी माँ ऋतम्भराजी ने कहा कि जब मैं कौन हÿं का आत्मज्ञान हमें हो जाएगा। तब जीवन से सभी प्रकार के दुःख, भय, चिंता निषाद दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने स्वयं को कहीं और नहीं तुम्हारे अंदर छिपाया है। वह तुम्हारे अंदर छिपकर बैठ गए हैं। तुम दुनिया भर में उन्हें तलाशते फिरते हो, लेकिन अपने मन के अंदर झांक कर नहीं देखते हो। माँ के साथ संतान का संबंध संसार में अलौकिक होता है।
माँ से संुदर संसार में कोई नहीं-
माँ से सुंदर संसार में कोई नहीं है। पुत्री और माँ का जुड़ाव अधिक होता है। पुत्र भले ही माँ को भूल जाए, पर पुत्री अपने माता-पिता की सेवा में सदैव तत्पर्य रहती है। फिर भी एक बात समझ नहीं आती है कि आखिर क्यों बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता है। संसार के सभी धार्मिक गं्रथ की रचना करने वाले पुरूष हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि उन पुरूषों को जन्म देने वाली एक स्त्री है, जिसे हम माँ कहते हैं। दूसरे दिन की कथा में दीदी माँ ने सती प्रसंग, कामदेव द्वारा शिव समाधि को भंग करना, शिव विवाह आदि प्रसंग की वर्तमान परिपेक्ष्य में व्याख्या की। रामकथा में संजीव अग्रवाल दिल्ली, एसडीएम डॉ. ममता खेड़े, दशपुर एक्सप्रेस के संपादक आरवी गोयल, उद्योगपति कैलाश धानुका, शशिकांत गोयल, वात्सल्य सेवा समिति के अध्यक्ष संतोष चौपड़ा, अग्रवाल ग्रुप के अध्यक्ष कमलेश गर्ग, मंडी व्यापारी संघ अध्यक्ष राकेश भारद्वाज समेत बड़ी संख्या में गणमान्य जन और धर्मप्रेमी जनता मौजूद थी।


श्रीराम कथा में शिव विवाह का हुआ संजीव चित्रण
श्री राम कथा में जब शिव विवाह का प्रसंग आया, तो कथा के दौरान शिव-पावर्त विवाह का संजीव चित्रण भी किया गया, जिसे देख कथा पांडाल में मौजूद भक्तगण भाव विहल हो उठे।

आज कथा में बनेगा राम जन्मोत्सव
दशहरा मैदान में दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी के मुखारविंद से आयोजित श्रीराम कथा में आज मंगलवार को तीसरे दिवस श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा में राम जन्म, नामकरण संस्कार, बाल स्वरूप ध्यान, शिशु लीला आदि प्रसंगों पर विचार रखे जाएंगे।

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