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सांसद सुशील कुमार सिंह ने  पथ निर्माण विभाग के  अपर मुख्य सचिव को निर्मित पुल के काम में गुणवत्ता की कमी के संबंध में पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया।

सांसद सुशील कुमार सिंह ने  पथ निर्माण विभाग के  अपर मुख्य सचिव को निर्मित पुल के काम में गुणवत्ता की कमी के संबंध में पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया।

 

 

बिहार औरंगाबाद से धर्मेंद्र गुप्ता

 

 

 

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि दाऊदनगर (औरंगाबाद) नासरीगंज (रोहतास) के बीच सोन नदी पर निर्मित पुल के काम में गुणवत्ता की कमी के संबंध में ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।आज एक दैनिक अखबार में बिहार के पुल निर्माण का न्यूज प्रकासित हुआ है।जिसमे पूरे विहार के पुल की जांच का आदेश दिया गया है जबकि औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने दाउदनगर सोन पुल को लेकर पाँच दिन पूर्व में भी मेरे द्वारा पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था।गंगा नदी पर निर्माणाधीन अगुवानी घाट पुल के गंगा जी में विलीन होने की घटना की पुनरावृति न हो, या ऐसे ही और कई पुलों और उनके सम्पर्क पथों के बह जाने की घटना फिर से ना हो इसलिए अपना परम कर्तव्य समझते हुए आपके संज्ञान में ये विषय लाना चाहता सोन नदी पर बने इस पुल के निर्माण के दौरान गुणवत्ता से समझौता किया गया है।जो पूरी तरह से जनता के पैसे की लूट है।सरसरी तौर पर भी पुल से गुजरने पर साफ पता चल जाता है कि इस पुल का ऊपरी हिस्सा कितना ऊँचा नीचा है जो केवल सामने से ही नहीं बल्कि बार- बार भी यही हाल है।तकनीकी जानकारी नहीं होने के बावजूद भी मैं इतना तो समझ ही सकता हूँ कि जिस पुल का ऊपरी सतह बराबर/समतल नहीं होगा उसके ऊपर यातायात का अनावश्यक ” दबाव पड़ेगा जो भार के अनुपात से अधिक होगा।इस पुल के निचले हिस्से के निर्माण में भी गड़बड़ी की गई हैं, जो जांच का विषय है। अर्थात पायलिंग की गहराई प्राक्कलन के अनुसार स्टील का उपयोग आदि मामले है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन बालू लदे ओवर लोडेड हजारों ट्रकों का परिचालन एक अलग समस्या है, जिसे रोकने की जिम्मेवारी भी राज्य सरकार को है।

 

ज्ञातब्य हो कि बालू के ओवर लोडेड ट्रको के कारण NH-19(फोर लेन सड़क)पर बिहार उत्तर प्रदेश की सीमा पर कर्मनाशा नदी पर पुल क्षतिग्रस्त हुआ था।सोन नदी के पुल के क्षतिग्रस्त होने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है।अतएव आसन खतरे को देखते हुए मैं चाहुँगा की उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञों से जाँच कराई जाए और समय पर उचित कदम उठाया जाए ताकि कोई अनहोनी न हो।

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