व्यापम परीक्षा में फर्जी तरीके से पास हुए आरक्षक को सात साल की सजा

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मन्दसौर । आरोपी आरक्षक शहर कोतवाली थाने में पदस्थ था। मामला साल 2012 का है। अपनी जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाकर पास हुए मंदसौर कोतवाली थाने में पदस्थ आरक्षक जितेंद्र टांक को व्यापम के एक मामले में न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है। नवम अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश सीबीआई (व्यापम प्रकरण) भोपाल ने आरक्षक जितेंद्र पिता नागेश्वर टांक निवासी थाना दलौदा को सात साल की सजा सुनाई। थाना एसटीएफ भोपाल के अपराध क्रमांक 55/ 2021 में यह फैसला सुनाया गया है। केस की विवेचना के बाद भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत ये निर्णय लिया गया। मामला पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 से जुड़ा है। इसमें आरोपी जितेंद्र टांक द्वारा छल, कूटरचित दस्तावेज का उपयोग करने, मान्यता प्राप्त परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने व किसी अज्ञात को अपनी जगह परीक्षा में बैठाकर षड्यंत्र रचने का मामला सामने आया है। बता दें कि मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल द्वारा 30 सितंबर 2012 को आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें आरोपी जितेंद्र का आरक्षक के तौर पर चयन हुआ था। एसटीएफ मुख्यालय भोपाल को व्यक्ति के संबंध में अनुचित रूप से चयन होने के संबंध में शिकायत भी मिली थी। शिकायत पर इसकी ओएमआर शीट और रासा शीट जब्त की गई थी। अंगूठे के चिह्न, हाथ की लिखावट के सैंपल एक्सपर्ट को भेजे गए थे। जांच में पाया कि परीक्षा की ओएमआर शीट की लिखावट, अंगूठे के चिह्न आरोपी के नहीं हैं। इस आधार पर निरीक्षक ममता कामले ने जांच प्रतिवेदन एसटीएफ एसपी को भेजा था, जिसके बाद एफआईआर भी दर्ज की गई थी। इसके बाद जांच में पाया गया कि आरोपी जितेंद्र का परीक्षा केंद्र साईं श्री एकेडमी, साईं परिसर रत्नपुरी रतलाम था। परीक्षा में खुद शामिल न होकर किसी अन्य को बैठाकर परीक्षा में पास हुआ था। तमाम सबूतों के आधार पर नवम अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश सीबीआई नीतिराज सिंह सिसौदिया ने फेसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी जितेंद्र टांक को विभिन्न धाराओं में सात साल की सजा सुनाई है।