मंदसौरमध्यप्रदेश

महाकाल लोक की तर्ज पर बनेगा भगवान पशुपतिनाथ महालोक-यशपालसिंह सिसौदिया

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सनातन धर्म विरोधियों से सदैव सावधान रहना जरूरी है- स्वामी श्री मणि महेश चैतन्यजी महाराज

संतों के सानिध्य में सम्पन्न हुआ गुरू पूर्णिमा महोत्सव-हजारों श्रद्धालुओं की अपार भीड़ ने ग्रहण किया भण्डारा प्रसादी, लिया धर्मलाभ
मन्दसौर। श्री चैतन्य आश्रम मेनपुरिया में गुरू पूर्णिमा महोत्सव भव्य गरिमामय माहौल में संतों के सानिध्य में मनाया गया। नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं ने गुरू पूजन संतों का सम्मान कर गुरू महिमा पर आशीर्वचन श्रवण कर धर्मलाभ लिया।
विधायक श्री यशपालसिंह सिसौदिया ने जीवन में एक सच्चे सद्गुरू की आवश्यकता बताते हुए कहा कि शीश दिये सद्गुरू मिले तो भी सस्ताजान। श्री सिसौदिया ने चैतन्य आश्रम की महिमा बताते हुए कहा कि इस आश्रम में समाधिस्थ सन्तों-महापुरूषों क समाधी मंदिरों से उनकी मौन उर्जा सम्पूर्ण क्षेत्र को आध्यात्मिक उर्जा से प्रेरित करती रहती है। आपने कहा कि यही पवित्र तीर्थ भूमि है जहां स्वामी प्रत्यक्षानंद जी ने तपस्या साधना कर विश्व वन्द्य अष्टमूर्ति भगवान श्री पशुतिनाथ की प्रतिष्ठापन कर आज मंदसौर को विश्व पहचान का केन्द्र बनाया। श्री सिसौदिया ने चैतन्य आश्रम भूमि को वंदन-प्रणाम करते हुए चैतन्यदेव प्रत्यक्षानंदजी, भागवतानंदजी, नित्यानंदजी का स्मरण किया।
श्री सिसौदिया ने जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी के सुझाव और उनके निवेदन पर समस्त नगरवासियों की प्रबल भावना को देखते हुए महाकाल की तर्ज पर पशुपतिनाथ महालोक का प्रस्ताव करते हुए 19 लाख के अतिरिक्त 32 करोड़ की राशि शहर के विकास भगवान पशुपतिनाथ अतिथि गृह ब्रह्मानंद नालछामाता रोड़ के लिये तत्काल प्रभाव से माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंहजी ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। आपने गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर सनातन धर्म ध्वजा को शीर्ष पर पहुंचाने का आव्हान किया। इस संबंध में आपने पूज्य बागेश्वर धाम सरकार, पं. प्रदीप मिश्रा का सनातन धर्म की धर्म ध्वजा को आगे बढ़ाने में अग्रीम भूमिका का उल्लेख किया।
आश्रम के युवाचार्य स्वामी मणि महेश चैतन्यजी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वास्तव मंे गुरू श्री शंकराचार्यजी को चर्पट पंजरीका में उल्लेखित वाक्य को कहते हुए कहा कि गुरू उसे बनना चाहिये जो आपका हितैषी हो जो हित का उपदेश करता हो, आपके जीवन के कल्याण का मार्ग बताये। आपने कहा कि गाड़ी चलाने का प्रशिक्षण देने वाला, भोजन, व्यापार-राजनीति-भौतिक सुख-साधन-सम्पत्ति अर्जित करने की कला सिखाने वाला आदि सभी को गुरू कहते है। परन्तु इनकी गुरू पूर्णिमा नहीं मनाई जाती। गुरू पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा उन्हीं महापुरूषों की मनाई जाती है। जिन्होंने हमें अज्ञान रूपी अंधकार से निकालकर आत्मरूपी प्रकाश का बोध कराया है।
संत श्री ने वर्तमान में जो भगवान के श्री विग्रहों का उनकी पूजा रामचरित मानस आदि का विरोध धर्मान्तरण को बढ़ावा देने वाले सनातन धर्म विरोधी, ऐसे ढांेगी-पाखण्डियों जो मंदिरों, गोशालाओं से जुड़े ऐसे लोग जिनका स्वार्थ पूरा नहीं होता, झूठे आरोप लगाकर धर्म की निंदा करते हो ऐसे से सावधान रहने की आवश्यकता है।
सनातन धर्मावलम्बियों को रात्रि को परिवार सहित भगवान के सम्मुख बैठकर भजन करने का संकल्प लेना चाहिये।
पूज्य संत उज्जैनमुनिजी, शिवचैतन्यजी महाराज शाहपुरा राजस्थान व मोहनानंदजी का सानिध्य भी प्राप्त हुआ। पूजन विधि पं. दिनेश व्यास और विष्णुलाल व्यास धारियाखेड़ी ने सम्पन्न करवाई।
प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन लोकन्यास अध्यक्ष प्रहलाद काबरा ने दिया।
विधायक यशपालसिंह सिसौदिया, प्रहलाद काबरा, सचिव रूपनारायण जोशी, उपाध्यक्ष डॉ.  घनश्याम बटवाल, कोषाध्यक्ष जगदीश चंद्र सेठिया, ट्रस्टीगण कारूलाल सोनी, ब्रजेश जोशी, विनोद गर्ग, बंसीलाल टॉक, राधेश्याम गर्ग, भेरुलाल कुमावत, अजय सिखवाल, प्रद्युम्न शर्मा, रामचंद्र कुमावत, उदयलाल कुमावत, महेश गर्ग, रमेशचंद शर्मा, अरूण शर्मा, डॉ. देवेन्द्र पौराणिक कथा के मुख्य यजमान कुमावत परिवार कुचडौद वालों आदि ने किया।
संचालन लोकन्यास वरिष्ठ ट्रस्टी  जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी व योग गुरू बंशीलाल टांक ने किया। आभार रूपनारायण जोशी ने माना। अंत में प्रसादी भण्डारा में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

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