भोपालमध्यप्रदेश

म. प्र. में हो रहा रिसर्च आधारित योजना बनाने, मॉनीटरिंग और मूल्यांकन का कार्य

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भारत के नीति आयोग ने की सराहना
पी.एच.डी. संगोष्ठी के समापन में एग्पा के सीईओ श्री स्वतंत्र सिंह

श्री सिंह ने बताया कि उन्होंने मध्यप्रदेश में किये जा रहे कार्यों का प्रेजेंटेशन सिविल सर्विस-डे विज्ञान भवन नई दिल्ली में किया था। श्री सिंह ने कहा कि विकसित भारत की कल्पना को मूर्तरूप देने में रिसर्चर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आपके रिसर्च के इनपुट से प्रदेश और देश के विकास की योजनाएँ बनायी जा सकेंगी।

साँची युनीवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट इंडिक स्टडीज की वाइस चांसलर डॉ. श्रीमती नीरजा ए. गुप्ता ने कहा कि भारत में इंटीग्रेटेड लर्निंग सिस्टम है। उन्होंने विभिन्न पौराणिक कथाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि रिसर्च का महत्व है, डिग्री का नहीं। श्रीमती गुप्ता ने कहा कि शास्त्र हमें आगे बढ़ने का ज्ञान देते हैं। इनमें उल्लेखित हर विषय पर रिसर्च किया जा सकता है। उन्होंने नाटय शास्त्र के बारे में भी बताया।

फूड कमीशन ऑफ मध्यप्रदेश के चेयरमेन प्रो. वी.के. मल्होत्रा ने कहा कि इस तरह की संगोष्ठी लगातार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश राहजिंग स्टेट है। रिसर्च के माध्यम से प्रदेश में पॉलिसी बनाने का काम हो रहा है। संस्थान के प्रमुख सलाहकार श्री सुनील सूर्यवंशी ने बताया कि संगोष्ठी में 25 जिलों के 38 संस्थानों के 151 पीएचडी स्कॉलर शामिल हुए।

पीएचडी स्कॉलर्स ने भी अपने अनुभव साझा किये। इस दौरान बेहतर प्रेजेंटेशन देने वाले शोधार्थी पुरस्कृत किये गये। पुरस्कृत शोधार्थियों में सुश्री प्रीत‍सिंह, सुश्री मेघा भार्गव, श्री अर्जुन सिंह लोधी, श्री दिलीप चक्रवर्ती, श्री राकेश कुमार अहिरवार, श्री रजत यादव, सुश्री स्मृति पंजवानी, सुश्री कात्यायनी शुक्ला, सुश्री प्रियांशी सिंह, श्री उदित साहू, सुश्री रिद्धी जैन, श्री राहुल, सुश्री दीक्षा दुबे, सुश्री दीक्षा श्रीवास्तव, सुश्री अमृता वाजपेयी, सुश्री मेघा सुंदर जी, श्री कल्पित डोंगरे और सुश्री नीरजा गोड शामिल हैं। श्री राजीव भाटिया को विशेष पुरस्कार दिया गया।

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