खरीफ फसल सोयाबीन, कपास, मक्का में समेकित खरपतवारों का नियंत्रण कैसे करें

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रतलाम- खरीफ फसल जैसे सोयाबीन, कपास तथा मक्का आदि की बोनी पूर्ण हो चुकी है। कुछ किसानों ने जून के अंतिम सप्ताह में खरीफ फसलों की बोनी कर दी थी जो कि लगभग 12-15 दिनन की हो चुकी है तथा अंकुरित होकर लहलहा रही है।
खरीफ फसलों में चारे या खरपतवारों की समस्या बनी रहती है क्योंकि चारे या खरपतवारों के कारण खरीफ फसलों में 35 से 70 प्रतिशत तक उत्पादन में गिरावट आ सकती है। नैसर्गिक संसाधान जैसे प्रकाश, मिट्टी, जलवायु के साथ पौषक तत्व इत्यादि के लिए भी फसल के साथ प्रतिस्पर्धा कर उपज में भारी कमी लाते हैं। खरपतवार (चारा) का प्रकार सघनता तथा इनकी आयु फसल के उत्पादन में नुकसान करने की क्षमता रखते हैं। खरीफ फसलों में प्रमुख रुप से सकरी पत्ती वाले एक बीज पत्रीय खरपतवार जैसे दूब घास, सबा घास, दिवालिया, बोकना, मैथी आदि, चौडी पत्ती वाले द्विबीज पत्रीय खरपतवार जैसे बडी एवं छोटी दूधी जंगली चौलाई, हजार दाना, जंगली जूट आदि खरपतवार उत्पादन में होने वाली कमी के बचाव हेतु खरीफ फसलों को बोनी के 45 दिन तक अवश्य बचाना चाहिए तथा 25 से 30 दिन की सोयाबीन फसल होने खेती में डोरा चलाकर चारे या खरपतवारों को नष्ट कर सकते हैं।
सहायक संचालक कृषि श्री भीका वास्के ने बताया कि हाथ से निंदाई, गुडाई करके भी खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है क्योंकि खरपतवारों के होने से खरीफ फसलों में 35 से 70 प्रतिशत उत्पादन में गिरावट आ सकती है। इसलिए इनको नष्ट करने के लिए समय-समय पर नियंत्रण करना अतिआवश्यक है ताकि किसान समय रहते सोयाबीन फसल को अधिक समय तक सुरक्षित रखकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
खरपतवारनाशक रसायनों का उपयोग यथा समय अंत में करना चाहिए क्योंकि जमीन पर विपरीत प्रभाव पडता है। मौसम खुला होने पर डोरा चलाकर ही खरपतवारों को नष्ट करना चाहिए। खरपतवार नाशक की अनुशंसित मात्रा 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव यंत्र में फ्लेट पेन या फ्लडजेट नोजल लगाकर नमीयुक्त भूमि पर ही छिडकाव करना चाहिए। सोयाबीन फसल हेतु अनुशंसित खरपतवारनाशक (दवाई) रसायनों में ही किसी एक का उपयोग करें। किसानों को सलाह दी जाती है कि एक ही खरपतवारनाशक दवा का उपयोग बार-बार ना करें। बोनी के 10-12 दिन बाद क्लोरीनम्यूरान व्यावसायिक नाम क्लोबेन क्यूरिन 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। बोनी के 15-20 दिन बाद (पी.ओ.ई.) इमाजेथापर 1.00 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी जाती है।