मध्य प्रदेश में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करेगी भाजपा

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कर्नाटक चुनाव का प्रभाव, संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की ले रहे अब मदद
✍️विकास तिवारी
भोपाल। कर्नाटक के चुनाव परिणाम के बाद मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मिशन 2023 की राह में चुनौती बन रही कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करेगी। पार्टी इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की मदद लेगी। चुनावी आहट के बीच कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के साथ ही भाजपा उनकी नाराजगी दूर करने पर भी गंभीरता से काम प्रारंभ कर रही है।
पूछ-परख नहीं होने से बढ़ी नाराजगी
कर्नाटक में मिली हार के बाद संवादहीनता, काम न होना, महत्त्व न मिलने जैसी शिकायतों को लेकर संगठन सक्रिय हो गया है। दरअसल, पीढ़ी परिवर्तन और कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग नाराज होकर घर बैठ गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच समरसता के दावे कमजोर हैं, वहीं पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को भविष्य की चिंता भी सता रही है। इन परिस्थितियों में भी उनकी पार्टी में पूछ-परख न होना नाराजगी को बढ़ावा दे रही है।
दीपक जोशी भाजपा छोड़ कांग्रेस में हुए शामिल
भाजपा ने तय किया है कि अगले दो महीने के अंदर सारे कार्यकर्ताओं की मान-मनौव्वल कर उन्हें काम पर लगा दिया जाए। पूर्व मंत्री दीपक जोशी द्वारा भाजपा छोड़ कांग्रेस खेमे में जाने के बाद चुनावी साल में राजनीतिक दलों के बीच दल-बदल का क्रम और तेज होने के आसार हैं। कई अन्य नेता भी कांग्रेस के निशाने पर हैं। ऐसे में अब पार्टी के सामने चुनौती यह है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर कैसे किया जाए?
मंत्रियों को कार्यकर्ताओं से मेलजोल बढ़ाने के निर्देश
केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के अलावा पार्टी के पक्ष में बेहतर माहौल बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं पर ही है। कार्यकर्ताओं द्वारा उनसे बेरुखी के आरोप स्थानीय पदाधिकारियों ही नहीं, संगठन और प्रदेश के मंत्रियों पर भी लगाए जाते रहे हैं। संगठन को शिकायत भी मिली कि जब कार्यकर्ता मंत्रियों से मिलने जाते हैं तो वे मिलते नहीं हैं। यही वजह है कि संगठन के साथ मंत्रियों को भी कार्यकर्ताओं से मेलजोल बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
कार्यकर्ता से ही भाजपा का अस्तित्व
भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने बताया कि भाजपा कार्यकर्ता एक राजनीतिक दल की भांति नहीं बल्कि संगठन में परिवार भावना से जुड़े रहने वाली परंपरा के हैं। चुनावी चकल्लस में कई बार अपवादों की चर्चा परंपराओं से ज्यादा उठ जाती है लेकिन उसका प्रभाव नहीं होता। पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को निर्णयों में स्थान देगी। कार्यकर्ता से ही भाजपा का अस्तित्व है।