घने जंगलों में मौजूद एक ऐसा मंदिर, जहां मन्नत लेने पर होती है मन की सब मनोकामना पूर्ण

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सन्तोष धनगर
मंदसौर जिला मुख्यालय से करीब 60 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मंदिर वही राजस्थान के धरियावद से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मंदिर अगर आप इस गांव की ओर प्रस्थान करते हैं तो प्रतापगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर बीएफ गांव पड़ता है जिसका नाम है दिवाक माता मंदिर जी हां दिवाक माता का मंदिर मौजूद है।
आदिवासी क्षेत्र के घने जंगल में स्थित यह मंदिर जहां पर पुरानी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यहां पर सिर्फ पहले माता जी की मूर्ति स्थापित थी और कच्चे खपरैल की टपरी में माताजी विराजित थी लेकिन आज जब देखा जाए तो जन समुदाय के सहयोग से और दान दक्षिणा की राशि से मंदिर का निर्माण हो गया है व पहाड़ी पर माताजी का मंदिर बना दिया गया है ।
यहां की मान्यता यह है खासतौर पर की कोई व्यक्ति अगर जेल में कैदी हैं और मन्नत मांगी जाती है माताजी से तो उसकी परिवार की मन की मुरादे होती है पूरी और वह व्यक्ति जेल से बाहर आ जाता है मन्नत लेने पर यहां पर माताजी की चौकी भी रविवार सोमवार मंगलवार को होती है रविवार को काफी दूर-दूर से श्रद्धालु माताजी दर्शन लाभ के लिए पहुंचते हैं ।
यहां आए भक्त श्रद्धालुओं ने बताया कि माता जी पंडित जी के शरीर में प्रवेश करती है और अक्षर (आखा) गेहूं या मक्का के श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं जिसमें 5, 7, 9, 11,अक्षर देते है ।
अगर किसी को गलत समझ श्याम में दुख दर्द या अपने शरीर संबंधित समस्या भी हो माताजी शब्दों को दूर कर देती हैं यहां के लोग अधिकतर आदिवासी या मीणा समाज के लोग रहते हैं लेकिन बाहरी व्यक्ति जो माताजी के दर्शन के लिए जाते हैं तो बड़ा ही आओ भाव से उनका अतिथि के रूप में सम्मान किया जाता है।