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वाहिद खॉन पठान
ताल- कथित रूप से मुल किसानों की जमीनों को अपने नाम से फर्जी दस्तावेज पावती की फोटो कापी,आन लाईन खसरा खाता नकलें,फर्जी पंजि आदि तैय्यार करते हुवे राजस्व रेकार्ड मे कथित रूप से हेरफेर कर उसे अपने नाम फर्जी तरीके से दिखाते हुवे दस्तावेज मे अपने नामांकित करते हुए फिर मिलीभगत कर प्राईवेट बेंक से लाखो रूपये का केसीसी लोन लेने का मामला प्रकाश मे आया है जिसमे पुलिस ने पीडित किसानों के आवेदन प्राप्त होने पर जांच उपरांत प्रकरण दर्ज कीया है जिससे कथित रूप से उक्त कार्यो को अंजाम देने वालों दलालों मे हडकंप मचा हुवा है?
ताल थाना प्रभारी नागेश यादव ने जानकारी देते हुवे बताया कि आवेदक विरेन्द्रसिंह पिता गोरधन सिंह एवं सेाहन सिंह पिता गोर्धन सिंह निवासी ग्राम मुण्डलाखुर्द द्वारा 29 मार्च को पृथक पृथक तीन आवेदन पत्र पेश किये जिसमे एक आवेदक विरेन्द्रसिंह द्वारा अपनी ग्राम मुण्डलाखुर्द सीमा की भुमि सर्वे क्रमांक 141/2,142 व 154/1/2 व 154/2/2 कुल किता 04 रकबा 1.56 आरी भुमि पर व दुसरे आवेदन पत्र मे अपनी माता भंवर कुंवर के नाम मुण्डलाखुर्द सीमा की भुमि सर्वे नम्बर 501/3/2 कुल किता 01 कुल रकबा 0.38 आरी भुमि पर व आवेदक सोहन सिंह द्वारा ग्राम मुण्डलाखुर्द की सीमा मे भुमि सर्वे क्रमांक 143/2,143/1/2 व 154/2/1 किता 03 रकबा 1.56 आरी भुमि पर शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कथित रूप से अनावेदक मनोज पिता बालुराम निवासी ताल द्वारा कर्मचारीयों से मिलीभगत कर वर्ष 2020 मे आईडीएफसी बैंक शाखा जावरा से फर्जी दस्तावेज के माध्यम से के सी सी लोन निकाले जाने का आरोप लगाते हुवे शिकायत की ?जिसमे पुलिस ने उक्त आवेदन पत्रों की जाचं के दौरान आवेदकों के कथन लेख करते हुवे तहसील कार्यालय ताल से उक्त भुमि सर्वे नम्बरों के खातेदारों की जानकारी प्राप्त की गई ।जिसमे मुण्डलाखुर्द गांव की सीमा मे स्थित भुमि सर्वे नम्बर 141/2 किता07 रकबा 8.64 है0भुमि वर्ष 2019-20 मे सोहन सिंह,विरेन्द्रसिंह एव माया कुंवर पिता गोवर्धनसिंह भंवर कुंवर बेवा भंवर सिंह के नाम दर्ज कागजात थी,जो उक्त भुमि का नामांतरण 30 दिसंबर 2019 को आपसी पारिवारिक बंटवारा स्विकृत हुवा।जिसमे भुमि स्वामी सोहन सिंह,विरेन्द्रं सिंह,भंवर कुंवर के नाम पृथक पृथक भुमि दर्ज थी।व उसके बाद किसी अन्य के नाम से नई प्रविष्ठि दर्ज नही होने संबंधित जानकारी प्राप्त हुवी।जांच के दौरान आईडीएफसी बैंक शाखा जावरा से उक्त सर्वे नम्बरों की भुमि पर लोन लेने संबंधित समस्त दस्तावेज प्राप्त किये गये जिसमे पावती पर अनावेदक मनोज निवासी ताल का नाम होकर पटवारी हल्का नम्बर 34 पर भुमि सर्वे नम्बरों पर खसरा बी वन पर भी अनावेदक का नाम अंकित है।उक्त दस्तावेजों का उपयोग कर बैंक से 6 लाख रूपये के सी सी लोन निकलवाया जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।
उक्त मामले मे पुलिस ने आवेदन पत्र की जाचं से अनावेदक द्वारा धोखाधडी पुर्वक मिथ्या दस्तावेज तैय्यार किये जाकर उनका उपयोग कर बैंक से शिकायतकर्ताओं की भुमि पर के सी सी लोन निकलवाना पाया गया है।
पुलिस ने उक्त मामले मे आरोपी युवक मनोज पिता बालुराम निवासी ताल के विरूद्ध अपराध क्रमांक 218 /2023 दिनांक 16 मई 2023 को धारा 420,467,468,471 भादवी का प्रकरण दर्ज कर आरोपी की सरगर्मी से तलाश की जा रही है ताकि उक्त मामले मे ओर कडीयॉ सामने आ सकें?
उक्त मामले मे जांच कर्ता अधिकारी आर सी भम्भोरीया नेजानकारी देते हुए बताया कि पुलिस आरोपी के सरगर्मी से तलाश कर रही है?
वहीं उक्त मामले मे जानकारो एवं विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब धीरे धीरे और भी पीडित सामने आने की संभावना है?जिसमे जनचर्चा है कि यह कृत्य एक संगठीत गिरोह द्वारा फर्जी तरीके से फर्जी दस्तावेज मिलीभगत से तैय्यार कर फर्जी सील ठप्पे आदि बनवाते हुवे फर्जीवाडा कर किसानों को लाखों रूपये का चुना लगाते हुवे करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की जा रही है ?यदि परत दर परत मामले मे सुक्ष्मता से जांच हो तो करोडो रूपये के गडबड घोटाला होकर बडी धोकाधडी सामने आकर कई नकाबपोश बे नकाब होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है?क्योंकि मात्र एक व्यक्ति इतनी व्यवस्थाऐं नहीं जुटा सकता है? कि वह नकली फर्जी पावती/नकली आन लाईन खसरा खाता नकले/फर्जी नामांतरण पंजी/ अधिकारीयों की फर्जी सीलें/ फर्जी दस्तावेज तैय्यार कर सके ?
वहीं जानकारो की माने तो यदि किसी भी बैंक से कोई किसान यदि अपनी जमीन आदि पर के सी सी लोन स्वीकृत कराना चाहता है ?लोन लेना चाहता है तो समस्त दस्तावेजों की छाया प्रतियों के बावजुद भी मुल दस्तावेजों से बैंक मिलान करता है? और बकायदा बैंकों के अपने’ – 2 वकील होते है जो की संबंधित किसान की जमीन का कई सालों का रेकार्ड सर्च करते हुवे प्रमाणित नामांतरण पंजियों आदि का अवलोकन करने के उपरांत एवं पुरी संतुष्टि होने एवं संबंधित किसान की खेती जमीन देखने के बाद तब कहीं जाकर संबंधित किसान को केसीसी लोन मिल पाता है?याने इतनी प्रक्रिया होने के बाद लोन मिलता है? तो कहीं न कही बडे स्तर पर तथाकथित रूप से कतिपय भ्रष्टों की मिलीभगत एवं उक्त बैंक के कर्मचारी भी कहीं न कहीं संदेह के घेरे मे आते है?अब देखना है कि इस मामले मे कितने आरोपी बनते है? और कोन कोन बेनकाब होता है ?कोन कौन नपता है?क्योंकि पुर्व मे भी जमीनो के राजस्व रेकार्ड मे हेरफेर के मामले मे बरखेडाकला पुलिस थाने पर मामला दर्ज होकर अब भी कुछ आरोपी बरखेडाकला पुलिस की गिरफ्त से दुर है? जिसकी जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कर रहे हैं?