पिता का सपना साकार करने बेटी ने पहले दी परीक्षा, फिर उनकी पार्थिव देह को दी मुखाग्नि

बैतूल। बिटिया के परीक्षा देकर घर वापस लौटने तक पिता की मृत देह घर में ही रखी गई। एक बेटी का अपने पिता के प्रति यह फर्ज देखकर और उनके सपने को साकार करने की बात जब बेटी ने कही तो अंतिम यात्रा में शामिल हर आंखें नम हो गईं। जानकारी के मुताबिक बैतूल गौठाना में स्थित अष्ट विनायक काॅलोनी में रहने वाले शरद पोटफोड़े पिछले 4 साल से बीमार थे। उनकी दो बेटियां ही हैं। गुरुवार को उनका निधन हो गया। पोटफोड़े के निधन के बाद उनकी बेटियों और परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
उसी दिन था बेटी का पेपर
इससे भी विकट स्थिति तब निर्मित हो गई, जब उसी दिन सुबह 11 बजे बड़ी बेटी खुशी को बीसीए का पेपर देने जाना था। पिता के सपनों को भी साकार करने की जिम्मेदारी बेटी की ही थी। इसलिए परिजनों की सहमति से यह तय किया गया कि खुशी पहले पेपर देगी, उसके बाद पिता का अंतिम संस्कार होगा।
परीक्षा देकर लौटी और दी मुखाग्नि
ऐसे में भारी मन से खुशी पेपर देने पहले सेंटर गई और उसके वापस आने तक पिता की मृत देह घर में ही रखी गई। दोपहर 3 बजे खुशी अपने घर पहुंची और कोठी बाजार मोक्षधाम में पिता का अग्नि संस्कार किया।
हिंदू धर्म में अग्नि संस्कार पुरुषों द्वारा किया जाता है, लेकिन बैतूल में पुत्र न होने पर दोनों पुत्रियों ने जब अपने पिता को कोठीबाजार मोक्षधाम पर मुखाग्नि दी तो सभी की आंखें नम हो गई। अंतिम संस्कार के बाद भी काफी देर तक मोक्षधाम में माहौल गमगीन देखा गया।