ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र जाति नहीं वर्ण है, जो जैसा कर्म करेगा, वो वैसा कहलाएगा।- पंडित मिथिलेश नागर
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11 ढोल एवं डीजे के साथ श्री राम जानकी मूर्तियों का भव्य शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण हुआ
आज मूर्ति स्थापना, यज्ञ पूर्णाहुति, कथा विश्राम के साथ महा भंडारा होगा।
कुचड़ौद ।(दिनेश हाबरिया)
आजकल गुरु बहुत मिल रहे हैं। गुरु घंटाल की फोज चल रही है। “गुरु करो जान के, जल को पीऔ छान के।” गुरु ऐसा करो जो परमात्मा से साक्षात्कार करा दे। आजकल मनुष्य परमात्मा को पाने के मार्ग पर तो चलते हैं। पर जात पात का भेद रखते हैं। उच नीच की सोच दुर नहीं हो रही। पर याद रखो रामजी ने भीलनी के घर झूठे बेर खाए थे।
यह बात श्री राम जानकी मंदिर मैं मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, स्वर्ण कलश, श्री राम मारुती यज्ञ के अवसर पर श्री सकल पंच कुमावत समाज धर्मशाला में आयोजित भागवत कथा के दौरान छठे दिन कही।
नागर ने बताया ब्रह्मा जी ने ब्राह्मण की उत्पत्ति मुख से, क्षत्रिय की उत्पत्ति भुजाओं से, वैश्य की उत्पत्ति उदर से एवं शूद्र की उत्पत्ति चरणों से की। इसलिए भगवान के मंदिर में मनुष्य भगवान के चरणों का जल पिता, वह चरणामृत कहलाता है। हिंदुस्तान में रहने वाला कोई ऊंचा नीचा नहीं है,सब समान है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र जात नहीं वर्ण है, जो जैसा कर्म करेगा, वह वैसा कहलाएगा।
कबीर दास ने कहा; जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।
आपने कहा विद्या एवं ज्ञान ऐसा प्राप्त करो, जो अंतिम समय में तुम्हें भवसागर से पार करवा दे। पंडित वही होता है जिसने ढाई अक्षर प्रेम का पढ़ लिया हो।
पंडित नागर ने जल संरक्षण के ऊपर जोर देते हुए बताया, जल का संरक्षण नहीं करोगे तो आने वाले वर्षों में पीने का पानी भी नहीं मिलेगा। पहले कुए बावड़ियाँ तालाब बहुत थे। अब बावड़ियाँ खत्म होने जा रही। पानी बचाने को लेकर सब को आगे आना होगा। गांव की बंद पड़ी बावड़ियों को पुनर्जीवित करना होगा। तभी जलस्तर बढ़ेगा। गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में,,शहर का पानी, शहर में रहेगा। तभी जलस्तर बढ़ेगा। जल है, तो कल है।
हमें वर्तमान नहीं, भविष्य देखना है। भारत की धरती सोना, हीरे, जवाहरात, मोती उगलती है। इसलिए हम भारत देश की भूमि को भारत माता कहते हैं।
इस दौरान संत श्री ने मेरे देश की धरती सोना उगले राष्ट्रगीत गाया। तो पांडाल में धर्म प्रेमियों ने करतल ध्वनि से जोरदार स्वागत किया। मातृभूमि के ऊपर बताते हुए संत ने कहा कि आज समाज की युवा पीढ़ी रुपए पैसे कमाने के चक्कर में अपनी मातृभूमि छोड़कर विदेश जा रही हैं। कमाओ कोई बात नहीं। अपनी जन्मभूमि को छोड़कर जा रहे हैं, जाओ। पर साल में एक बार अपनी जन्म भूमि मातृभूमि पर जरूर आना।
राम जी ने वनवास जाते समय अपनी मातृभूमि अयोध्या की मिट्टी को साथ ले गए। रामजी ने प्रतिदिन मातृभूमि की मिट्टी की पूजन की थी। ऐसे कई लोग हैं जिनके बूढ़े मां बाप गांव में रहते हैं। पर बेटा बहु शहर विदेश में रहते हैं। पिता बार-बार बेटे को मां से मिलने के लिए आने का कहता हैं। पर बेटा बहाने कर नहीं आता है।
इस दौरान संत श्री ने चिट्ठी आई है वतन की चिट्ठी आई है गीत गाकर मातृभूमि के प्रति भावना प्रकट की। कथा के दौरान श्री कृष्ण का गोकुल से विदा होकर मथुरा जाना, कंस वध, देवकी वसुदेव को कारागार से मुक्त एवं कृष्ण द्वारा रुकमणी हरण पर विस्तार से कथा श्रवण कराई। कथा के दौरान श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग चरित्र चित्रण कर प्रस्तुत किया गया।
श्री राम, जानकी, लक्ष्मण, हनुमान जी की मूर्तियों का भव्य नगर भ्रमण। 11 ढोल डीजे के साथ हुआ।श्री राम जानकी मंदिर से भव्य शोभायात्रा के साथ मूर्तियों का नगर भ्रमण हुआ।
ग्रामीणों ने घरों के बाहर रंगोली सजाई। घर आंगन में रंगोली में दिया लगाकर भगवान श्री राम जानकी लक्ष्मण हनुमान जी की आरती उतारकर स्वागत सत्कार किया।
श्री राम जानकी मंदिर में आज बुधवार को स्थापित होने वाली श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मण एवं हनुमान जी की मूर्तियों एवं स्वर्ण कलश, ध्वजा दंड का मंगलवार शाम 6:00 बजे मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा श्री राम जानकी मंदिर से शुरू होकर, जैन मंदिर, हवेली मंदिर, खेड़ापति हनुमान मंदिर, चारभुजा नाथ मंदिर, श्री राम जानकी बाजार मंदिर, सदर बाजार, पंचमुखी बालाजी बस स्टैंड, महादेव मठ, शीतला माता मंदिर, कल्पवृक्ष हजार रुक चौक, पीपल चौक, रामकुंड होते हुए मूर्तियों के नगर भ्रमण का समापन श्री राम जानकी मंदिर पर हुआ। इस दौरान जगह-जगह भगवान श्री राम जानकी लक्ष्मण हनुमान जी की मूर्तियां की ग्रामीणों द्वारा पूजन कर आरती उतारी गई। शोभायात्रा में ग्रामीण महिला पुरुष सज धज कर 11 ढोल एवं डीजे पर एवं भजनों की धुन पर थिरकते रहे।
श्री राम जानकी मंदिर में श्री राम, जानकी, लक्ष्मण एवं हनुमान जी की प्रतिमाओं का विधि विधान के साथ स्थापना की जाएगी। शिखर पर स्वर्ण कलश एवं ध्वजा दंड स्थापित किया जाएगा। श्री राम मारुती यज्ञ पूर्णाहुति एवं भागवत कथा विश्राम के साथ, महा प्रसादी स्वरुप महा भंडारा होगा। कथा में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ बढ़ रही। मंगलवार को कथा के दौरान कुचड़ौद सहित अंचल के करीब एक हजार की संख्या में धर्म प्रेमी श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पधारे।