आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश

पं. श्री भीमाशंकरजी के मुखारविंद से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को श्रवण कर आनंदित हुए धर्मालुजन

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मन्दसौर।नरसिंहपुरा स्थित कुमावत धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। भागवत कथा प्रवक्ता पं. श्री भीमाशंकरजी शर्मा के मुखारविंद से प्रतिदिन  दोप. 12.15 से सायं 4.30 बजे तक श्रीमद् भागवत की ज्ञान गंगा नरसिहपुरा से प्रवाहित हो रही है। कुमावत समाज की गरिमामय उपस्थिति में अडानिया परिवार के द्वारा यह श्रीमद् भागवत कथा करायी जा रही है। भागवत कथा के षष्टम दिवस सोमवार को व्यासपीठ पर विराजित होकर पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपरांत की कथा श्रवण कराई। आपने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को बहुत ही मनोहारी रूप से वर्णन किया। आपने सुमधुर भजनों के साथ पं. भीमाशंकरजी ने कृष्ण की बाललीलाओं का वृतांत सुनाते हुए कहा कि गोकुल में नंद व माता यशोदा के घर बालक रूपी कृष्ण का खूब लाल दूलार से पालन पोषण हुआ। कृष्ण जन्म से ही नटखट स्वभाव के थे। उनका सुंदर मनोहर रूप गोकुलवासियों का मन मोह लेता था। कृष्ण के जन्म पर नंद व यशोदा के घर पर कई दिनों तक उत्सव मनाया गया। नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की’’ भजन की प्रस्तुति से पं. भीमाशंकरजी ने कृष्ण के जन्म वृत्तांत को कथा पंडाल में सजीव कर दिया। माता यशोदा को बालक कृष्ण ने अपने मुख में ब्रह्मांड के दर्शन करा दिये। कृष्ण के घर खूब गौवंश था उनके यहां दूध, माखन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उन्होंने माखन को प्रसाद रूप से सभी से ग्रहण करने के लिये माखन चुराने की लीला रची। वे अपने मित्रों के संग माखन चुराने के लिये जाते थे और मित्रों को माखन खाने का आनंद दिलाते थे। इसी कारण वे माखन चोर कहलाये।
पूतना वध व कालिया नाग की कथा सुनाई- पं. भीमाशंकरजी ने कहा कि कंस को जब नंद के घर कृष्ण के जन्म की सूचना मिली तो उसने पूतना नाम की राक्षसी को भेजाा। पूतना ने कृष्ण को मारने के लिये अपना विष युक्त दूध कृष्ण को सेवन कराया लेकिन कृष्ण ने पुतला का स्तनपान कर उन्हें माता का सम्मान दे दिया। इसी प्रकार कालिया नाग जिसका आतंक गोकुल के निवासियों पर था  उसके  कारण लोग भयग्रस्त होकर यमुना का जल लेने जाते थे। उनको भयमुक्त करने के लिये कृष्ण ने कालिया नाग को पराजित किया और उसे यमुनाजी को छोड़ने पर विवश किया।
गोवर्धन पर्वत उठाकर इन्द्र का अहंकार तोड़ा- आपने धर्मसभा में कहा कि कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की इन्द्र्र के क्रोध से रक्षा की। उन्होनंे गोवर्धन पर्वत को 7 दिवस के 8 प्रहर तक अपनी उंगली पर धारण करने की लीला रचकर इन्द्र के अभिमान को चुर चुर कर दिया। कृष्ण ने इन्द्र का अभिमान तोड़कर संदेश दिया है कि इस संसार में अभिमान मत करो अभिमान किसी का नहीं टिकता है।
सांवरियाजी(गोवर्धननाथजी) को 56 व्यंजनों का भोग लगाया- धर्मसभा में कथा के षष्टम दिवस भगवान सांवरियाजी(गोवर्धननाथजी) की तस्वीर के सम्मुख 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। धर्मालुजनों ने इस भोग के दर्शन किये।
इन्होनंे की भागवत पोथी की आरती- भागवत कथा में अडानिया परिवार के गेंदमल अडानिया, सत्यनारायण अडानिया, अर्जुन अडानिया, कोमल अडानिया, विजय अडानिया, चिराग अडानिया, धर्मेन्द्र अडानिया आदि ने भागवत पौथी की आरती की।

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