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एक करोड़ का  इनामी कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा हुआ गिरफ्तार

एक करोड़ का  इनामी कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा हुआ गिरफ्तार

 

 

 

औरंगाबाद जिले के रफीगंज प्रखंड में कासमा थाना क्षेत्र के कासमा निवासी और आतंक का पर्याय माने जाने वाले प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के थिंक टैंक व झारखंड पुलिस द्वारा प्रस्तावित एक करोड़ के इनामी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा को गया की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मिश्रा के साथ एक और नक्सली को भी गिरफ्तार किया गया है।

 

हालांकि पहले यह खबर आई कि श्री मिश्रा को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया है लेकिन इसके कुछ ही देर बाद गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आशीष कुमार भारती ने साफ कर दिया कि प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी गया जिले से हुई है।

 

झारखंड पुलिस ने कर रखा था एक करोड़ के इनाम का प्रस्ताव-

कहा जा रहा है कि हाल तक श्री मिश्रा झारखंड में ही थे। इस बीच जब झारखंड पुलिस ने वहां माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का हेडक्वार्टर कहे जाने वाले झारखंड के सारंडा के जंगलों में दबिश डाली थी तो उस वक्त प्रमोद मिश्रा वहां मौजूद थे। उस वक्त वे पुलिस को चकमा देकर वहां से निकल भागे थे। इसके बाद से झारखंड की पुलिस उन्हे गिरफ्तार करने के लिए हाथ धोकर पीछे पड़ी थी और बिहार पुलिस से भी इनपुट ले रही थी। बिहार और झारखंड दोनों राज्यों की पुलिस प्रमोद मिश्रा को गिरफ्तार करने के लिए एक-दूसरे से इनपुट शेयर कर रही थी लेकिन आखिरकार सफलता गया पुलिस को मिली।

 

 

झारखंड की पुलिस मिश्रा को गिरफ्तार करने के प्रति किस हद तक गंभीर थी, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुलिस ने उनपर पर एक करोड़ के इनाम का प्रस्ताव झारखंड सरकार को भेज रखा था। मिश्रा की यह दूसरी बार की गिरफ्तारी है। दूसरी बार की गिरफ्तारी नक्सली संगठन के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।

 

पहली बार झारखंड से दूसरी बार बिहार से गिरफ्तारी- 

 

पहली बार प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी झारखंड से हुई थी लेकिन दूसरी बार गिरफ्तारी बिहार के गया से हुई। उसके साथ एक और नक्सली अनिल यादव की भी गिरफ्तारी हुई है। दोनों की निशानदेही पर गया पुलिस एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।

 

गया पुलिस, सीआरपीएफ व एसटीएफ की संयुक्त काईवाई में हुई गिरफ्तारी-

 

गया के सीनियर एसपी आशीष कुमार भारती ने बताया कि बिहार एसटीएफ, गया पुलिस एवं सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने प्रमोद मिश्रा एवं एक अन्य नक्सली को गिरफ्तार किया है।

 

उन्होने बताया कि दोनों की गिरफ्तारी गया जिले के टिकारी थाना क्षेत्र से की गई है। गिरफ्तारी के बाद सीआरपीएफ की कोबरा टीम दोनो से पूछताछ कर रही है। उनकी निशानदेही पर नक्सली संगठन से जुड़े अन्य सहयोगियों और हथियारों का पता लगाने के लिए गया जिले के इमामगंज, बांकेबाजार और डुमरिया थाना क्षेत्र में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।

 

खुफिया इनपुट पर हुई गिरफ्तारी-

 

गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आशीष भारती ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से आसूचना प्राप्त हो रही थी कि कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा एवं अनिल यादव टिकारी अनुमंडल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में भ्रमणशील रहकर किसी बाड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। इस सूचना के सत्यापन तथा आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्होने एक विशेष टीम(गया पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजेंसी) गठित की। टीम के द्वारा प्रभावी आसूचना संकलित करते हुए कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा एवं गया जिले के लुटूआ थाना के असुरइन निवासी नक्सली अनिल यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों गिरफ्तार नक्सली कई कांडों के वांछित आरोपित है।

 

मामले में दोनों के विरुद्ध कांड दर्ज करते हुए अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। दोनों नक्सलियों से पूछताछ कर अग्रेतर कार्रवाई भी की जा रही है।

 

 

 

माओवादियो के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सुप्रीमो पद की रेस में थे प्रमोद मिश्रा-

 

कहा जा रहा है कि प्रमोद मिश्रा झारखंड के सारंडा स्थित भाकपा माओवादी के झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के कमांडर यानी सुप्रीमो पद की रेस में थे। इस पद के लिए श्री मिश्रा के अलावा माओवादियो के पोलित ब्यूरो के एक और सदस्य मिसिर बेसरा भी दावेदार थे। कहा यह भी जा रहा है कि इस पद को लेकर दोनों में रस्साकशी चल रही थी। इसे लेकर संगठन में भी विवाद चल रहा था। उनकी गिरफ्तारी को इस विवाद से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

 

2006 में पोलित ब्यूरो के सदस्य बने थे प्रमोद मिश्रा- 

 

गौरतलब है कि 2006 में भाकपा माओवादी का पोलित ब्यूरो सदस्य बनने के बाद पहली बार उनकी गिरफ्तारी 2008-09 में हुई थी। गिरफ्तारी के बाद लंबे समय तक वें औरंगाबाद समेत बिहार के छपरा एवं अन्य जेलों के अलावा दूसरे राज्यों के जेलों में रहे। इस दौरान उन पर दर्ज मुकदमों की लंबे समय तक सुनवाई चली लेकिन किसी भी मुकदमें में उन पर कोई आरोप प्रमाणित नही हो सका। आखिरकार अंतिम तौर पर औरंगाबाद से ही उनकी रिहाई हुई।

 

बीच में रिहाई के बाद गांव में बनाया था प्रमोदाश्रम- 

 

रिहाई के बाद प्रमोद मिश्रा अपने गांव कासमा में ही अपने नाम पर एक आश्रम “प्रमोदाश्रम” बनाकर रह रहे थे। एक साल तक वें आश्रम में ही रहे लेकिन पांच-छः साल पहले वें अचानक आश्रम से इस कदर गायब हुए कि परिजनों तक को पता नही चला। गायब हाेने के बाद यह माना गया कि आश्रम में रहना उनके लिए खतरे से खाली नही रह गया था। लिहाजा वें भूमिगत होकर फिर से संगठन में चले गये। इसके बाद बिहार के औरंगाबाद और आसपास के जिलों के अलावा झारखंड के सीमावर्ती जिलों में होने वाली हर नक्सली घटना में प्रायः उनका नाम आता रहा। इस तरह से भूमिगत होने के बाद से ही बिहार में औरंगाबाद और आसपास के जिलों के विभिन्न थानों में उन पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हो गये।

 

कहा जा रहा कि नक्सली कमांडर संदीप यादव के जिंदा रहने तक श्री मिश्रा झारखंड की सीमा पर स्थित बिहार के छकरबंधा के जंगली इलाके में माओवादियो के संगठन को मजबूत करने में लगे थे। जून 2022 में छकरबंधा के इलाके को सुरक्षाबलों ने जब खाली करा दिया तो यह खबर निकल कर सामने आई थी कि प्रमोद मिश्रा सारंडा चले गए है। इसके बाद पुलिस को भी यह पता नही चल पा रहा था कि प्रमोद मिश्रा कहां है। इसके बाद आज ही यह पता चला कि गया से उनकी गिरफ्तारी हुई है।

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