समाचार नीमच मध्य प्रदेश से 27 जून 2023
कलेक्टर श्री जैन ने ई-जनसुनवाई में सुनी ग्रामीणों की समस्याएं
मनासा ब्लॉक की 6 ग्राम पंचायतों से वर्चुअल सुनी समस्याएं
नीमच 26 जून 2023,जिले में प्रत्येक सोमवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष नीमच में प्रात:10 से वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए की जा रही जनसुनवाई में कलेक्टर श्री दिनेश जैन ने मनासा ब्लाक की 6 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों की वर्चुअली समस्याएं सुनी। कलेक्टर ने श्री जैन ने ई-जनसुनवाई में मनासा ब्लॉक की ग्राम पंचायत चौकडी, बखतुनी, धाकडखेडी, खेडली, कंजार्डा एवं पलासिया के ग्रामीणों से चर्चा कर, उनकी समस्याएं सुनी। तथा उनका निराकरण करने के निर्देश संबंधित जिला अधिकारियों को दिए। इस अवसर पर जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ श्री अरविन्द्र डामोर सहित विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री जैन ने ई-जनसुनवाई में ग्राम पंचायत चौकडी, बखतुनी, धाकडखेडी, खेडली, कंजार्डा एवं पलासिया के ग्रामीणों से चर्चा कर, उनकी समस्याएं सुनी। ई-जनसुनवाई में कंजार्डा में आबादी गॉव घोषित करने, आकाशीय बिजली गिरने से तीन भेसों की मृत्यु हो जाने पर आर्थिक सहायता स्वीकृत करने, किसान सम्मान निधि के शेष कृषकों को योजना में शामिल करवाने, भूमि पर कब्जा करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही करने, हरिपुरा एवं कनकपुरुा गॉव को पहुचं मार्ग से जौडने, बैसदा में आंगनवाडी की छत मरम्मत कार्य करवाने, संबंधी ग्रामीणों ने समस्याएं सुनाई।
इसी तरह जल जवीन मिशन योजना के तहत गॉव मे बिछाई गई पाईप लाईन दुरस्त करवाने, ग्राम में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने, संबंधी ग्रामीणों से चर्चा कर, उनकी समस्याएं सुनी। कलेक्टर ने ई-जन सुनवाई में ग्रामीणों से शासन की योजनाओं की जानकारी सहित, टीकाकरण, आयुष्मान कार्ड, पेयजल, राशन की उपलब्धता के अतिरिक्त मूलभूत सुविधा की जानकारी ली एवं उनका निराकरण करने के निर्देश संबंधित जिला अधिकारियों को दिए।
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जिले में औसत 93.6 मि.मी.वर्षा दर्ज
नीमच 26 जून 2023, जिले में चालू वर्षाकाल के दौरान अब तक 93.6 मि.मी.वर्षा हुई है। नीमच में 84 मि.मी.,जावद में 97 मि.मी.एवं मनासा में 100 मि.मी.वर्षा दर्ज की गई है। गत वर्ष इस अवधि में औसत 32.6 मि.मी. वर्षा हुई थी। इसमें नीमच में 37 मि.मी.,जावद में 21 मि.मी.एवं मनासा में 40 मि.मी.वर्षा हुई थी। जिले में 26 जून 2023 को प्रात:8 बजे समाप्त हुए, पिछले 24 घण्टे में औसत 24.6 मि.मी.वर्षा हुई है। नीमच में 20 मि.मी.,जावद में 25 मि.मी.एवं मनासा में 29 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई है।
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जितने प्रतिशत विद्यार्थियों का छात्रावास में प्रवेश, उतने प्रतिशत वेतन का अधीक्षकों को भुगतान-श्री गुरूप्रसाद
अजा,अजजा, अपिव एवं विमुक्त जाति छात्रावास अधीक्षकों की समीक्षा बैठक में दिये निर्देश
नीमच 26 जून 2023, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं विमुक्त जाति के विद्यार्थियों के लिये शासन द्वारा जिले में संचालित छात्रावासों में आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 में संबंधित संस्था के अधीक्षक द्वारा स्वीकृत सीट के अनुपात में जितने प्रतिशत विद्यार्थियों के प्रवेश कराये जायेंगे, आगामी अगस्त माह से उन्हें उतने प्रतिशत वेतन का ही भुगतान किया जायेगा। यह बात जिला पंचायत सीईओ ने सोमवार को जिला पंचायत सभाकक्ष, नीमच में आयोजित जनजातीय कार्य विभाग एवं पिछड़ा वर्ग, विमुक्त जाति कल्याण विभाग के छात्रावास अधीक्षकों की आगामी सत्र में प्रवेश की स्थिति की समीक्षा बैठक में संबोधित करते हुए कही।
सीईओ जिला पंचायत श्री गुरूप्रसाद ने बैठक में सर्वप्रथम अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा जिले में संचालित छात्रावासों की स्वीकृत सीट एवं प्राप्त आवेदनों की समीक्षा की। सीईओ श्री गुरुप्रसाद द्वारा रिक्त सीट अधिक एवं प्राप्त आवेदन कम छात्रावासों के अधीक्षकों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिये गये। अधिकांश छात्रावासों में स्वीकृत सीटों के अनुपात में विद्यार्थियों के अत्यंत कम आवेदन प्राप्त होने की स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया। इसी प्रकार जनजातीय छात्रावासों एवं पिछड़ा वर्ग, विमुक्त जाति छात्रावासों की स्वीकृत सीटों के अनुपात में प्राप्त आवेदनों की स्थिति की समीक्षा की गई।
सीईओ श्री गुरूप्रसाद, ने अधीक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं विमुक्त जाति के विद्यार्थियों हेतु शासन द्वारा संचालित छात्रावासों में प्रवेश के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। सभी अधीक्षकों को जुलाई माह में स्वीकृत सीटों के विरूद्ध शत-प्रतिशत विद्यार्थियों के प्रवेश अनिवार्य रूप से कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि माह अगस्त 2023 से छात्रावास की स्वीकृत सीट के अनुपात में जितने प्रतिशत विद्यार्थियों के प्रवेश होंगे, अधीक्षकों को भी उतने प्रतिशत वेतन का भुगतान किया जायेगा।
सीईओ श्री गुरूप्रसाद द्वारा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनांतर्गत अजा, अजजा विद्यार्थियों के विभिन्न संस्थाओं के स्तर पर लंबित आवेदनों की समीक्षा करते हुए संबंधित संस्थाओं के प्राचार्यों को तत्काल निराकरण के निर्देश प्रदान किये। बैठक में जिला संयोजक श्री राकेश कुमार राठौर, एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, नीमच एवं विभागीय छात्रावास अधीक्षक, अधीक्षिका तथा कर्मचारीगण उपस्थित थे।
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बाल श्रम निषेध सप्ताह तहत श्रमिकों को कराया विमुक्त
नीमच 26 जून 2023, अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध सप्ताह के अंतर्गत नीमच शहरी क्षेत्र में गायत्री मोटर रिवाईडिंग एण्ड रेफरिजरेटिंग डिविजन तथा नीमच हेड रिपेयरिंग से एक-एक बाल श्रमिकों को संयुक्त दल,श्रम निरीक्षक श्री सज्जनसिंह चैहान, चाईल्ड लाईन मेम्बर श्रीमति रंजना, व आरक्षक श्री रामेश्वर चंदेल, द्वारा विमुक्त कराया गया था। 23 जून 2023 को उक्त दोनों संस्थानों के विरूद्व श्रम निरीक्षक द्वारा प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेड के समक्ष चालान प्रस्तुत कर दोनों संस्थानों को 35-35 हजार के जुर्माना से दण्डित करवाया।
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शहडोल जिले का गांव पकरिया है अद्भुत एवं अविस्मरणीय
अद्भुत एवं अद्वितीय है पकरिया गांव की जनजाति के रीति-रिवाज, खान-पान, जीवनशैली
अपनी परंपराओं के अनुसार ही जीवन जीने में रखते विश्वास
जनजातीय जीवन शैली का अभिन्न अंग है नृत्य-संगीत
नीमच 26 जून 2023, शहडोल जिले का पकरिया गांव अद्भुत एवं अविस्मरणीय है। जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ सात रंग के इंद्रधनुष की तरह गतिमान है। शहडोल जिले का पकरिया गांव सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा गांव है, जहाँ साल, सागौन, महुआ, कनेर, आम, पीपल, बेल, कटहल, बांस और अन्य पेड़ों की हवाएं उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती है। उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती सोन नदी की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो, वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ है।
पकरिया गांव में लगभग 4700 लोग निवास करते हैं,जिसमें से लगभग 2200 लोग मतदान करते हैं। गांव में लगभग 700 घर जनजातीय समाज के हैं। जिनमें गोंड समाज के 250, बैगा समाज के 255, कोल समाज के 200, पनिका समाज के 10 तथा अन्य समाज के लोग निवास करते हैं। पकरिया गांव में 3 टोला है, जिसमें जल्दी टोला, समदा टोला एवं सरकारी टोला शामिल है।
जनजातियों का नृत्य-संगीत प्रकृति की लीला-मुद्राओं का अनुकरण
ढोल, माँदर, गुदुम, टिमकी, डहकी, माटी माँदर, थाली, घंटी, कुंडी, ठिसकी, चुटकुलों की ताल पर जब बाँसुरी, फेफरिया और शहनाई की स्वर-लहरियों के साथ भील, गोंड, कोल, कोरकू, बैगा, सहरिया, भारिया आदि जनजातीय युवक-युवतियों की तरह बुंदेलखंड-शिखर थिरक उठते हैं, जनजातियों का नृत्य-संगीत प्रकृति की इन्हीं लीला-मुद्राओं का तो अनुकरण है।
पकरिया गांव का जनजातीय समुदाय अद्भुत एवं अद्वितीय इसलिए भी है कि यहां के जनजातियों के रीति रिवाज, खानपान, जीवन शैली सब अविस्मरणीय है। जनजातीय समुदाय प्राय: प्रकृति सान्निध्य में रहते हैं। इसलिये निसर्ग की लय, ताल और राग-विराग उनके शरीर में रक्त के साथ संचरित होते हैं। वृक्षों का झूमना और कीट-पतंगों का स्वाभाविक नर्तन जनजातियों को नृत्य के लिये प्रेरित करते हैं। हवा की सरसराहट, मेघों का गर्जन, बिजली की कौंध, वर्षा की साँगीतिक टिप-टिप,पक्षियों की लयबद्ध उड़ान ये सब नृत्य-संगीत के उत्प्रेरक तत्व हैं।
नृत्य-संगीत जनजातीय जीवन-शैली का अभिन्न अंग
नृत्य मन के उल्लास की अभिव्यक्ति का सहज और प्रभावी माध्यम है। संगीत सुख-दुख यानी राग-विराग को लय और ताल के साथ प्रकट करता है। कहा जा सकता है कि नृत्य और संगीत मनुष्य की सबसे कोमल अनुभूतियों की कलात्मक प्रस्तुति हैं। जनजातियों के देवार्चन के रूप में आस्था की परम अभिव्यक्ति के प्रतीक भी। नृत्य-संगीत जनजातीय जीवन-शैली का अभिन्न अंग है। यह दिन भर के श्रम की थकान को आनंद में संतरित करने का उनका एक नियमित विधान भी है।
गोंड समुदाय के ‘सजनी‘ गीत-नृत्य की भाव-मुद्राएँ चमत्कृत
गांव में गोंड जनजाति समूह में करमा, सैला, भड़ौनी, बिरहा, कहरवा, ददरिया, सुआ आदि नृत्य-शैलियाँ प्रचलित हैं। गोंड समुदाय के ‘सजनी‘ गीत-नृत्य की भाव-मुद्राएँ चमत्कृत करती हैं। इनका दीवाली नृत्य भी अनूठा होता है। माँदर, टिमकी, गुदुम, नगाड़ा, झांझ, मंजीरा, खड़ताल, सींगबाजा, बाँसुरी, अलगोझा, शहनाई, बाना, चिकारा, किंदरी आदि इस समुदाय के प्रिय वाद्य हैं। बैगा माटी माँदर और नगाड़े के साथ करमा, झरपट और ढोल के साथ दशहरा नृत्य करते हैं। विवाह के अवसर पर ये बिलमा नृत्य कराते हैं। बारात के स्वागत में किया जाने वाला परघौनी नृत्य आकर्षक होता है। छेरता नृत्य नाटिका में मुखौटों का अनूठा प्रयोग होता है। इनकी नृत्यभूषा और आभूषण भी विशेष होते हैं।
भील जनजाति समूह के लोग नृत्य को ‘सोलो‘ या ‘नास‘ कहते हैं। लाहरी, पाली, गसोलो, आमोसामो, सलावणी, भगोरिया आदि इस जनजाति समूह की बहु प्रचलित नृत्य-शैलियाँ हैं। भील नृत्य के साथ प्राय: बड़ा ढोल, ताशा, थाली, घंटी, ढाक, फेफरिया, पावली (बाँसुरी) आदि वाद्यों का प्रयोग करते हैं।
पकरिया गांव के जनजातीय समाज के लोगों की पूजन अर्चन
पकरिया गांव में भील जनजाति समूह में हरहेलबाब या बाबदेव, मइड़ा कसूमर, भीलटदेव, खालूनदेव, सावनमाता, दशामाता, सातमाता, गोंड जनजाति समूह में महादेव, पड़ापेन या बड़ादेव, लिंगोपेन, ठाकुरदेव, चंडीमाई, खैरमाई, बैगा जनजाति में बूढ़ादेव, बाघदेव, भारिया दूल्हादेव, नारायणदेव, भीमसेन और सहरिया जनजाति में तेजाजी महाराज, रामदेवरा आदि की पूजा पारंपरिक रूप से प्रचलित है। पूजा-अनुष्ठान में मदिरा और पक्वान्न का भोग लगता है। भीलों के त्योहारों में गोहरी, गल, गढ़, नवई, जातरा तो गोंडों में बिदरी, बकबंदी, हरढिली, नवाखानी, जवारा, छेरता, दिवाली आदि प्रमुख हैं।
पकरिया गांव के जनजातियों का विशेष भोजन
पकरिया गांव के जनजातियों का विशेष भोजन कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, साँवा, मक्का, चना, पिसी, चावल आदि अनाज जनजाति समुदायों के भोजन में शामिल हैं। महुए का उपयोग खाद्य और मदिरा के लिये किया जाता है।आजीविका के लिये प्रमुख वनोपज के रूप में भी इसका संग्रहण सभी जनजातियाँ करती हैं। बैगा,भारिया और सहरिया जनजातियों के लोगों को वनौषधियों का परंपरागत रूप से विशेष ज्ञान है।बैगा कुछ वर्ष पूर्व तक बेवर खेती करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पकरिया गांव में ग्रहण करेंगे कोदो भात-कुटकी खीर
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का शहडोल जिले के ग्राम पकरिया में 27 जून को कार्यक्रम है। जहां प्रधानमंत्री शहडोल जिले के स्थानीय जनजातीय, संस्कृति एवं परंपराओं से अवगत होंगे। यह दिन शहडोल के लिए बहुत ही ऐतिहासिक दिन होगा। ऐसा पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री देसी अंदाज में जनजातीय समुदाय के साथ जमीन पर बैठकर कोदो भात- कुटकी खीर ग्रहण करेंगे। कार्यक्रम में पूरी व्यवस्था को भारतीय परंपरा एवं संस्कृति के अनुसार तैयार जा रहा है। प्रधानमंत्री के भोज में मोटा अनाज को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। पकरिया गांव की जल्दी टोला में प्रधानमंत्री के भोज की तैयारी जोर – शोर से चल रही है।
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सहनशीलता के बिना आत्म शांति नहीं मिलती है-आचार्य प्रवर श्री 1008 रामलाल जी महाराज
साहब ,
जवाहर नगर प्रवेश पर धर्म सभा संपन्न
नीमच 26 जून 2023 (केबीसी न्यूज़ ) संसार में जीवन यापन करने के दौरान आए दिन विपरीत परिस्थितियां आती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जो व्यक्ति धैर्य और सहनशीलता नहीं खोता है वह आत्म शांति को प्राप्त करता है। जिस प्रकार मंदिर में नीव का पत्थर नीचे दबने का दबाव सहन करता है तभी वह शांति को प्राप्त करता है। नींव का पत्थर नीचे दबने के बाद भी महान आधार कहलाता है।यह बात आचार्य प्रवर 1008 रामलाल जी महाराज साहब ने कही। वे श्री साधुमार्गी जैन श्रावक संघ जैन नीमच के तत्वावधान में जवाहर नगर समता भवन सभागार में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग संसार के उत्साह में दौड़ भाग करता है लेकिन आत्मशांति और आत्म कल्याण का मार्ग धर्म की राह पर ही मिलता है आज धर्म की सीटें रिक्त है युवा वर्ग चिंतन करें और अपने कल्याण का सही मार्ग चयन करें।संतो को सुनकर कितना समझा, सुनकर परिवर्तन नहीं हुआ तो लाभ नहीं मिलता है।संसार की भौतिक सुख सुविधाओं का त्याग किए बिना आत्म कल्याण की शांति नहीं मिलती है। विभिन्न समुदाय में विभिन्न सोच के कारण टकराहट होती है। जहां विचार समान होते हैं वहां शांति रहती है। जिस प्रकार एक शरीर में पांच इंद्रियों को नियंत्रण करना कठिन होता है उसी प्रकार भिन्न भिन्न विचार धाराओं के समुदायों को एक करना भी कठिन होता है। जहां टकराहट है। वहां समाधान जरूर होता है। विद्या ग्रहण करने वाला विद्वान होता है ज्ञान को जीवन में आत्मसात करने वाला ज्ञानी होता है। विद्वान दुखी हो सकता है लेकिन ज्ञानी कभी दुखी नहीं होता है। पुण्य प्रबलता बिना मान सम्मान नहीं मिलता है।सोने की परख जानकार, हीरे की परख जोहरी ही कर सकता है। शांति के लिए संतोष का ध्यान करना चाहिए। असंतोष होता है वहां शांति का सुख मिलता है।युवा वर्ग सीधे उपदेश नहीं देवे उसके लिए स्वयं जीवन जिए।समस्या का समाधान समय पर छोड़ देना चाहिए। क्रोध कैंसर से ज्यादा ,अहंकार लकवे से ज्यादा खतरनाक होता है।
धर्म सभा में हर्षित मुनि महाराज ने कहा कि स्व कल्याण की ओर ध्यान देना चाहिए व स्व कल्याण को सुरक्षित रखना चाहिए तभी चित्त समाधि बरकरार रह सकती है। हमारी संस्कृति में मस्ती और आनंद का अधिकार धर्म के पास है लेकिन पाश्चात्य संस्कृति में अधिकार धन के पास है। ग्रृहस्थ को धन की आवश्यकता होती है।पुनिया श्रावक धनवान नहीं था लेकिन शांति उसकी रग-रग में व्याप्त थी।इस अवसर पर आचार्य श्री ने सभी उपस्थित समाज जनों को मांगलिक श्रवण कराकर आशीर्वाद प्रदान किया।
इस अवसर पर महिला मंडल ने धन्य है जिनवाणी गुरुवर धन्य है गीत प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय संयोजक महेश नाहटा ने कहा कि गुरुदेव के सानिध्य में 377 दीक्षा हो चुकी है। संयम जीवन का पालन करते हुए गुरुदेव ने पवित्र भाव के साथ साधना की ऊंचाइयों को प्राप्त किया है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज जनों ने आयम्बिल तप, उपवास, एकाशना आदि का संकल्प लिया।
इस अवसर पर नीमच सिटी श्री संघ के अध्यक्ष उमराव सिंह राठौड़, नरेंद्र गांधी, शौकीन मुनेत सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे धर्म सभा का संचालन महेश नाहटा ने किया।गुरुदेव की धर्म सभा में किसी को भी मोबाइल लैपटॉप घड़ी कैमरा ले जाने की स्वीकृति नहीं मिलती है।
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