अकाल मौत के शिकार लोगों के मोक्ष के लिए देशभर से आते हैं लोग, करते हैं तर्पण
For the salvation of the victims of untimely death

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अकाल मौत के शिकार लोगों के मोक्ष के लिए देशभर से आते हैं लोग, करते हैं तर्पण
गरोठ- शंकुदार मेले का आज आखिरी दिन अकाल मौत के शिकार लोगों के मोक्ष के लिए देशभर से आते हैं लोग, चार दिन रहकर करते हैं तर्पण
अकाल मृत्यु होने पर आत्माओं की शांति के लिए मंदसौर जिले की गरोठ तहसील में चार दिन से शंकुदार मेला चल रहा है। आज इसका समापन हो जाएगा। मेले में नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर मालवा, देवास, धार, उज्जैन, इंदौर, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। चंबल नदी किनारे मौलाखेड़ी खुर्द गांव में यह मेला हर साल देव उठनी ग्यारस से शुरू होता है और चार दिन चलता है।
महाभारत के बाद पांडवों ने भी किया था तर्पण
गांव के बुजुर्ग कन्हैया बताते हैं कि मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने पिता, परिजनों और सैनिकों के मोक्ष के लिए तर्पण क्रियाएं की थीं। इसके बाद से ही यहां जिनके परिजनों की अकाल मृत्यु हो जाती है, उनकी आत्मा की शांति के लिए क्रिया कर्म किया जाता है। स्कंद पुराण में भी इसका जिक्र है।
भेरू मंदिर के पुजारी प्रभु लाल के अनुसार, दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या, आगजनी, पानी में डूबने से जिन लोगों की मौत हो जाती है, उनकी आत्मा भटकती रहती हैं। ऐसी आत्मा को मोक्ष देने के लिए परिजन घर में एक दिन और रात जागकर आत्माओं को निमंत्रण देते हैं। फिर वहां से उन आत्माओं को लेकर आते हैं। उनके लिए गाड़ी में सीट भी रिजर्व रखते हैं। अगले दिन यहां पहुंचकर रात्रि जगा कर आत्माओं का आह्वान करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु अस्थायी मकान बनाकर रहते हैं। आत्माओं को चंबल नदी में छोड़ जाते हैं। मोक्ष के बाद 5 साल तक लगातार परिवार के सदस्य यहां आकर आत्माओं का हाल भी जानते हैं।
इस बार मौलाखेड़ी खुर्द ग्राम पंचायत इसका आयोजन कर रही है। यहां पानी, पार्किंग, सफाई, रास्ता आदि को लेकर भारी अव्यवस्थाएं देखी गईं। मंदिर प्रबंध समिति के सचिव अजय पाटीदार ने बताया कि इस बार प्रशासन ने मेले के लिए 22 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। फायर ब्रिगेड, टॉयलेट, मोटरबोट, गोताखोर सहित सीसीटीवी कैमरों का प्रबंध किया है। पिछली बार की भीड़ को देखते हुए इस बार एक हेक्टेयर में पार्किंग व एक हेक्टेयर में मेला लगाया गया है। 5 हेक्टेयर जमीन क्रिया कर्म के लिए रखी गई है।
शाजापुर से आए ओमप्रकाश चौहान बताते हैं कि इस बार मेले में कोई व्यवस्था नहीं है। पानी के लिए झगड़ा करना पड़ता है। हम 5 साल से आ रहे हैं। इस बार कोई व्यवस्था नहीं है। देवास से आए लालचंद ने बताया कि हम बस लेकर आए हैं। जबरन हमसे वाहन पार्किंग के 200 रुपए ले लिए गए और रसीद 100 रुपए की काटी गई। पार्किंग में ना सीसीटीवी कैमरे हैं, ना ही गार्ड। वाहनों से सामान चोरी हो रहे हैं।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य जैतराम पाटीदार ने कहा कि यहां ना रास्ते सही हैं, ना घाट। रात में काफी गंदगी रहती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सफाई कर्मी दिलीप बताते हैं कि हम वर्षों से यहां साफ-सफाई करते आ रहे थे। इस बार ग्राम पंचायत ने हमसे रोजगार छीन लिया।
पहले गांधीसागर में लगता था मेला
गौरतलब है कि पहले शंकुदार मेला गांधी सागर में लगता था, लेकिन बांध बनने के बाद वह क्षेत्र डूब में आ गया और मेले को मौला खेड़ी खुर्द गांव लगाया जाने लगा।