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आलोट। भारतीय जनता पार्टी में चल रही उठा- पटक थमने का नाम नही ले रही है बैठको में बयान बाजी आरोप प्रत्यारोप युद्ध स्तर पर जारी है। मंडल अध्यक्ष विवाद थमने का नाम लेता दिखाई नही दिख रहा है। आरोप प्रत्यारोप और नये मंडल की नियुक्ति के बाद भाजपा में घमासान और तेज हो गया है। पिछले दिनो आलोट भाजपा मंडल अध्यक्ष और अवैध खनन को लेकर पुलिसकर्मियो में छीडी लडाई थमने का नाम नही ले रही है। इसको लेकर पूर्व मंडल अध्यक्ष ने अपने साथियो सहित किसानो के साथ अपनी ही सरकार के खिलाफ आलोट पुलिस थाने पर धरना दिया था। इसके बाद हुए घटनाक्रम और वाक्य युद्ध अब और तेज होता जा रहा है। इस बीच पार्टी व्दारा नये मंडल अध्यक्ष कि नियुक्ति से भाजपा में घमासान और तेज हो गया जो विराम लेने का नाम नही ले रहा है। चुनावी साल में इस तरह का घमासान होना पार्टी के लिए चिन्ता का विषय है। जिसमे मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह आंजना को अपनी मंडल अध्यक्षीय से हटाकर दिलिप सिंह डोडिया को मंडल अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पूर्व मंडल अध्यक्ष का व्याकुल होकर इस तरह की बयान बाजी की कल्पना तो खुद पार्टी नेताओ ने नही की होगी पहली बार आलोट मंडल अध्यक्ष के कार्यकाल में ऐसा घमासान देखने को और सुने में आया और इस घटनाक्रम को इतना महत्वपूर्ण और चर्चित बना दिया जिसकी किसी पार्टी नेताओ ने कल्पना नही कि होगी जहाँ अपनी ही पार्टी के नेताओ पर धृतराष्ट्र जैसे शब्दो से नवाजा जा रहा है। भावुक होना वाजिब है पर इन शब्दो से अपनी ही पार्टी के नेताओ पर आरोप लगाना कहा तक उचित तथा पार्टी अनुशासन है,,,,? भाजपा एक अनुशासन वाली पार्टी मे जानी जाती है। फिर एक जवाबदार पद के व्यक्ति व्दारा इस तरह से सार्वजनिक बयान देना कोन सा अनुशासन है,,,,,?*