बिहारदेशनई दिल्लीमहत्वपूर्ण संपर्कराजनीति

बिहार की सियासत में फिर चढ़ेगा सावन का रंग, नीतीश खुद गिराएंगे अपनी सरकार? ये क्रोनोलॉजी समझ लीजिए।

बिहार की सियासत में फिर चढ़ेगा सावन का रंग, नीतीश खुद गिराएंगे अपनी सरकार? ये क्रोनोलॉजी समझ लीजिए।

 

 

पटना:–

 

 

महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर सबकी नजर है। नजर तो सबकी बिहार पर भी है। एनसीपी में हुई टूट के बाद कयास लगाया जा रहा है कि बिहार में भी सियासी खेला होगा। हालांकि अब तक सत्ताधारी पार्टी जेडीयू की ओर से साफ इनकार किया जा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी पहले दिन से ही कह रही है कि बिहार में कोई सियासी खेला होने वाला नहीं है। हां और ना के बीच, क्रोनोलॉजी है। सियासी क्रोनोलॉजी को समझना होगा, तब पता चलेगा कि बिहार की महागठबंधन सरकार कैसे गिरेगी?

नीतीश कुमार सरकार बनाते हैं और गिरा देते हैं!

नीतीश कुमार की सियासत को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। नीतीश कुमार अगर साइलेंट मोड में चले जाते हैं, तब तो और मुश्किल होता है। हालांकि नीतीश कुमार अभी पूरी तरह एक्टिव हैं। पार्टी के नेता भी लगातार बयान दे रहे हैं। लेकिन इसके पीछे की सियासत को सबसे पहले समझना होगा। राजनीतिक पंडित बताते हैं कि नीतीश कुमार का अपना एक क्रोनोलॉजी है। उसी क्रोनोलॉजी से नीतीश कुमार सरकार बनाते हैं और फिर गिरा देते हैं।

 

बिहार में 2017 जैसे हालात बन गए हैं। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव चार्जशीटेड हो गए हैं। सीबीआई ने लैड फॉर जॉब्स मामले में लालू-राबड़ी के साथ तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया है। तब से कयास लगाया जा रहा है कि बिहार में सरकार की स्थिति डावांडोल है। बिहार में कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसे सावन से भी जोड़कर देखा जा रहा है। नीतीश कुमार सावन में ही सरकार बनाते हैं और गिरा भी देते हैं। साल 2017 हो या 22, सावन में ही नीतीश कुमार ने सियासी पलटी मारकर सरकार गिराई थी, और बाद में बनाई थी।

 

क्या है क्रोनोलॉजी?

अब नीतीश कुमार की क्रोनोलॉजी समझिए। नीतीश कुमार कुछ दिन पहले राजभवन में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिले थे। उसी दिन बीजेपी नेता सुशील मोदी भी राज्यपाल से मिले थे। राज्यपाल से मिलने के बाद नीतीश कुमार अपने विधायक और सांसदों से वन टू वन मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं की मुलाकात कब हुई, इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी। मीडिया को भनक तब लगी, जब हरिवंश नारायण सिंह पटना से बाहर निकल गए थे। हालांकि दोनों नेताओं में क्या बात हुई, अब तक जानकारी नहीं मिल पाई है।

 

दूसरी ओर नीतीश कुमार जिन विधायकों और सांसदों से सीएम आवास में मिलते थे, और जब वे बाहर आते थे तो एक ही बात कहते थे कि नीतीश कुमार फीडबैक लेने के लिए बुलाया था। अब सवाल उठता है कि नीतीश कुमार अचानक अपने विधायकों और सांसदों से फीडबैक क्यों लेने लगे? नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है? ये ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब नीतीश कुमार के अलावा कोई दूसरा नहीं दे सकता है।

नीतीश का हरिवंश बाबू से मिलना बहुत कुछ कहता है

कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार को छोड़कर, जेडीयू के सभी छोटे-बड़े नेता हरिवंश नारायण सिंह को कोस रहे थे। उनके खिलाफ बयान दे रहे थे। माना जा रहा था कि अब हरिवंश नारायण सिंह का जेडीयू से संबंध खत्म हो गया! कयासों के बीच हरिवंश नारायण सिंह नीतीश कुमार से मिलते हैं। दोनों नेताओं के बीच डेढ़ घंटे तक बात होती है। फिर वापस दिल्ली लौट जाते हैं। दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद कयासों का बाजार गरम है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के मन में कुछ है, तभी तो हरिवंश नारायण सिंह से मिले। अब मन में क्या है, वही बता सकते हैं।

स्क्रू टाइट करने लगे हैं नीतीश कुमार!

नीतीश कुमार सियासी पलटी मारने के लिए बहाना खोज रहे हैं? इस सवाल का जवाब शिक्षा मंत्री प्रकरण से मिलता है। अब तक दावा किया जा रहा था कि महागठबंधन सरकार में सब ठीक है। हालांकि एक पत्र ने दावों की पोल खोल दी। तेजस्वी यादव और लालू यादव के ‘खास’ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की ‘स्क्रू’ नीतीश कुमार अपने चहते अधिकारी से टाइट करवा रहे हैं! कहा जा रहा है कि ये भी नीतीश कुमार की क्रोनोलॉजी का ही हस्सा है, ताकि इस मुद्दे पर भी आरजेडी का शीर्ष नेतृत्व खुलकर सामने आए। हालांकि इस मुद्दे पर जेडीयू और आरजेडी के नेता आमने-सामने आ गए हैं। बयानबाजी भी तेज हो गई है। बस असली खेल बाकी है!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon
Whatsapp
ज्वॉइन करें
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}