आध्यात्मनीमचमनासा

कृष्ण रुक्मणी विवाह व प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं को सम्मानित कर कथा का विश्राम हुआ

राजू पटेल

कुकडेश्वर- पुत्र का कर्तव्य होता है अपने माता-पिता की सेवा करें उनके बुढ़ापे की लाठी बन कर उन्हें हर खुशी दे लेकिन आज परिस्थी विपरीत होती चली जा रही हैं जिसका मुख्य कारण शिक्षा तो हम दिलवा रहे लेकिन संस्कार नहीं और संस्कार के अभाव में हम दुखी हो रहें हैं। उक्त बात चंद्रवंशी खाती पटेल समाज के द्वारा चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान छंटे व सातवें दिन राम मंदिर परिसर में व्यास गादी से पं ओमप्रकाश जी वैष्णव ने श्रौताओं के सम्मुख संगीत मय कथा के दौरान कहते हुए भगवान श्री कृष्ण की अनेक लिलाओं का वर्णन मार्मिक उदाहरणों के साथ व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान ने कृष्ण अवतार लेकर हमें समझाया कि जिन और आत्मा का कैसा सम्बन्ध होना चाहिए। आपने कंश वध व जन्म देने और पालने वाले माता पिता और सखा बंधुओं को हर प्रकार का सम्मान दिलाकर उनका उध्दार किया इसी क्रम में संगीत मय कथा के दौरान भाव विभोर करने वाले संगीत के साथ रुक्मणी विवाह प्रसंग पर रुक्मणी द्वारा मां अम्बिका की आराधना कृष्ण को पति रुप में पाने की कामना की वहीं राजा शिशुपाल,अकरुर जी आदि का वर्णन सुनाया और कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग पर संगीत की धुन पर श्रौता झुम उठें व सभी ने हथलेवा किया।

इसी दौरान समाज द्वारा समाज के प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं का समाज द्वारा सम्मान कर प्रमाण पत्र, प्रोत्साहित राशि में आदि देकर सम्मानित किया इसी क्रम में भागवत कथा के अंतिम चरण में श्री राम मंदिर परिसर में कथा श्रवण प्रातः प्रारंभ कर कथा को विश्राम दिया।

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