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कमलनाथ सरकार की कर्ज माफी योजना की तुलना में यह योजना किसानों के साथ महज छलावा
सिर्फ सहकारी सोसायटी के किसानों को ही योजना का लाभ,
राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण लेने वाले किसान भी योजना में शामिल नही
नीमच। मप्र सरकार की ब्याज माफी योजना सिर्फ किसानों के साथ छलावा है। किसानों का ब्याज माफ करने के नाम पर प्रदेश की शिवराज सरकार जिले के सिर्फ 19 हजार किसानों का ब्याज माफी के दावे का ढिंढोरा पीटकर जिले के बाकी 1 लाख 17 हजार से अधिक किसानों के साथ कुठाराघात कर रही है। वास्तविकता यह है कि सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों को इस योजना से बाहर कर दिया गया हैं और सिर्फ सहकारी सोयायटी के डिफाल्टर किसानों को ही ब्याज माफी का लाभ दिया जा रहा है। प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार जिले में सिर्फ 15 प्रतिशत किसानों को ही इस योजना का लाभ मिल पा रहा है जबकि शेष 85 प्रतिशत किसान योजना से पूरी तरह वंचित रहेंगे। जबकि पूर्व में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार ने कर्ज माफी योजना में बिना किसी भेदभाव के पहले चरण में ही नीमच जिले के 40 हजार किसानों का 110 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था जबकि कांग्रेस सरकार की योजना का दूसरा व तीसरा चरण होना बाकी था।
यह पलटवार कांग्रेस नेता एवं जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने किया है। कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि नाम बड़े और दर्शन खोटे की तर्ज पर लागू भाजपा सरकार की इस योजना से किसानों को वंचित करने के लिए नियम अधिक जटिल बना दिए है कि जिससे अधिकतर किसान इस योजना से बाहर हो जाए। जबकि पूर्व में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने प्रदेश सहित जिले के किसी भी किसान के साथ भेदभाव नहीं करते हुए सबको समान रूप से कर्ज माफी योजना का लाभ दिया था। कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने बताया कि शिवराज सरकार की इस योजना में किसानों की ब्यााज माफी की गणना में किसानों के मूलधन को भी जोड़ा जा रहा है जो कि गलत है और ऐसा करने से जिले के अधिकांश किसानों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए जैसे कि कोई किसान का ऋण 1 लाख 50 हजार का है और उसका ऋण ब्याज सहित जुड़कर 2 लाख 1 हजार हुआ तो वह किसान योजना से बाहर हो जाएंगे। वास्तविकता में जिले के अधिकतर किसानों के ऋण मूलधन व ब्याज सहित 2 लाख रुपये से अधिक है तो उन्हें इस दिखावटी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जब शिवराज सरकार को ब्याज माफी की योजना लाई है तो उसमें मूलधन को क्यो जोड़ा जा रहा है। इससे स्प्ष्ट है कि सरकार किसानों की ब्याज माफी योजना के नाम पर दिखावा करना चाहती है।
कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि कमलनाथ सरकार की कर्ज माफी योजना के मुकाबले यह योजना महज दिखावटी व किसानों के साथ धोखा है। वर्तमान में भाजपा की शिवराज सरकार जिले में 45 करोड़ रुपये ब्याज माफी का दावा कर रही है जबकि कमल नाथ सरकार ने कर्ज माफी योजना के प्रथम चरण में ही जिले के 40 हजार किसानों के 110 करोड़ रुपये माफ कर दिए थे जबकि दूसरे चरण में कमल नाथ सरकार जिले के अन्य 52 हजार किसानों के 175 करोड़ रुपये माफ करने वाली थी किंतु भाजपा ने विधायकों की खरीद-फरोख्त कर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया। राष्ट्रीयकृत बैंकों के खातेदार किसानों को इस योजना से बाहर क्यों किया गया,यह सवाल समझ से परे हैं।
कमल नाथ सरकार की कर्ज माफी योजना बंद कर किसानों के साथ किया था धोखा-
कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को किसानों की इतनी ही फिक्र थी तो वे किसानों को डिफाल्टर ही नहीं होने देते हैं और कांग्रेस की कमल नाथ सरकार की कर्ज माफी योजना को आगे बढाते। कोई भी सरकारी योजना सरकार पलटने पर भी परिवर्तित नहीं होती लेकिन शिवराज सरकार ने मप्र के किसानों के साथ बड़ा धोखा करते हुए कमल नाथ सरकार की कर्ज माफी योजना को पहले चरण के बाद ही बंद कर तत्काल रोक दिया, जिससे किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ। कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि शिवराज सरकार की किसानों के प्रति बेरूखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमल नाथ सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राहत राशि जिसमें जिले के किसानों को सिर्फ 25 प्रतिशत मुआवजा मिला था जबकि किसानों को 75 प्रतिशत मुआवजा मिलना बाकी था। यह योजना शासकीय होने के बावजूद शिवराज सरकार ने इसमें भी किसानों के साथ न्याय नहीं किया और किसानों को बकाया 75 प्रतिशत राहत राशि नहीं दी, जिससे भी किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि अपने आपकों को किसान हितेषी कहने वाली भाजपा की शिवराज सरकार ने सन् 2020 में सरकार बनते ही किसानों को लिए चलाई जा रही सूरजधारा योजना एवं अन्नपूर्णा योजना, जिसमें अजा-अजजा वर्ग के किसानों को निःशुल्क बीज व अन्न वितरण होता था, उन्हें भी बंद कर दिया। साथ ही किसानों को खेत की जुताई के लिए अनुदान देने वाली हलधर योजना को भी भाजपा सरकार ने बंद कर दिया और इन तीनों महत्वपूर्ण योजनाओं के बंद होने से जिले के किसानों को प्रति वर्ष करीब 4 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।