कर्मचारी संघतालरतलाम

अतिथि शिक्षकों को मार्च से अब तक नहीं मिला मानदेय,हो रही आर्थिक परेशानी,शिक्षकों ने व्यवस्था के प्रति व्यक्त कि नाराजगी

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ताल — शिवशक्ति शर्मा
अतिथि शिक्षकों को मार्च 2023 से जुलाई तक लगातार 5 महीने से वेतन नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है वहीं देखा जाए तो जुलाई अगस्त सितंबर माह हर परिवार के लिए बहुत बड़ी खर्च की आवश्यकता होती है। जिसमें बच्चों की पढ़ाई, पर्व त्यौहार में रिश्ते नातेदारों के यहां आना जाना स्वास्थ्य साथ बरसात का मौसम होने से घर के व्यवस्थापन की समस्याओं को ठीक करना आदि में खर्चे की आवश्यकता होती हैं ऐसे में अतिथि शिक्षकों को लगातार 5 माह से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक परेशानी झेलना पड़ रही है। अतिथि शिक्षकों ने प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर नाराजगी व्यक्त कि।
अतिथि शिक्षक संजय गौड़ ने हमारे प्रतिनिधि को जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की हालत बद से बदत्तर क्यों बनती जा रही है। अगर यही इन्हें समय पर मिल जाए तो इनके लिए अच्छे दिन भी होंगे और अच्छी रक्षाबंधन भी मन जाएगी। क्या किसी जिम्मेदार अधिकारी व नेताओं को यह एहसास नहीं की अगर उन्हें दो-तीन महीने का वेतन नहीं मिले तो क्या होगा। कैसे यह अपने घर की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अतिथि शिक्षकों में से किसी के बीवी बच्चे भी होंगे। किसी के माता-पिता भी घर में होंगे। जो उन पर आश्रित हो सकते हैं। ऐसे में 3 से 5 माह तक वेतन नहीं मिलने से इन परिवार वालों पर क्या गुजर रही होगी। मानदेय के अभाव में ऐसे अतिथि शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने होली नहीं मनाई । परंतु हर घर तिरंगा के संदेश पर अमल करते हुए अपने घर तिरंगा भी लहराया। अब रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक है ऐसे में अतिथि शिक्षक एवं शिक्षिकाओं द्वारा रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाना संभव नहीं हो पाएगा।अतिथि शिक्षिका बहने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते नजर आएंगी।
गौड़ ने बताया कि हमने जिला शिक्षा अधिकारी से अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने के बारे में चर्चा की तो उनका कहना है कि बजट नहीं आया है।
नौनिहालों का भविष्य संवारने वाले अतिथि शिक्षिका बहनो एवं शिक्षकों का बजट कहां गुम हो गया ? सोचने वाली बात है। यही नहीं इन अतिथि शिक्षकों को उनके कालखंड के हिसाब से भुगतान किया जाता है। परंतु ऐसे मामले संज्ञान में आ रहे हैं कि इन्हें दूसरे शिक्षकों के अनुपस्थित रहने पर उनके भी कालखंड में भेज दिया जाता है। तो फिर इन्हें उस अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक की जगह कार्य करवाने का भुगतान किया जाएगा? नहीं कतई नहीं इसे तो शिक्षा विभाग सेवा बता रहा है। मध्य प्रदेश में अच्छे दिनों की बात की जा रही है विकास यात्रा निकाली जा रही है। योजनाओं के ढिंढोरे पीटे जा रहे हैं। पढ़े-लिखे युवा कहां जाए हर जगह इनका शोषण हो रहा है। शासकीय स्कूलों में अतिथि शिक्षक बनकर जाए तो समय पर 3 से 4 महीने तक मानदेय नहीं मिल रहा है। प्राइवेट स्कूलों में जाए तो इतना कम वेतन की मजदूर भी शर्मा जाए। कुछ प्राइवेट स्कूलों के तो ऐसे हाल होते हैं कि दिखाने को पूरे वेतन का चेक दिया जाता है। और बाद में उनसे वापस तय अनुबंध के मान से शेष राशि वापस ले ली जाती है। ऐसा कई जगह देखने को मिलता है। इन अतिथि शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं का तीन से चार माह का बकाया मानदेय क्या रक्षाबंधन से पूर्व खातों में आएगा? या फिर इनके भाइयों की कलाई सुनी रहेगी? क्या जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने यह जानना चाहा कि मार्च से इन्हें वेतन क्यों नहीं आ रहा है? या फिर बजट नहीं आने पर जिम्मेदार वरिष्ठो से पत्राचार किए गए हैं। फिर भी कोई असर नहीं दिखा। ऐसे में हमारे अतिथि शिक्षकों में वेतन नहीं मिलने से शासन कि व्यवस्था के प्रति नाराजगी है।

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