प्रभु भक्ति और पूजा एकात्म भाव से करना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
शुक्रवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि भगवान के रूप अनेक है लेकिन वह एक ही है। आपको जो अच्छा रूप लगे उसी उपासना पूजा अवश्य करें। आपने बताया कि भगवान की पूजा की एकात्म भाव से बिना क्रोध और बिना बोले करना चाहिए इससे भगवान प्रसन्न होते है। भगवान की पूजा के साथ – साथ अर्चना भी अवश्य करना चाहिए। आपने कहा कि समय – समय पर ईश्वर हमारी परिक्षा भी लेता है ऐसे समय में धैर्य रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ईश्वर जितनी परिक्षा लेता है उससे कई गुना फल भी देता है।
आपने कहा कि प्रत्येक मनुष्य पर जन्म से तीन प्रकार के ऋण होते है जिसमे देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण शामिल होते है। देव ऋण से मुक्त होने के लिए हमें देवों की भक्ति उपासना करना चाहिए। ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए ऋषियों द्वारा लिखित शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए और दूसरों को करवाना भी चाहिए। पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए संतान को उत्पन्न करना चाहिए।
भगवान को वो ही चढाओं जो तुम्हें सर्वाधिक प्रिय हो
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि हमें पूजा करते समय भगवान को वो चढाना चाहिए जो हमें सर्वाधिक प्रिय हो। सामान्यतः व्यक्ति प्रभु को कुछ भी चढा देते है ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें हमेशा साफ शुद्ध वस्तु ही चढाना चाहिए।
शुक्रवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, उपाध्यक्ष राधेश्याम गर्ग, मदनलाल गेहलोत, इंजि आर सी पाण्डेय, भगवतीलाल पिलौदिया, शंकरलाल सोनी, दिनेश खत्री, घनश्याम भावसार, प्रहलाद पंवार, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राव विजय सिंह, आंनदीलाला मोदी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।