आध्यात्मदलौदामंदसौर जिला

आजकल लोग अपने दुख से दुखी नहीं, पर दूसरों के सुख से दुखी है परिवार में खुशहाली के लिए सप्ताह में एक घंटा दीन और दीनानाथ के लिए दें- पं. श्री नागर जी

Nowadays people are not sad because of their sorrow.

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श्री राम जानकी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, स्वर्ण कलश, के साथ पूर्णाहुति,भागवत कथा विश्राम के साथ हुआ विशाल भंडारा

कुचड़ौद। गुरु के साथ छल कपट, मित्र के साथ चोरी मत करो, पशु भी मनुष्य को पहचानता है। पर मनुष्य, मनुष्य को नहीं पहचान रहा है। सास बहू को, भाई भाई को, बेटा पिता को, बेटी मां को, मित्र मित्र को नहीं पहचान रहा है। उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय संत डॉ पंडित मिथिलेश जी नागर ने श्री राम जानकी मंदिर में राम दरबार मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा, स्वर्ण कलश, ध्वजा दंड स्थापना, श्री राम मारुती यज्ञ के अवसर पर श्री सकल पंच कुमावत धर्मशाला में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिवस ज्ञानामृत पान कराते हुए व्यक्त किए।

नागर ने कहा परमात्मा 24 घंटे देख रहे हैं। पर अपने पास परमात्मा को देखने का टाइम नहीं है। तीन शक्तियां ऐसी है। जो जीवन में हमेशा इशारा करती है। पर उस इशारे को हम समझ नहीं पाते। जो उनका इशारा समझ गए। उनका उद्धार हो गया। पहली शक्ति मां, दूसरी महात्मा एवं तीसरी शक्ति परमात्मा है।

संत श्री ने भोजन झूठा नहीं छोड़ने का संकल्प दिलाया। कहा एक किसान एक गेहूं के दाने को मिट्टी में बोने से, हजार दाने होने तक 4 महीने तक मेहनत करता है। भरी ठंड में मेहनत करता है। उसको खलिहान, थ्रेसर कर घर लाता है। मंडी ले जाता है। जिसके बाद वह अपने को नसीब होता है। किसान खुश होता है, कि मेरे उगाए गए गेहूं को पूरा देश खाएगा। पर तुम उसी अन्न को सामाजिक पंगत में झूठा छोड़ने में कुछ भी शर्म संकोच नहीं करते हैं। कहा कि ” इतना लो थाली में, व्यर्थ ना जाए नाली में ” श्री नागर जी ने श्री कृष्ण के रुक्मणी, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रवंदा, सत्या, भद्रा, लक्ष्मणा, आठ पट रानियों एवं 16100 रानियों की कथा विस्तार से समझाई। आपने कहा आत्मा और परमात्मा का मिलन का मार्ग सतगुरु होता है। जब-जब धर्म की हानि होती है। तब स्वयं परमात्मा विष्णु द्वारिकाधीश भगवान अवतार लेते हैं।

इससे पहले श्री राम जानकी मंदिर में विधि विधान से श्री राम, जानकी, लक्ष्मण एवं हनुमान जी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा। शिखर पर स्वर्ण कलश एवं ध्वजा दंड की स्थापना हुई।

पंडित देवी लाल शर्मा द्वारा श्री राम मारुती यज्ञ संपन्न कराया गया। यज्ञ आठ पूर्णाहुति के साथ, भागवत कथा विश्राम हुआ। विश्राम के अवसर पर महा आरती पश्चात महाप्रसादी भंडारा का आयोजन किया गया।

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