मंदसौरमध्यप्रदेश

शिक्षक को बीस साल से पूरा दिखाई नहीं देता वेतन 75 हजार रूपये

 

 

शासन के शिक्षक को बीस साल से पूरा दिखाई नहीं देता वेतन 75 हजार रूपये प्रति माह, उसी स्कूल मे महिला शिक्षिका पूरे तरीके से बोल नहीं पाते फिर भी ले रहे है पूरा वेतन, क्या इस लिए शासकीय अधिकारी कर्मचारी अपने बच्चो को शासकीय स्कूलो मे नहीं पढ़ाते?  शासन से पूरा वेतन दोनों का मिला कर एक लाख बीस हजार से अधिक है, दोनों के बीच बच्चो को पढ़ाने के लिए छः हजार रूपये मे प्राइवेट लड़का रख रखा है, कभी सर नहीं आते कभी मेडम नहीं आते कभी छः हजार मे रखा लड़का नहीं आता उसकी जगह उसका भाई आता है, शासकीय स्कूल मे ये जादूगरी केवल मन्दसौर के जिला शिक्षा विभाग मे ही हो सकती है, मन्दसौर जिला शिक्षा विभाग इनकी तनख्वाह मिल बाट कर खा रहा, मन्दसौर का जिला शिक्षा विभाग गरीबो और ग्रामीण बच्चो को दाँव पर लगा रहा है, लोगो के पास रोजगार नहीं है और जो योग्य नहीं है जिन्हे वी.आर.एस. ले लेना चाहिए वो शासन का बोझ बढ़ा रहे है. पद रिक्त हो तो नये नवयुवकों योग्य लोगो को रोजगार का अवसर मिले, मामला मन्दसौर जिले की सीतामऊ तहसील के गाँव टाटका गाँव का है, दोनों पति पत्नी स्कूल को धक्का देकर चला रहे है और मन्दसौर जिला प्रशासन मुक दर्शक है और जिला शिक्षा विभाग आँख कान नाक मुँह बंद कर अपने हिस्से की हिस्से दारी ले रहा है, न केवल VRS देना चाहिए बल्कि जितने वर्षो से शासन के रुपयों का आहरण किया रिकवरी होना चाहिए, क्यों की ये अ-शक्षम नहीं बल्कि शिक्षक और शिक्षिका का बालक पेपर नोट प्रेस मे बड़ा अधिकारी भी है, आइये जानते है क्या है हकीकत और देखिये नीचे लिंक पर क्लिक कर.

मामला मन्दसौर जिले के सीतामऊ तहसील के ग्राम टाटका के प्राथमिक स्कूल का है जहाँ पर शासकीय अध्यापक ओम प्रकाश धनोतिया जिनका वेतन 75 हजार रूपये प्रति माह है और उनकी पत्नी श्रीमती धनोतिया जिनका वेतन 35 से 40 हजार रूपये प्रति माह है, शिक्षक ओम प्रकाश धनोतिया को बहुत कम दिखाई देता है, उनके सामने हमने उंगलियां दिखा कर पूछा कितनी है पर वो ठीक से देख नहीं पाते, तीन बार गलत बताया, उनकी पत्नी पैरालीसिस होने से ठीक से बोल नहीं पाते है इन दोनों ने मिलकर एक प्राइवेट लड़का छः हजार रूपये प्रति माह मे बच्चो को पढ़ाने के लिए शासकीय स्कूल टाटका मे रखा है, कभी वो प्राइवेट लड़का आता है या कभी उसका भाई टाटका के प्राथमिक स्कूल मे पढ़ाने को आता है, देखिये दुर्भाग्य इस गाँव के बच्चो का इनका भविष्य शासन के एक से डेढ़ लाख का वेतन भुगतान करने के बाद मात्र छः हजार रूपये मासिक पर एक मजदूर चला रहा है, जब हमने ओम प्रकाश जी धनोतिया से VRS लेने की सलाह दी तो उन्होंने अब लूंगा बताया, पर क्या शासन का वर्षो से दुरूपयोग गया वेतन रूपी धन जो इनके द्वारा आहरण किया गया उसका क्या? इन दोनों पति पत्नी द्वारा शासन का आहरित वेतन लेकर प्राइवेट मजदूर रख कर स्कूल चलना गैर कानूनन और अपराध की श्रेणी मे आता है,इस सम्बन्ध मे हमने जिला शिक्षा विभाग सहित निष्पक्ष जांच हेतु आयुक्त मध्यप्रदेश शिक्षण संस्थान को भी लिखा है…

राजपाल सिंह परिहार ✍️

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}