कथा श्रवण कराते हुए बाघेश्वर धाम सरकार ने कहा कि चोटी का बाल काटे तों बहुत बड़ा अपसकुन होता,पर आज कि जींस पेंट वाली मॉडर्न मम्मी हो गई

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श्री हनुमंत कथा में धूप -धुल को सहन कर श्रद्धा का उमड़ा जन सैलाब
सीतामऊ। कई दिनों से एक पीड़ा मन में चल रही थी जो आपको बताना चाहते हैं 320 वर्ष पूराना बाघेश्वर धाम है। बागेश्वर धाम में हमारा नहीं बालजी का चमत्कार आशीर्वाद है जहां हजारों लोग रोज दर्शन करते हैं।वहां पर धर्म विरोधी कुछ लोगों ने प्लान के तहत ढाबे खोल दिए हम रहें न रहें।जिसका हमारा कोई लेना देना है।हमारी समिति इनके खिलाफ है। उक्त उद्बोधन पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने खेजड़िया में आयोजित श्री हनुमंत कथा के तीसरे दिवस उपस्थित भक्तों को श्रवण कराते हुए कहीं।

जिंदगी प्रभाव में नहीं स्वभाव में जियो हनुमान जी भी स्वभाव में है। चारों जूग प्रताप तुम्हारा अष्ठ सिद्धी नव निधि के दाता… कि चौपाई को लेकर शास्त्री जी ने कहा कि कहा कि हनुमान जी का चारो युग में प्रताप हैं। रावण प्रभाव में जीया तो मिट गया और हनुमान जी स्वभाव में जीए तो आज दुसरे भगवान के मंदिर मिलें न मिले पर हनुमान जी का मिल जाएगा। भक्त पेड़ में बनी और पत्थर में सिंदूर लगाकर हनुमान जी का दर्शन करते हैं।
शास्त्री जी ने कहा कि पंडित गंगाधर जी व्यास बहुत बड़े विद्वान हैं उन्होंने लिखा कि रावण ने हनुमान के पूछ में आग लगाई पर पूछ जो असल में पुछ नहीं पुंछ का मतलब उनकी प्रतिष्ठा से है।जिसकी जलन कि भावना होती है वें पूंछ प्रतिष्ठा से जलते हैं।
शास्त्री जी ने कहा कि विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करी बेको आतुर…भूत पिसाच निकट नहिं आवै महावीर जब नाम सुनावें के चौपाई को लेकर कहा कि हनुमान जी विद्यावान गुणवान चतुर भगवान राम के दास हैं।उनको भजने से भूत पिसाच आसुरी शक्तियां भाग जाती है।
शास्त्री जी ने कहा कि हनुमान जी लंका में गये तो मंदिर मंदिर घर घर जाकर देखा वहां रावण सो रहा था तो मंदोदरी कि बेनू चोटी रावण से तंत्र द्वारा बाध दिया। मंत्र ऐसा कि यातो चोटी काटे तों या रावण को मंदोदरी चाटा मारें तो मंत्र का प्रभाव खतम हो जाएगा। जब सुबह उठे तो दोनों बंधें हुए देखकर आश्चर्य में पड़ गए। चोटी का बाल काटे तों बहुत बड़ा अपसकुन होता है। हमारे धर्म में चोटी का बाल जब उसकी मृत्यु होने पर थोड़े से काट कर उसके शव के साथ रखते हैं। पर आज का मोर्डन जमाना है कटे बाल तो है ही पर जींस वाली मम्मी हमारे परिधान छोड़ कर ऐसा जो माता बहनें पहनती हैं तो हम उनकी हम निंदा करते हैं। ऐसा मार्डन परिवार हमें नहीं चाहिए जो अपने बच्चों को दुसरे को पालने को कहें और खुद कुत्ते के बच्चों को उठाकर घूमने जाएं।
पं श्री शास्त्री जी ने आगे कहा कि जो यह पड़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरी सा… परमात्मा से परमात्मा को मांगना चाहिए जब बैंक हमारी हो जाए तो एटीएम भी हमारी हो जाएगा।जब हम सच्चे मन से भगवान से मांगते हैं तो भगवान जितनी अपनी क्षमता उससे अधिक देता है।
पं श्री शास्त्री जी ने कहा कि हनुमान चालीसा का पाठ ही हमें सबकुछ देता है।जो भी हनुमान चालीसा का पाठ पड़ेगा रटना नहीं। भाव पूर्वक हनुमान जी को आसन पर विराजमान कर पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा में लिख हैं कि जो यह पढ़े…….हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरी सा बताया गया है कि चालीसा पढ़ें
उपस्थित भक्तों को पं श्री शास्त्री जी ने संकट में हो या किसी भी समय जै जै हनुमान गोसाई कृपा करहूं गुरुदेव कि नाहीं, चित मन से इतना ही पढ़ लिया तो काम चलेगा। पांच मिनिट निकालो और फिर पढ़ो भजन के साथ इस चौपाई जाप करें सब काम बन जायेंगे।
शास्त्री जी ने उपस्थित भक्तों को भाव विभोर करने वाला भजन सुनाया
सांस रुक जाती चलते चलते,सांसों को का क्या भरोसा रुक जाए चलते चलते… जीवन क्या भरोसा रुक जाए चलते चलते…..
दीपक का क्या भरोसा बुझ जाए जलते जलते।जीवन का क्या भरोसा चार दिन का निकल जाए चलते चलते
जीवन है चार दिन का दो दिन कि जिंदगानी आएगा जब बुढापा थक जाएगा चलते चलते। सांसों का क्या भरोसा….तेरे साथ जाएगी बंदे तेरे करम कि कमाई।
शास्त्री जी ने भक्तों से अधिक लालच मोह माया में कमी कर समय समय पर परिवार समाज से मिलते रहने को लेकर कहा कि कोई राजा महाराजा अपने साथ बीएसडब्ल्यू कार लेकर नहीं जाता है वह भी हर इंसान कि तरह जाता है।
पं श्री शास्त्री जी ने कहा कि पाप काम कर सुखी बनना चाहते हैं तो सुखी नहीं हो सकतें हैं। पाप कि सजा मिलती है और किसी कि मदद पुण्यकर्म किया गया दुःख को समाप्त कर देता है इसलिए कहा गया है कर्म प्रधान विश्व रचि करी राखा जो जस करही तो तस फल चाखा।
पं श्री शास्त्री जी ने कहा कि आजकल व्यक्ति बहुत बदल गया है। समझदार को समझना सरल और ना समझ को समझना भी सरल है पर समझदार होकर ना समझ बना हुआ और समझाना बहुत कठिन है।
पं श्री शास्त्री जी ने अपने बुंदेली अंदाज में कहा कि क्या करिए भैया पाठ पढिए हनुमान चालीसा पढ़िये।
पं श्री शास्त्री जी ने बड़ों का मान सम्मान रखने को लेकर कहा कि आज जब तक श्रीमती जी नहीं आती तब तक बड़ों का सम्मान होता है।पर हनुमान जी ने बंह्म अस्त्र का किया मान….हनुमान जी बंधन को छूडाने वाले पर खुद बंह्मा अस्त्र में बंध कर बड़ों का सम्मान किया।
पं श्री शास्त्री जी ने एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि आज कि स्थिति यह है एक घर मिलने गए वहां चाय कि बात हुई तो पत्नी बोली मैं गुरुजी के पास बैठूंगी तूम बना कर ले आओ।
हनुमान जी अपने आप को मेघनाथ के ब्रह्मा अस्त्र से बंधे। एक तो गिरफ्तार करना और एक सरेंडर होना दोनों में अंतर है।अंजनी पुत्र पवनसुत को कोई बांध नहीं सकता है।
पं श्री शास्त्री जी ने कहा कि हम कही न कही बंधे हुए हैं वासना से बंधना मोबाइल से बंधना,जब वृत उपास हो और रेस्टोरेंट दिख जाएं जो पर स्त्री को पसंद करते हैं उनको सुंदर स्त्री देखकर पता चलता है इसे वासना का बंधन कहते हैं।इन बंधनों से मुक्ति पाने के लिए एक ही उपाय हनुमान चालीसा पाठ करने से है।
पं श्री शास्त्री जी ने माता सीता जानकी को भक्ति बताया और कहा कि भगवान राम और माता जानकी का जन्म जनकपुर में हुआ। जनक के यहां भक्ति आई और राम वहां आ गये जहां भक्ति जाती वहा राम के चरण पढ़ जातें हैं। भक्ति देवी के रास्ते पर जो जातें उन पर राम कि कृपा होती है। ऐसे ही देवी अहिल्या ने भक्ति के प्रताप से राम से उद्धार हुआ।
शास्त्री जी ने हनुमान जी कि आराधना करने को लेकर कहा कि हमें राम नहीं मिले तो हम हनुमान जी को भज कर राम को प्राप्त कर सकते हैं। पहली माता अहिल्या और दूसरा माता शबरी हनुमान जी से ही प्राप्त किया।तीसरे केवट राज को राम ने खुद जाकर दर्शन दिए।केवट ने गंगा रुपी पवित्रता का संग कर निर्मल मन कर लिया जिसने अपने मन को निर्मल कर लिया उसे राम मिले। चौथे विदुर जी , भगवान कृष्ण ने भक्ति के कारण दर्योधन कि मेवा त्यागी और साग विदुर घर खाई
शास्त्री जी ने कहा कि भक्ति और ज्ञान का द्वार जो संतों के चरणों से जुड़ा रहता उसको राम के पास जाने कि आवश्यकता नहीं होती है राम खुद आ जाते हैं।
शास्त्री जी ने साधू संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे चौपाई का श्रवण कराते हुए कहा कि हनुमान जी महाराज साधू संतों के रखवाले हैं और असुर राक्षसों का संहार करते हैं।
तीन दिवसीय कथा के आयोजन ने रचा धर्म आस्था का इतिहास, क्षेत्र ही नहीं देश और विदेश के भक्तो ने लिया कथा का आनंद-
सुवासरा विधानसभा एवं सीतामऊ छोटी काशी तहसील क्षेत्र के गांव खेजड़िया बालाजी मंदिर के दरबार में तीन दिवसीय श्री हनुमंत कथा आयोजन में धर्म आस्था के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान रचा है। मंदसौर जिले के एक छोटा सा गांव खेजडिया विश्व पटल पर पहुंच जाएगा यह किसी को पता नहीं था पर यह सब बालाजी सरकार कि कृपा से क्षेत्र ही नहीं देश और लंदन विदेश के भी भक्तों ने कथा श्रवण और हनुमान जी कि भक्ति के आनंद में डूबे रहने को देखने का विहंगम दृश्य मिला।

कथा के समापन के बाद मंत्री श्री डंग ने दिया धन्यवाद –

लाखों कि संख्या में हुए चार दिवसीय आयोजन में व्यवस्था रही सरहानीय –
