जब अहंकार पेड़ का आकार ले लेता है तो वह सब कुछ खो देता- डॉ कृष्णानंद जी महाराज

छोटी काशी सीतामऊ आगमन पर संत श्री का धर्म प्रेमी जनों ने किया स्वागत अभिनंदन वंदन


इस अवसर पर संत डॉक्टर कृष्णानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहां की मां से ही आरंभ है मां से ही अंत है मां आदिशक्ति है मां से ही ब्रह्मा विष्णु महेश है मां कि आराधना के नव दिन दूर्गा भगवान कि उपासना आराधना का अर्पण किया है इससे हममें एक ऊर्जा प्राप्त होती है। उस शक्ति ऊर्जा को अपने देवी देवता को अर्पित कर देना चाहिए।
संत श्री ने कहा कि उपासना से प्राप्त ऊर्जा शक्ति सबके लिए हो तो कोई बात नहीं पर जब मै अहम अंहकार बीज का आकार ले लेता है।जब बीज बनता है तो वह पौधा और पेड़ भी बनने लग जाता है। ऐसे ही अंहकार का बीज जब पौधा बन जाता है तो उसका विवेक खत्म होने लगता है और जब अहंकार पेड़ का आकार ले लेता है तो वह सब कुछ खो देता है। अहंकार से मनुष्य का पतन हाे जाता है। इसलिए हमें अभिमान का त्याग कर जीवन में विनम्रता को ग्रहण करना चाहिए। विनम्रता से मनुष्य सबकुछ प्राप्त कर लेता है। अहंकार का प्रभू संहार कर देते हैं और नम्रता प्रभु का प्यारा रहता है। आशीर्वाद के पश्चात गुरुदेव ने प्रभु से मंगल कामनाएं करते हुए पुष्प वर्षा कर सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान किया।


