छतरपुरभक्ति/ आस्थामध्यप्रदेश

भगवान श्री शनि धाम मुजफ्फरपुर में काला छाता चढ़ाते ही उतर जाती साढ़ेसाती.

122 साल पुराना बिहार के मुजफ्फरपुर में बना शनि देव का मंदिर

पंकज पाराशर छतरपुर✍️
नवग्रह मे शनि देव भी एक ग्रह है जिन्हें न्याय का देव कहा जाता है।जब व्यक्ति अपने मद में इतना लीन हों जाता है कि अपने को भूल जाता है तथा अनैतिक अधर्म दुराचार कि और चल पड़ता है। उस व्यक्ति पर लगाम रोक लगाकर अपने वास्तविक स्वरूप को याद दिलाने के लिए शनि देव साढ़े सात साल तक अलग अलग प्रकार से सजा देते हैं। जब उसमें सुधार गलती का एहसास हो जाता है तो उसे पुनः सामाजिक व्यक्ति बना देते हैं।

कहा जाता है कि जिसके ऊपर शनि की साढ़ेसाती रहती है वो परेशानियों से घिरा रहता है. अगर आप भी ऐसी किसी परेशानी से घिरे हैं तो चले आइये बिहार के मुजफ्फरपुर और शनिदेव के इस मंदिर में चढ़ाइये काला छाता । मान्यता है कि काला छाता चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और परेशानियों का अंत हो जाता है ।
122 साल पुराना है शनिदेव का मंदिर
मुजफ्फरपुर के गुदरी रोड में बना शनिदेव का ये मंदिर 122 सालों से भी अधिक प्राचीन है, 1902 में निर्मित में ये मंदिर शनिदेव के भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है । यही कारण है कि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है । विशेषकर शनिवार और अमावस्या के दिन तो मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है ।
शनिदोष से मिलती है मुक्ति
मंदिर के मुख्य पुजारी राजू कुमार शर्मा बताते हैं कि यह मंदिर सुबह खुलता है और दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है, फिर संध्या चार बजे खुलता है और रात 11 बजे बंद होता है । मुख्य पुजारी कहते हैं कि किसी भी प्रकार का शनि दोष और शनि ग्रह की दशा से घिरे हुए लोगों के लिए यह मंदिर जीवनदायक है ।
काला छाता चढ़ाने का विशेष महत्व
मुख्य पुजारी बताते हैं कि मंदिर आनेवाले भक्त सामान्य तौर पर शनिदेव को काला तिल और तिल या सरसों का तेल चढ़ाते हैं । इसके अलावा लोहे की कील, लोहे की कड़ाही और लोहे के दूसरे बर्तन भी चढ़ाते हैं । मंदिर में काला छाता चढ़ाने का विशेष महत्व है । मान्यता है कि काला छाता चढ़ाने वाले के सिर पर हमेशा छत बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है ।
शालग्राम पत्थर से बनी है मूर्ति
पुजारी राजू कुमार शर्मा की तीन पुश्तें इस मंदिर की सेवा कर रही हैं । उनके परदादा चुन्नी लाल शर्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी । तब ये मंदिर बहुत ही छोटा बना था, लेकिन अब मंदिर काफी भव्य बन गया है । शालग्राम पत्थर से बनी मूर्ति मंदिर में स्वयं शनिदेव के विराजमान होने का आभास कराती है ।
कई भक्तों को मिला कष्टों से छुटकारा
शनिदेव के इस मंदिर से लोगों की बड़ी आस्था जुड़ी है । यही कारण है कि कई भक्त प्रत्येक शनिवार को मंदिर आते हैं और शनिदेव की पूजा-अर्चना करते हैं । प्रमोद कुमार भी ऐसे ही भक्तों में एक हैं । प्रमोद कुमार बताते हैं कि उन पर शनि की साढ़ेसाती थी ।। जो इस मंदिर में पूजा-पाठ करने से दूर हुई और जीवन में समृद्धि आई ।

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