कथा का श्रवण के साथ मनन भी करना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। चातुर्मासिक प्रवचनों के अंतर्गत बुधवार 5 जुलाई को संतश्री ने कथा श्रवण के बारे में और वैराग्य के बारे में बताया। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
बुधवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि हमें कथा का श्रवण के साथ मनन भी करना चाहिए। आपने कहा कि कई लोग एक कान से कथा को सुनते है और दूसरे कान से निकाल देते है। जब तक सत्संग भवन में बैठे है तब तक ठीक हैं जैसे ही बाहर जायेगे सब भूल जाते है ऐसा नहीं होना चाहिए। आपने बताया कि संसार में हर चीज चलायमान है इसलिए किसी भी चीज से लगाव नहीं होना चाहिए, हमारे अंदर वैराग्य होना चाहिए। कथा को श्रवण कर और उसका मनन कर ही वैराग्य उत्पन्न हो सकता है।
धर्मसभा मे संतश्री ने बताया कि शरीर नश्वर है इसलिए प्रभु भक्ति और सत्संग श्रवण करके ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। आपने कहा कि जब भी आप कथा सुनने आयें तब सभी प्रकार की पारिवारिक, सामाजिक समस्याओं को भुलाकर आयें और एकाग्र चीत होकर कथा का श्रवण करें।
अपने आप पर अंकुश लगाना सबसे बडा तप
संतश्री ने कहा कि कई बार भक्तगण हमारे पास आते है और पूछते है कि महाराज जी सबसे बडा तप कौन सा होता है। हम कहते है कि अपने आप पर अपने मन पर अंकुश लगाना अपनी इन्द्रियो पर काबू रखना सबसे बडा तप माना गया है। मन को एकाग्र रखना चाहिए और स्वाध्याय करना चाहिए। धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण का ध्यान कर आरती के पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, मदनलाल देवडा, पुरूषोत्तम बडसोलिया, रामचन्द्र गोगली, जगदीश भावसार, विश्वनाथ शर्मा, राधेश्याम गर्ग, मोहन पारख, रामनिवास सेठिया, इंजिनियर आरसी पाण्डे, जगदीश गर्ग, कन्हैयालाल रायसिंघानी, शंकरलाल सोनी, सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।