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भोजन को औषधि की तरह ग्रहण करना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
गुरूवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि हमें जब भी हम बिमार होते है तो डॉक्टर के पास जाते है और वो हमें दवा देता है दवा को हम जिस हिसाब से डॉक्टर कहता है उसी प्रकार से लेते है न ज्यादा न कम ठीक उसी प्रकार हमें भोजन भी औषधि की तरह की ग्रहण करना चाहिए न ज्यादा न कम। अधिक भोजन भी हमारे शरीर के लिए पीडादाई होता है कई लोग जब किसी जगह बुलावे पर जाते है तो खूब खाते है ऐसा नहीं होना चाहिए हमे हमारे शरीर की क्षमता के अनुकुल ही खाना ग्रहण करा चाहिए। शास्त्रों में भी यही लिखा है कि हमें अपने शरीर के हिसाब से ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। आपने कहा कि भोजन कैसा भी हो उसे प्रसन्न होकर ग्रहण करना चाहिए।
संतों को ज्यादा अपेक्षाएं नहीं रखना चाहिए
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों के अनुसार संतों को ज्यादा अपेक्षाएं नहीं रखना चाहिए उन्हे मर्यादित जीवन ही जीना चाहिए। भोजन में जो भी मिल जायें उसे अमृत समान मानकर ग्रहण करना चाहिए। संतों का मर्यादित आचरण की दूसरों के लिए प्रेरण बनता है।
धर्मसभा में पं दशरथ शर्मा भईजी, केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, पं शिवनारायण शर्मा, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, बंशीलाल टांक, प्रहलाद काबरा, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, घनश्याम भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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