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देश के व्यापारियों के विरुद्ध बनाएं अमानवीय कानून प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग कानून-निर्विकार रातडिया

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कानून को तत्काल प्रभाव से निरस्त करें –
मन्दसौर। जिला कांग्रेस अध्यक्ष उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ निर्विकार रातडिया ने बताया कि अब प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) से जोड़ दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) को अधिकार दे दिया गया है कि वह जी.एस.टी. के डाटा के आधार पर कार्रवाई करें ।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने पीएमएल एक्ट 2002 में संशोधन कर जीएसटी नेटवर्क शब्द को शामिल कर लिया है। पीएमएल एक्ट तो अब तक देशद्रोह, अपराधों, ड्रग्स और अवैध आपराधिक तरीकों से धन कमाने के मामलों में लगता रहा है । स्पष्ट है कि सरकार ऐसे गम्भीर अपराधियों और देशद्रोहियों के तराजू में व्यापारियों को भी तोल रही है । हम केन्द्र सरकार द्वारा उठाए गये इस कदम की न केवल निंदा करते है, बल्कि विरोध भी करते हैं। जीएसटी को किसी भी तरीके से पीएमएल एक्ट में शामिल नहीं किया जाना चाहिये । सरकार इस निर्णय को वापस ले। यूं भी यह धारणा बनती जा रही है कि प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) जैसी एजेन्सी का उपयोग राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किया जाता रहा है। व्यापार करना और जीएसटी की गलतियां आपराधिक कृत्य नहीं माना जा सकता है । सरकार के हर ऐसे कदम का उद्योग एवं व्यापार जगत विरोध करता है।
श्री रातड़िया ने कहा कि जीएसटी एक्ट की गड़बड़ी और गलती पर सख्ती तो ठीक है, लेकिन सिर्फ व्यापारियों में ही सरकार को चोर और अपराधी नजर आ रहे हैं । ताजा बदलावों से यह बात साबित हो रही है कि व्यापार करना सरकार की नजर में सबसे बड़ा अपराध बन गया है। देश में आम मत और धारणा बन गई है कि भारत सरकार व्यापारियों के साथ अपराधियों सा व्यवहार कर रही है । वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम सुविधा के लिये नहीं, अपितु परेशानी बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। अब जीएसटी एक्ट के साथ प्रवर्तन निदेशालय  को शामिल कर आम व्यापारियों को भयग्रस्त करने का प्रयास केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
श्री रातड़िया ने कहा कि म.प्र. कांग्रेस उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ इस निर्णय को वापस लेने की मांग करता है । क्योंकि जीएसटी एक्ट में कार्रवाई के अधिकार और पर्याप्त शक्तियां संबंधित विभागों के पास मौजूद है, तो फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को व्यवसाय की गतिविधियों में शामिल कर व्यापार जगत को भयग्रस्त करना अनुचित ही नहीं, बल्कि अन्यायपूर्ण कृत्य भी है। इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाता है, तो प्रदेश और देश स्तर पर उग्र विरोध किया जाएगा ।

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