सी.एच.ओ, स्वास्थ्य विभाग की आंखों में धूल झोंक कर नियमों की उड़ा रहे हैं धज्जियां
स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को भी खबर नहीं
-
मध्यप्रदेश की सरकार निरंतर स्वास्थ्य सेवाओ को बढावा देने के लिऐ कटिबध्द है ।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत रिक्त पदो पर नियुक्तीया देकर ग्रामीणो को सुविधा मुहैया करवाई है। जिस पर सरकार की मंशा रही है । ग्रामीण उपस्वास्थ केन्द्रो पर सि एच ओ एवं ए एन एम स्थाई रुप से ग्रामीण आम जन को स्वास्थ्य सेवा देगे सुनिश्चि किया है। गौरतलब है कि सरकार की मंशा का मखोल बना कर सारे नियमो को ताक मे रख दिया है। ग्रामीण उपस्वास्थ केन्द्रो पर ताले लटके मिल जाऐगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग नियम पुस्तिका मे लिखा हुआ कि उपस्वास्थ्य केन्द्र स्तरीय हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर्स ग्रामीण एवं दूर दराज क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य संस्थायें हैं। यहां पर पदस्थ कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर्स को मुख्यालय अर्थात उपस्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर ही निवास करना होगा। ऐसा न करने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पदस्थापना निरस्त करते हुऐ बाण्ड राशि वसूलने की कार्यवाही सम्पादित की जा सकती है। वही कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर्स (CHO )को प्रायवेट प्रैक्टिस की अनुमति नहीं है। कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर द्वारा निजी तौर पर व्यावसायिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाय करते पाये जाने अथवा प्रमाणित होने की स्थिति पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पदस्थापना निरस्त करते हुये बाण्ड राशि वसूलने की कार्यवाही सम्पादित की जायेगी। बावजूद तहसील मुख्यालय के ग्रामीण उपस्वास्थ केन्द्रो पर नियुक्त सि एच ओ केन्द्रो पर नही देखे जा सकते है। नियमो को ताक मे रख प्राइवेट हास्पिटल खोल कर जोला छाप डाक्टर की तरह अपने उपस्वास्थ केन्द्र से दुर गावो मे प्राइवेट ईलाज करते हुऐ देखा जा सकता है। जिन पर जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नही होती है। जिसका आलम यह है कि सरकार व जनता दोनो से ही यह डाक्टर पैसा कमाने मे लगे है।सरकार की तनख्वाह लेते है ओर प्राइवेट इलाज कर जनता से भी पैसा कमाने मे लगे है। यही कारण है कि आम जन का विश्वास ऐसे डाक्टरो के कारण सरकार की सुविधाओ से उठता देखा जा सकता है। ईसी तारतम्य मे नीमच जिले को ही ले लिया जाऐ तो मनासा सामुदायिक उपस्वास्थ केन्द्र की ग्रामीण उपस्वास्थ केन्द्रो पर देखा जा सकता है। जहा अधिकांश केन्द्रो पर ताले लटके लगे रहते है कभी कभाक डाक्टर सीएचओ एक काद घंटे के लिए उपस्तीथी बताने आते है। ऐसा ही एक ताजा मामला कुकडेश्वर उपस्वास्थ के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण उपस्वास्थ केन्द्र मोया का सामने आया है। जहा ग्रामीणो ने दबी जुबान से जानकारी देते हुए बताया की मोया गांव मे उपस्वास्थ्य केंद्र स्थापित है। जहा पर सिएच ओ ए एन एम, माह मे कभी कभार आते है।माह मे अधिकांश समय उपस्वास्थ केन्द्र बंद रहता व ताला लगा रहता है। जिससे ग्रामीण जन खास कर डिलेवरी महिलाओ को निजि अस्पतालो के शरण मे जाना पडता है। वही सुत्रो ने बताया की मोया गांव मे पदस्थ सि एच ओ मनासा मे भाटखेडी रोड पर नियमो को ताक मे रख कर निजी अस्पताल खोल कर प्राईवेट इलाज करता है। जबकी इन को सरकार से सीएचओ ऑफिसर की शुरुआती सैलरी लगभग रूपए 25000से 40000 रूपए तक होती है। कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर(CHO) जब भर्ती होते हैं तब उन्हें 25000 रूपए बेसिक सैलरी के तौर पर मिलते हैं और 15000 रूपए तक का प्रोत्साहन राशी मिला कर 40 हजार रुपए प्रतिमाह मिलती है। अब देखना है कि जिला प्रशासन या सामुदायिक उपस्वास्थ विभाग मनासा के जिम्मेदार ऐसे सीएचओ पर क्या कार्रवाई करते है या जनता व सरकार की आखो मे धुल जोकी जाऐगी।