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अकाल की विभीषिका सर पर है और राज्य सरकार बेपरवाह है – रामानुज

अकाल की विभीषिका सर पर है और राज्य सरकार बेपरवाह है – रामानुज

 

किसानों के लिए राहत पैकेज एवं वैकल्पिक कृषि की घोषणा करे राज्य सरकार

 

 

बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता 

अप

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व उपाध्यक्ष जिला बीस सूत्री रामानुज पाण्डेय एवं भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष पूर्व लोकसभा प्रत्याशी कृष्ण बल्लभ प्रसाद सिंह बबुआ जी ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मौसम की बेरुखी एवं राज्य सरकार की अनदेखी पर चिंता व्यक्त की है एवं राज्य सरकार से मांग किया है की रोपनी का महत्वपूर्ण नक्षत्र पुष्य गुजर रहा है एवं वर्षा नहीं होने के कारण और नहरों में पर्याप्त पानी के अभाव के कारण रोपनी का कार्य काफी पीछे हो चुका है खासकर जिन इलाकों में किसान अभी भी वर्षा के पानी पर निर्भर हैं वहां तो बिचड़े भी पानी के अभाव में सुख रहे हैं टीच खेतों में दरारें पड़ गई है और पानी के अभाव में रोपनी के लिए खेत तैयार करना किसानों के लिए मुश्किल हो गया है ऐसी परिस्थिति में अब किसानों के सामने एकबार फिर पिछले साल की वह विभीषिका सामने है जब वर्षा के अभाव में किसान धान की रोपनी नहीं कर पाए थे और उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था लेकिन राज्य सरकार ने ऐसे किसी भी किसानों को सिर्फ इस बात पर सहायता नहीं दिया कि किसानों ने डीजल की सब्सिडी ले ली थी डीजल की सब्सिडी ले लेना इस बात की गारंटी नहीं है किसानों के धान हो गए

राज्य सरकार एवं कृषि विभाग को अपनी जिम्मेवारी से भागना नहीं चाहिए बल्कि वास्तविकता का सर्वेक्षण कराकर एवं जमीनी सर्वे कराकर की वास्तव में किसानों के कितने प्रतिशत खेतों में धानों की बुवाई हुई है और यही नहीं बुवाई होने के बाद भी वर्षा के अभाव में सिंचाई के अभाव में उनके धान का सही-सही उत्पादन हो पाया या नहीं

पिछले वर्ष का जो अनुभव रहा है किसानों को धान की खेती में काफी नुकसान हुआ लेकिन राज्य सरकार ने किसानों को नाम मात्र का भी मुआवजा भी नहीं दिया आज फिर से किसानों के सामने पिछले वर्ष की परिस्थिति खड़ी है हम मांग करते हैं कि राज्य सरकार से साथ ही सभी दलों के जनप्रतिनिधियों से एवं कृषि विभाग और प्रशासन से कि इस विकट परिस्थिति का संवेदना पूर्वक अध्ययन कराकर जो सच्चाई है उसका रिपोर्ट तैयार करा कर और किसानों को किस प्रकार से उनकी भरपाई की जा सकती है और अन्य किस अनाज की वैकल्पिक खेती की जा सकती है इसकी तत्काल पहल सरकार एवं कृषि विभाग को करना चाहिए

मैंने पिछले वर्ष भी मांग किया था की राज्य सरकार अपने प्रशासन के माध्यम से कृषि विभाग के माध्यम से वास्तविकता का जांच कराएं कितने किसानों को कितना नुकसान हुआ और कितना प्रतिशत उन्हें उपज मिल पाया इसका सर्वे होना चाहिए और तत्काल में इस विषय पर सरकार घोषणा तो करती है कि हम 12 घंटे बिजली उपलब्ध कराएंगे लेकिन उनके पावर सबस्टेशन और फिडरों की जो हालत है कि वह लगातार बिजली दे पाने में सक्षम नहीं है

भूगर्भ जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है और सरकार केवल घोषणाएं करती है कि हम आहर पोखर और कुओं का अतिक्रमण मुक्त कराएंगे

लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन इस में विफल रहा है और कहीं भी पर्याप्त मात्रा में जो होना चाहिए था अतिक्रमण मुक्त आहर पोखर

वह नहीं हुआ जिस कारण से जितने भी वर्षा हुई उसका लाभ आने वाले दिन में किसानों को नहीं मिलने जा रहा है।

इसलिए सरकार सिर्फ घोषणाएं नहीं करें बल्कि संवेदनशील बनकर सरकार और प्रशासन इस विषय पर ध्यान दें कि किसान जो लगातार मौसम के बेरुखी के कारण कृषि में हमेशा असफल हो रहे हैं।

खेती पर निर्भर किसानो एवं मजदूरों के परिवार के जीवन निर्वाह का संकट खड़ा होने वाला है।

भुखमरी की संकट भी खड़ी हो सकती है।

क्योंकि अभी जो परिस्थिति है ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 70% से ऊपर की आबादी कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है चाहे वह किसान हो या मजदूर हो उन्हें आमदनी का जरिया है वह कृषि है और सरकार वैकल्पिक कृषि का भी व्यवस्था करनी चाहिए जो नहीं कर पा रही है इस प्रकार की परिस्थिति में आज किसानों के सामने जो संकट खड़ा हुआ है वह भयावह है।

हम राज्य सरकार से मांग करते हैं सरकार तत्काल सर्वे कराकर मुआवजा की व्यवस्था करें सरकार तत्काल व्यवस्था करके किसानों के जितने ऋण हैं उनको माफ करने की व्यवस्था करें सरकार तत्काल सारे आहर पोखर को मजबूत कराने सुदृढ़ कराने के लिए इसकी योजना चलाये

जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार भी मिले और भविष्य में अगर थोड़ी बहुत वर्षा अगर होने का संयोग भी है तो आने वाले दिन में उनको सिंचाई की भी सुविधा हो और मवेशियों के लिए भी चारे और पानी का इंतजाम किसान कर सके

इसकी व्यवस्था राज्य सरकार और प्रशासन तत्काल सुनिश्चित करें 

सभी दलों के जनप्रतिनिधियों से मांग करते हैं राजनीति से ऊपर उठकर के यह जो विभीषिका खड़ी हुई है इसमें किसानों के साथ खड़े हों

और उनकी आवाज को सड़क से लेकर सदन तक बुलंद करने का काम करें क्योंकि यदि कृषि क्षेत्र आज जिस प्रकार से उपेक्षित हो रहा है।

बिहार में लोग कृषि पर ही निर्भर हैं अभी भी 70 से 75% आबादी कृषि पर ही निर्भर है चाहे वह किसान हो या मजदूर हो अगर ऐसा नहीं होता है तो बिहारी पलायन को फिर से मजबूर होंगे और कहां कहां जाना पड़ेगा क्या क्या परिस्थितियां बिहार के लोगों को झेलनी पड़ेगी

इसकी चिंता सरकार और जनप्रतिनिधियों को तत्काल सुनिश्चित करनी चाहिए।

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